Prathna Collection (post no.22)

स्वामी जी महाराज व महाराज जी का आदेश...
*प्रार्थना व साधना रोज होनी चाहिए।*

प्रार्थना 130. 
 Satguru meri suno pukar 


सतगुरु मेरी सुनो पुकार।
                मैं टेरत बारम्बार ।।1।।
दुर्मति मेरी दूर निकारो।
          मुझे कर लो चरन अधारो ।।2।।
मोहि भौजल पार उतारो।
            मेरी पड़ी नाव मँझधारो ।।3।।
तुम बिन अब कोई न सहारो।
            अपना कर मुझे सम्हारो ।।4।।
मैं कपटी कुटिल तुम्हारो।
             तुम दाता अपर अपारो ।।5।।
मैं दीन दुःखी अति भारो।
             जब चाहो तब निस्तारो ।।6।।
मैं आरत करुँ तुम्हारी।
          तन मन धन तुम पर वारी ।।7।।
अब मिला सहारा भारी।
             मैं नीच अजान अनाड़ी ।।8।।
घट भेद नाद समझाया।
              मन बैरी स्वाद न पाया ।।9।।
दुःख सुख में बहु भरमाया।
             जग मान बड़ाई चाहा ।।10।।
उलटूँ मैं इसको क्योंकर।
        बिन दया तुम्हारी सतगुरु ।।11।।
अब खैंचौ जयगुरुदेव स्वामी मन को।
         मैं बिनय सुनाऊँ तुम को ।।12।।




★ Siva tere nahi mere koi 
जयगुरुदेव प्रार्थना 131.  
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सिवा तेरे नही मेरे कोई गुरुदेव प्यारे है,
हैं जिनके भाव ऐसे नाव उनकी ही किनारे है।।१।।

पिता, माता, पुत्र, पुत्री मे जिनका प्यार गहरा था,
अब उनसे तोड़ी तुमसे जोड़ कर गुरु के सहारे हैं।।२।।

गुरु ब्रह्मा गुरुविष्णु गुरु शिव शक्ति हैं जिनके,
गुरु पारब्रह्म के भी पार सतगुरु रूप धारे हैं ।।३।।

पार तजि पार को ध्याना सतसंकल्प जिनका है,
वही प्यारे गुरु के बन्ध जग के तोड़ डाले हैं ।।४।।

करोड़ो जीव लेके साथ तरते और तारे हैं,
जयगुरुदेव मुझ न चीज को तेरा सहारा है ।।५।।

उबारोगे है मुझे विश्वास कितनो को उबारे हैं,
सिवा तेरे नही मेरे कोई गुरुदेव प्यारे है।।६।।



132. 
★ Sukhi sarita me mere prabhu 
जयगुरुदेव प्रार्थना
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सूखी सरिता में मेरे प्रभु स्नान करेगा क्यों कोई,
मुझ नीच अधम के ऊपर प्रभु विश्वास करेगा क्यों कोई।।१।।

क्यों तूफानों में फंसी है नैया प्रभु खेय के पार लगा दो,
तुम मेरी सूखी बगिया में प्रभु शब्द की धार बहा दो ।।२।।

मेरी सामर्थ नहीं प्रभु जो दरश तुम्हारा मैं पाऊं,
सूख गयी मेरी स्वर लहरी कैसे गीत प्रभु के मैं गाऊं ।।३।।

गीतों में प्रभु के अब मेरे स्वर दान करेगा क्यों कोई,
सूखी सरिता में मेरे प्रभु स्नान करेगा क्यों कोई ।।४।।

हर फूल हमारे जीवन का प्रभु चरणों में चढ़ जाये, 
प्रीति बढ़े सतगुरु चरणों में प्रेम का सागर लहराये ।।५।।

प्राण रहे जब तक इस तन में गीत प्रभू के हम गायें, 
रूखा रहे संसार हमारा प्रभू कभी हमें ये न भाये ।।६।।

