प्रार्थना सूची (Post no. 35)

जयगुरुदेव प्रार्थना 206. 
*Satguru ki koi khabar*
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 

सतगुरु की कोई खबर लाता नहीं,
गम जुदाई का सहा जाता नहीं।।

कोई संदेशा उनसे जाके ये कहो,
बिन तेरे हमसे जिया जाता नहीं।।
सतगुरु की कोई खबर...

रो रो मैंने दिन गुजारे रात भी,
अंखियां प्यासी हैं गुरु दीदार की।
सतगुरु की कोई खबर...

मुझसे काटे न कटे ये जिंदगी,
बिन गुरु के है अधूरी जिंदगी।

कैसे तुम बिन मैं जिऊं सतगुरु बता,
जबकि तुम बिन दिल कहीं लगता नहीं।

दिल तो चाहता है गुरु को खत लिखूं,
क्या लिखूं कुछ भी समझ आता नहीं।

दिल तो कहता है गुरु से जा मिलूं,
रास्ता पर मुझको नजर आता नहीं।
सतगुरु नाम रूपी डोर से मुझे बांध लो,
शब्द पंख बिना उड़ा जाता नहीं।।


जयगुरुदेव प्रार्थना 207. 
*Sans dena prabhu*
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●

सांस देना प्रभु इतनी तो कम से कम,
तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम।।

जो चलाता है ये सारे संसार को,
मैं भी कर लूं जरा उसका दीदार तो।
क्या पता फिर मिले न मिले ये जनम,
तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम।।

आज जो कुछ भी हूं तेरा उपकार है,
मेरे जीवन का एक तू ही आधार है।
तेरा कर दूं अदा शुक्रिया कम से कम,
तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम।।

जितनी सेवा तेरी करनी थी वो न की,
मुंह दिखाने के मैं तुझको काबिल नहीं।
फिर भी मुझको यकीं तू करेगा रहम,
तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम।।

बस इसी आस में बीते जीवन मेरा,
एक दिन तो प्रभु होगा दर्शन तेरा।
किन्तु तरसे तुझे देखने को नयन,
तुमसे मिलने से पहले न निकले ये दम।।


जयगुरुदेव प्रार्थना 208. 
*Lo arju hamari*
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 

लो आरजू हमारी लो बंदगी हमारी।।

तुम चांद बन के निकले और जा छुपे गगन में।
तुम प्यार बन के उमड़े आंसू बने नयन में।
हम जी रहे मिलन के विश्वास के सहारे।
स्वामी तुम्हारे पथ में आंखें लगी दुखारी।
लो आरजू हमारी....

सुध का विहंग उड़ता हर द्वार के गगन में।
गंगा की धार शीतल बहती है आज मन में।
लगता है मन से पर तुमने हमें पुकारा।
नैनों ने आज शिशमा उस संग में निहारे।
लो आरजू हमारी...

तुमने अलख जगाया भारत की हर गली में।
सौरभ उमंग भर दी उर की कली कली में।
मरुभूमि में वहां की मधुमास था सजाया।
किस भांति याद जाए सत्संग की बिसारी।
लो आरजू हमारी...

मैं आज देखती हूं देखे हुए इस पल को।
कण कण में ढूंढती हूं खोए हुए रतन को।
किस ओर जा छुपे हो कोई हमें बताए।
बेकार बन गई है अब जिंदगी हमारी।।


जयगुरुदेव प्रार्थना 209. 
*Ho gayi rehmat teri*
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 

हो गई रहमत तेरी, सतगुरु रहमत छा गई,
देखते ही देखते आंखों में मस्ती आ गई।।

गम मेरे सब मिट गए और मिट गए रंजों अलम।
जब से देखी है तेरी दीदार ये मेरे सनम।।

आंख तेरी ने पिलाई है मुझे ऐसी शरूर।
बेखुदी में मस्त हूं उठ गई सारी हजा।।

मस्त करती जा रही है शक्ल नूरानी तेरी।
कुछ पता सा दे रही है आंख मस्तानी तेरी।।

अब तो जिऊंगा में दुनिया में तेरा ही नाम ले।
आ जरा नैनों में सदके मुझको सतगुरु थाम ले।।


जयगुरुदेव प्रार्थना 210. 
*Piv pyari surat sang khel rahi*
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 

पिव प्यारी सुरत संग खेल रही ।पिव प्यारी । टेक। 
प्रीतम बिरह तपन हिय भीतर जलद गुरु पद खोज रही। 

चहुँ दिश धुंध पंथ नहि  सूझै । नैन  खोलि  गुरु  बिपत हरी । 
 देखा शरद स्वच्छ नभ मंडल दिव्य चरण में मेल रही।  

निज कृत कर्म सिसिर से कम्पित लाल सूर लखि धीर धरी । 
कर्म अंत हेमंत अभय गति,पार सुरति दस  द्वार भई । 
 मिला बसंत अंत सब दु:ख का सतगुरु संग करि केल रही।


जयगुरुदेव प्रार्थना 211. 
*Satguru ne sunai nai boli*
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 

सतगुरु ने सुनाई नई  बोली ।सतगुरु ने।टेक  ॥ 
ऐसी बोली सुनी नहि कबहि, प्रेम विरह की रंग घोली।  
ढोल मृदंग मधुर ढप बाजे, गुरु दरबार मची होली । 
मन सुरति  सुनी चढे  गगन में आनंद अबीर भरे झोली।  
सतगुरु सूर लाल मंडल से,  छोड़त रंग लाल घोली 
बरसत लाल गुलाल चहुँ दिशि, हंसन की भीजै टोली । 
सूरत सुनी राग मनोहर धुनि की, सुधि भूली तन पट चोली । 
यह  होली जेहि  मिले भाग से सोई सतगुरु की निज चेली ।

 

जयगुरुदेव
शेष क्रमशः पोस्ट न. 36 में पढ़ें 👇🏽 
 https://www.amratvani.com/2022/11/Jaigurudev.sangat.ki.prarthna.html

पिछली पोस्ट न. 34 की लिंक... 


 
jaigurudev


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