जयगुरुदेव । 7 विरह प्रार्थनाओं का संग्रह ...

जय गुरु देव 
परम् पूज्य महाराज जी का आदेश...
प्रार्थना रोज होनी चाहिए एवं २-३ प्रार्थना -
सभी प्रेमियो को याद होनी चाहिए।


*प्रार्थना वन्दना*

परम पुरुष गुरुदेव जी जयगुरुदेव अनाम, 
अलख अगम के पार में करता तुम्हें प्रणाम। 
दाता मेरे सतगुरु तुम्हें प्रणाम, 
महाराज जी समय के सतगुरु तुम्हें प्रणाम।।

जय गुरु देव 

प्रार्थना 01. 
मेरे प्यारे गुरु दातार...
Mere pyare guru datar
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मेरे प्यारे गुरु दातार, मंगता द्वारे खड़ा।
मैं रहा पुकार पुकार, मैहर कर देखो जरा।।

मोहि दीजे भक्ति दान, काल दुःख बहुत दिया।
मेरी तड़फ उठी हिये माहि, दरश को तरस रहा।।

बरसाओ घटा अपार, प्रेम रंग दीजे बहा।
सुर्त भीगे अमी रस धार, तन मन होवे हरा।।

मेरा जीवन सुफल होई जाए, तुम गुण गाऊँ सदा।
मै नीच अधम नाकार, तुम रे द्वारे पड़ा।।

मेरी विनती सुनो धर प्यार, घट उमगाओ दया।
स्वामी जी पिता हमार जल्दी पार किया।।

जयगुरुदेव पिता हमार जल्दी पार करो।
मेरे प्यारे गुरु दातार, मंगता द्वारे खड़ा।।


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प्रार्थना 02. 
मैहर की नज़र करो मेरी ऒर...
Mehar ki najar karo meri or
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मैहर की नज़र करो मेरी ऒर,
दया की नजर करो मेरी ऒर।।१।।

निशदिन तुम्हे निहारूं सतगुरु जैसे चन्द्र चकोर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।२।।

जानू न कौन भूल हुई तन से,
लियो हमसे मुख मोड़,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।३।।

बालक जान चूक बिसराओ,
आया शरण अब मै तोर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।४।।

सदा दयालू स्वभाव तुम्हारा,
मेरी विरिया कस भयऊ कठोर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।५।।

शरणागत की लाज न राखो,
मो सो पतित अब जायें केही ऒर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।६।।

अबकी बार उबार लेव जो,
फिर न धरहूं पग यही मग ऒर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।
मैहर की नजर करो मेरी ओर।।७।।

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प्रार्थना 03.
यह विनती गुरुदेव हमारी...
Yeh vinti gurudev hamari 
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यह विनती गुरुदेव हमारी...२ ।।१।।

गुरु पद स्नेह छूटे नही कबहूँ,  भाव छूटें संसारी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।२।।

नित नव प्रेम जगे तुम्हरे प्रति, रहहुँ नाम आधारी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।३।।

शब्द कूप की सुरत हमारी, बनी रहे पनिहारी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।५।।

शब्द अमिय रस पियहि निरंतर, झूले अधर मंझारी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।६।।

सहस कमल दल छिन में उतरे, त्रिकुटी लेई संभारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी।।७

निरखै रूप हंस वह अपना, खोले द्वार किबाड़ी
यह विनती गुरुदेव हमारी...।।८।।

गुफापार सतधाम समाये, सुख दुःख से होए न्यारी।
यह विनती गुरुदेव हमारी।।९

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प्रार्थना 04.
हे मेरे गुरुदेव करुणा सिंधू...
He mere gurudev karuna...
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हे मेरे गुरुदेव करुणा सिंधू करुणा कीजिए,
हूं अधम आधीन अशरण, अब शरण में लीजिए।।

मुझ में कुछ जप तप न साधन, और नही कुछ ज्ञान है,
निर्लज्जता है एक बाक़ी औऱ बस अभिमान है।।

खा रहा गोते हूं मेंं भव सिंधू के मझधार में,
आसरा न और कोई दूसरा संसार में।।

पाप बोझों से लदी नैया भँवर मे जा रही,
नाथ दोड़ो और बचा लो अब तो डूबी जा रही।।

आप भी यदि सुध न लोगे फिर कहाँ जाऊंगा में,
जन्म दुःख से नाँव कैसे पार कर पाउँगा में ।।

हर जगह मंजिल भटक कर ली शरण है आपकी,
पार करना या न करना दोनों मर्जी आपकी।।

हे मेरे गुरुदेव करुणा सिंधू करुणा कीजिए।।
हूं अधम आधीन अशरण, अब शरण मे लीजिए।।


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प्रार्थना 05.
एक तुम्हीं आधार सतगुरु...
Ak tumhi adhar satguru
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एक तुम्हीं आधार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।
मिलो न जब तक तुम जीवन में,
शान्ति नहीं मिल सकती है मन में।
खोज फिरा संसार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।

छा जाता है जब अँधियारा,
तब पावे प्रकाश की धारा।
आकर तेरे द्वार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।

कैसा भी हो तारनहारा,
मिले न जब तक चरण सहारा।
हो न सकें भव पार, सतगुरु एक तुम्ही आधार।।

हे प्रभु तुम्हीं विविध रूपों से,
हमें बचाते भव कूपों से।
ऐसा परम् उदार सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।

हम आये हैं द्वार तुम्हारे,
सब दुःख दूर करो दुखहारे।
जयगुरुदेव दयाल सतगुरु एक तुम्हीं आधार।।


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प्रार्थना 06.
अब अपना बना लो हमे सतगुरु प्यारे...
Ab apna bana lo
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अब अपना बना लो हमे सतगुरु प्यारे,
रहूँ जिससे निर्भय सहारे तुम्हारे ।।१।।

जगत मे हैं समरथ न कोई दिखाता,
बताओ तुम्ही किसके जाऊँ द्वारे ।।२।।

माना कि सिर मेरे पापों की गठरी,
मगर कौन बिन तेरे स्वामी उतारे ।।३।।

युगों से यह नैया भवर मे पड़ी है,
दया करके अब तो लगा दो किनारे ।।४।।

अगर अब की डूबी तो गफ़लत न मेरी,
दयालु शरण मैं हूँ आया तुम्हारे ।।५।।

हे विश्वास अबकी न डूबेगी नईया,
जयगुरुदेव पतवार मेरी सम्हाले ।।६।।

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जयगुरुदेव प्रार्थना 07.
Guru bin melo man ko dhoi 
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गुरु बिन मैलो मन को धोई।।
जनम जनम का कालिख लागा,
मन निज शोभा खोई।  
गुरु बिन....

कोटी जतन कोई करि करि हारे,
कागा हंस न होई। 
गुरु बिन.....

मन मलिन संग मैं हुई मैली,
साई संग कैसे 
होई। गुरु बिन .....

यहि ते आज चलो मन मेरे,
जहां सतसंग गुरु होई । 
गुरु बिन.... 

तू निर्मल होय निज घर जाना,
मैं गुरु चरण समोई।। 
गुरु बिन.... 

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              जय गुरु देव 
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