◆ JaiGuruDev Prarthanayen ◆ (Post no. 34)

    जयगुरुदेव प्रार्थना 200.
◆ Suno gurudev yeh arji ◆
    
सुनो गुरुदेव यह अर्जी, सुनाने तुम को आयी हूँ।
करा दो दर्श चरणों का, तमन्ना ले के आयी हूँ।।

बह रही पावनी अनुपम, चरण में गंग की धारा।
धुला दो अधम का स्वामी, मैल यह पाप का सारा।
मिटा दो गन्दगी मेरी, भरोसा कर के आयी हूँ।। 
करा दो दर्श चरणों का....

निकलती ज्योति चरणों से,  अलौकिक दिव्य उजियारी।
भगा दो तिमिर अन्दर का,  दिखाकर रोशनी प्यारी।
भटकती मैं अन्धेरे से, आशिकी नूर आयी हूँ।। 
करा दो दर्श चरणों का....

अनुपम तेज चरणों का,  छुपाओ तुम नहीं दाता।
काय मनवा की सब तेरे,  कहा कुछ भी नहीं जाता।
गरल मय पाप मन इच्छा  चढ़ाने तुम को अया हूँ।। 
करा दो दर्श चरणों का....

सुना है आप ने स्वामी,  पतित लाखों उबारे हैं।
काटकर कर्म के बन्धन, अनेकों जीव तारे हैं।
दीन को तार दो गुरुवर,  शरण तेरी मैं आयी हूँ।। 
करा दो दर्श चरणों का, तमन्ना ले के आई हूं।।


   जयगुरुदेव प्रार्थना 201.
◆ Satguru tere charno ka bas 

सतगुरु तेरे चरणों का बस एक सहारा है,
तेरे दर के सिवा स्वामी, मेरा कहीं न गुजारा है।।

पतितों के तारन को अवतार तुम्हारा है,
जीवों के हित जग में, मानव तन धारा है।
सतगुरु तेरे चरणों का...

मेरी तो कोई युक्ति, चलने की नहीं गुरुवर,
गर तुम्हीं उबारोगे उद्धार हमारा है।
सतगुरु तेरे चरणों...

मझधार फंसी नैया कोई न किनारा है,
सतगुरु मांझी मेरे जिन पतवार सम्हाला है।
सतगुरु तेरे चरणों...

कलयुग के जाने का, सतयुग के आने का।
है वक्त बड़ा नाजुक पैगाम तुम्हारा है।।
सतगुरु तेरे चरणों...

मैंने अपना स्वामी जब तुमको बनाया है।
आखिर कुछ कहने का अधिकार हमारा है।।

सतगुरु तेरे चरणों का बस एक सहारा है,
तेरे दर के सिवा स्वामी, मेरा कहीं न गुजारा है।।


   जयगुरुदेव प्रार्थना 202.
◆ Radhaswami param Guru paye 

राधास्वामी परम गुरू पाये, मैं उन पर बलिहार सखी री। 
तन मन भेट करूं चरनन में। आरत करूं सम्हार री ।
प्रेम का थाल सुरत की बाती, शब्द ज्योति उजियार सखी री । 
लेकर थाली सम्मुख आई शब्द सुनी झनकार सखी री ।
सहस कवल की शोभा निरखी फूल खिला गुलनार सखी री । 
आगे चली बंक पट खोला शब्द सुना ओंकार सखी री । 
गुरू का रूप निरख मगनानी, काल कर्म गये हार सखी री । 
बाजत ढोल मृदंग सुहावन, नौबत बजत अगार सखी री । 
वृन्दावन काशी अरू मथुरा छोड़ दिया हरिद्वार सखी री । 
गुरू प्रसाद चली आगे को खोला दसवां द्वार सखी री । 
मान सरोवर पैठ अन्हाई हंसन संग किया प्यार सखी री । 
चौक चांदनी अदभुत शोभा देखा चन्द उजार सखी री । 
रूप निहारत भाग सराहत दुख सुख से हुई न्यार सखी री । 
महासुन में लगन लगाई सतगुरू हुए अगार सखी री । 
हंसन रूप अचरजी शोभा देखा अटा अटार सखी री । 
अदभुत शोभा चोक अपारा सेत सूर्य उजियार सखी री । 
अलख अगम का दर्शन करके सदगुरू चरन निहार सखी री । 
राधास्वामी  रूप  निहारा  हैरत हैरत  हार  सखी री ।  
सतगुरू पूरे चरन लगाया तब पाया पद सार सखी री ।


