【 *जयगुरुदेव प्रार्थना | JaiGuruDev Prarthana* 】 (post no.8)

परम् पूज्य महाराज जी का आदेश...
*प्रार्थना रोज होनी चाहिए एवं २-३ प्रार्थना -*
*सभी प्रेमियो को याद होनी चाहिए।*

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प्रार्थना 41
*He mere gurudev karuna...*
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हे मेरे गुरुदेव करुणा सिंधू करुणा कीजिए,
हूं अधम आधीन अशरण, अब शरण मे लीजिए।।

मुझ मे कुछ जप तप न साधन और नही कुछ ज्ञान है,
निर्लज्जता है एक बाक़ी औऱ बस अभिमान है।।

खा रहा गोते हूं मेंं भव सिंधू के मझधार मे,
आसरा न और कोई दूसरा संसार मे।।

पाप बोझों से लदी नैया भँवर मे जा रही,
नाथ दोड़ो और बचा लो अब तो डूबी जा रही।।

आप भी यदि सुध न लोगे फिर कहाँ जाऊंगा मे,
जन्म दुःख से नाँव कैसे पार कर पाउँगा मे।।

हर जगह मंजिल भटक कर ली शरण है आपकी,
पार करना या न करना दोनों मर्जी आपकी।।

हे मेरे गुरुदेव करुणा सिंधू करुणा कीजिए।।
हूं अधम आधीन अशरण, अब शरण मे लीजिए।।


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प्रार्थना 42
*He dayamay deen bandhu...*
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हे दयामय दीन बन्धु यह विनय सुन लीजिए।
शमन सब पापों का मेरे आप सब कर दीजिए।।

सद्गुणों से दूर हूं मैं दुर्गुणों की राशि हूं।
पर शरण में आ गया हूँ त्राण मम अब कीजिए।।

भूल में वह है नहीं पहचानते जो आपको।
करि दया सतगुरु मुझको देखने अब दीजिए।।

दीन हूं पर भाग्य से मैं बन्धु अब तेरा हुआ।
बंधू को अपने उबारन हाथ आगे कीजिए।।

आते हैं कितने यहां पर जाते हैं अनजान में।
पर जनाया है जिसे पहचान अपनी दीजिए।।

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प्रार्थना 43
*Itni shakti mujhe do....*
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इतनी शक्ति मुझे दो मेरे सतगुरु
तेरी भक्ति मे खुद को मिटाता चलूँ ।।१।।

चाहे राहों मे कितनी मुसीबत पड़े
फिर भी तेरा दिया गीत गाता चलूँ।।२।।

दूसरों की मदद की जरूरत नही
मुझको केवल तुम्हारी मदद चाहिये।।३।।

डगमगाये न मेरे कदम राह मे
नाम का तेरे डंका बजाता चलूँ ।।४।।

नाव बोझिल मेरे पूर्व के पाप से
सो न जाऊं यही डर सताता मुझे ।।५।।

इतना वरदान दे दो मेरे देवता
खुद जगूँ और जगत को जगाता चलूँ ।।६।।

चाह मुझको नही धर्म की अर्थ की
काम व मोक्ष की भी जरूरत नही ।।७।।

धूल चरणों की मिलती रहे उम्र भर
तेरी महिमा निरंतर सुनाता चलु ।।८।।

मेरे जैसे अनेकों मिलेंगे तुम्हें
पर हमारे लिये तो तुमही एक हो ।।९।।

वैसे उलफ़त की मस्ती रहे हर घड़ी
तेरे कदमों मे सिर को झुकाता चलूँ ।।१०।।

मुझको गैरो के रिश्तों से क्या वास्ता
सिर्फ रिश्ता तुम्हारा निभाता चलूँ ।।११।।

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प्रार्थना 44
*He deen bandhu guruvar...*
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हे दीन बंधु गुरुवर सुनलो विनय हमारी
प्रभु इस तरह सदा ही झांकी मिले तुम्हारी।।१।।

तुम हो अनंत आदि घट-घट के प्राण वासी,
तुमसे जगह न खाली मथुरा हो या हो काशी ।
भीतर झलक रही है लीला अजब तुम्हारी।।२।।

तुमने दिखाया चन्दा सूरज चमकते तारे
यह रूप भी दिखाया लगते हो कितने प्यारे।
कल-कल की नाद करती नदियाँ हैंकितनी प्यारी।।३।।

बाजे बजारहे हो अन्तःकरण मे आकर
खुशियाँ अनंत होती तुमको ह्रदय मे पाकर ।
कितनी मधुर- मधुर है अनहद कीतान प्यारी ।।४।।

तुम्हो वहीबताते जो राम ने बताया
तुम्हो वहीदिखाते जोकृष्ण ने दिखाया
तेरी मुखार बिन्दु सब सन्तो की है वाणी ।।५।।

अज्ञान ये अनाडी दुनिया कहाँ से जाने,
सब कुछ दिखाओ फिर भी भगवन कहाँ ये माने।
भक्तों ने देख पाई लीला अजब तुम्हारी ।।

हे दीन बंधु गुरुवर सुनलो विनय हमारी,
प्रभु इसतरह सदा ही झांकी मिले तुम्हारी।।६।।

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प्रार्थना 45
*He satguru tumhe...*
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हे सतगुरु तुम्हें छोड़ है कौन मेरे,
फिर क्यों देखते हो उधर दृष्टि फेरे।।

यह माना कि मैं हूं गुनहगार भूला,
मगर आ पड़ा अब शरण में मैं तेरे।।

तुम अशरण शरण हो दयालु कहाओ,
इसी से शरण तेरी आया सवेरे।।

बहुत काल माया ने चक्कर खिलाया,
अब आ गिर पढ़ा हूं शरण में मैं तेरे ।।

इधर तो नजर कर मेरी हाल देखो,
मुझे चोर पकड़े हैं यह पांच घेरे।।

ये मन मेरा साथी दगा दे रहा है,
इसी से ना आया कभी पास तेरे।।

गुनाहों को कर दो माफ मेरे सतगुरु,
उठा लो मुझे अब नहीं कोई मेरे ।।

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प्रार्थना 46
*He prabhu anand data...*
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हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये,
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।।

लीजिये हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,
ब्रह्मचारी धर्म-रक्षक वीर व्रत धारी बनें।
हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये...।।

निंदा किसी की हम किसी से भूल कर भी न करें,
ईर्ष्या कभी भी हम किसी से भूल कर भी न करें।
हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये...।।

सत्य बोलें, झूठ त्यागें, मेल आपस में करें,
दिव्या जीवन हो हमारा, यश तेरा गाया करें।
हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये...।।

जाये हमारी आयु हे प्रभु लोक के उपकार में,
हाथ डालें हम कभी न भूल कर अपकार में।
हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये...।।

कीजिए हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा,
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा।
हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये...।।

प्रेम से हम गुरु जनों की नित्य ही सेवा करें,
प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें।
हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये...।।

योग विद्या ब्रह्म विद्या हो अधिक प्यारी हमें,
ब्रह्म निष्ठा प्राप्त कर के सर्व हितकारी बनें।
हे प्रभु आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये...।।

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जयगुरुदेव ★
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