भव पार उतरने में मेरी प्रभु मदद करेगा क्यों कोई,
सूखी सरिता में मेरे प्रभु स्नान करेगा क्यों कोई ।।७।।

प्रभु आप ही एक सहारे हो मेरी नेया पार लगा देना,
मोह निशा में सोता सतगुरु शब्द मार से जगा देना ।।८।।

सुरति डूबती भव सागर में प्रभु इसे शब्द नाव पे चढ़ा देना,
मन माया के पद तीन छुड़ा प्रभु चौथे में बास बना देना ।।९।।

समरथ स्वामी मिले खेवटिया अब जीव तरेगा हम क्यों रोई,
सूखी सरिता में मेरे प्रभु स्नान करेगा क्यों कोई ।।१०।।




133. 
★ Surat tu dukhi rahe ham jani 
जयगुरुदेव प्रार्थना
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सुरत तू दुखी रहे हम जानी--2

जा दिन से तुम शब्द बिसारा, मन संग यारी ठानी- 
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।

मन मूरख तन साथ बन्धानी, इन्द्रीय स्वाद लुभानी-
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।

कुल परिवार सभी दुःख दाई, इन संग रहत भुलानी-
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।

तू चेतन यह जड़ सब मिथ्या, नही कर मेल मिलानी-
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।

ताते चेत चलो यह औसर, क्यों भरमो तुम खानी-
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।

सत्संग करो सत्य पथ खोजो, सतगुरु प्रीत समानी-
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।

नाम रतन गुरुदेव बुझाई, उलट चलो असमानी-
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।

इतना काम करो तुम अब-की, फिर आगे की सतगुरु जानी-
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।

सतगुरु स्वामी कहन सम्हारो, दुःख छुटे सुख मिले निशानी-
सुरत तू दुखी रहे हम जानी।



जयगुरुदेव प्रार्थना 134. 
★ Sunkar karun pukar 
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सुन कर करुण पुकार सतगुरु आ जाना,
करो जन जन का उद्धार, सतगुरु आ जाना।।

भटक रहा हूं मारा मारा, 
कोई नही हैं मेरा सहारा;
कर दो भव से पार, सतगुरु आ जाना।
सुन कर करुण पुकार सतगुरु आ जाना।।

बीच भंवर मे फँसी है नैया, 
कोई नही है पार लगैया;
नैया है मझधार, सतगुरु आ जाना।
सुन कर करुण पुकार सतगुरु आ जाना।।

बिन दर्शन व्याकुल हैं अखियां,
चैन न पाऊँ सूनी हैं गलियां;
दर्शन दो इक बार, सतगुरु आ जाना।
सुन कर करुण पुकार सतगुरु आ जाना।।

गुरु का ज्ञान ध्यान अलबेला, 
आई सुहानी अनुपम बेला;
जग के पालन हार, सतगुरु आ जाना।
सुन कर करुण पुकार सतगुरु आ जाना।।

दासनुदास शरण मे तेरी, 
राखो लाज प्रभु जी अब मेरी;
प्रेमी रहे पुकार, सतगुरु आ जाना।
सुन कर करुण पुकार सतगुरु आ जाना।।


जय गुरु देव... 



प्रार्थना 135. 
★ Suna hai lakhon ko 
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सुना है लाखों को तुमने तारा , 
हमें भी तारो तो हम भी जानें ।

तुम्हीं तो आये कबीर बनकर,
पढ़ाये वह प्रेम का पाठ सबको ।
अनपढ अनाडी को पथ दिखाया,
हमें दिखाओ तो हम भी जानें ।।

तुम्ही थे रैदास मीरा रानी,
गुरु बनाया जिन्हें थी अपना ।
उबारा लाखों को आपने तब,
हमे उबारो तो हम भी जानें ।।

तुम्हीं थे नानक सिखाया जिसने,
हमें कभी पाठ दीनता का।
मुझे पढ़ा कर गुरु पाठ अपना, 
चरनों में लगाओ तो हम भी जानें ।।


जय गुरु देव......
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Jaigurudev-bhajan
Jai Guru Dev

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