 जयगुरुदेव प्रार्थना 203.
◆ Rah me bethe najre bichaye 

राह में बैठे आंखें बिछाए, हैं तरसती दरस को निगाहें।।

प्रेमी सब याद करते हैं तुमको,
अपनी सूरत तो दिखला दो हमको।
दूर पल भर रहा अब ना जाए,
हैं तरसती दरस को निगाहें।।
राह में बैठे आंखें..

प्रेम का रंग गहरा रचा है, ऐसा बन्धन ये तुमसे बनधा है।
बात दिल की ये कैसे बताएं,
हैं तरसती दरस को निगाहें।।
राह में बैठे...

आज मुर्शीद हमारे कहां हैं,
घर हमारे उनके बीन तन्हा है।
रो रही रूहें बाहें फैलाए।
हैं तरसती दरस को निगाहें।।
राह में बैठे... हैं तरसती दरस...।।


जयगुरुदेव प्रार्थना 204.
◆ yun  bhala swami ap mukur jayenge 

यूं भला स्वामी आप मुकुर जाएंगे,
यूं भला गुरुवर आप मुकुर जाएंगे,
तो भला हमसे पापी किधर जायेंगे।।

जो तरेंगे नही तो ये सच मानिए,
आपका नाम बदनाम कर जायेंगे।।
चाहते कुछ हो रिश्वत तो क्या है यहां।
हां गुनाहों के भंडार भर जायेंगे।।

की जो नफरत तो दिल में बिठाया ही क्यों।
जाए सर गैर के अब न घर जायेंगे।।

है यकीन चश्म बिंदु अगर ये बहे,
तो तुम्हे करके तर खुद भी जायेंगे।।


जयगुरुदेव प्रार्थना 205 .
◆ Mere satguru mujh par 

मेरे सतगुरु मुझ पर, कृपा कब करोगे।
हाले दिल से वाकिफ, दया कब करोगे।।

मेरे ही कर्मों से, पीड़ित हैं प्रभुवर।
समझ ना सकूँगा, दयालु हैं रहवर।।
दर्दे दिल से मुझ को, जुदा कब करोगे।। मेरे....

अक्स है स्वामी का, हममें उजागर।
दया मई किरन का, है खेल नरवर।।
मतलब की हद से अलग कब करोगे।। मेरे...

तेरी दिव्यता से है, अनंत प्रकासित।
तेरी गन्ध से है, चराचर सुभाषित।।
अँधेरे में गुम अर्ज पे, नजर कब करोगे।। मेरे....

कोटि विप्र बधिकों को, बक्सा है दाना।
रखी ‘नाम’ की लाज, जानत जहाना।।
सुमेरों में दबी आह पे, श्रवण कब करोगे।। मेरे..

दुन्दुभि सुनि मेरी रूह मुक्त हुई नरका।
सकल पापी किनका, है दरिन्दा जगत का।।
पापियों के नृपति पर, मेहर कब करोगे।। मेरे...

खाली दरबार से कभी, गया ना सवाली।
महफिल की रौनक, काविज है आली।।
नाजुक कली की कभी पीर सुन सकोगे।। मेरे...

जयगुरुदेव के मर्तबे का दूजा शानी।
अनन्तों भुवन में, दूजा ना जानी।।
है विश्वास दास का नाम सार्थक करोगे।। मेरे....

जयगुरुदेव.....
शेष क्रमशः पोस्ट न. 35 में पढ़ें 👇🏽

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