संगत की प्रार्थनाऐं...Prathna collection (Post no. 33)

जय गुरु देव
स्वामी जी व महाराज जी का आदेश... 
*प्रार्थना व साधना रोज होनी चाहिए...*

 प्रार्थना 193. 
*Mere guruji se kahiyo jay*
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मेरे गुरुजी से कहियो जाय खबरिया मेरे सतसंगी।।

जब से बिछुड़े हम सतगुरु से,
कोई न खबर कहे मेरी उनसे।
मोहे काल रहो भरमाय, खबरिया मेरे सत्संगी।।

जबसे आये हम या जग में, हो गए बैरी मन के वश में।
मोको काम रहो तड़पाय, खबरिया मेरे सत्संगी।।

जबसे आये देश वीराने, हमने हमको ही न पहचाने।
मोको माया ने लियो भरमाय,
खबरिया मेरे सतसंगी।।

दासनदास अरज सतगुरु से,
अब तो छुड़ा लेओ कालन से।
मोको चरणों में लैयो लगाय, खबरिया मेरे सतसंगी।।

जयगुरुदेव


प्रार्थना 194. 
*Namdan ab satguru*
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नामदान अब सतगुरु दीजे। काल सतावे श्वाँसा  दीजे।।
दुःख पावत मैं निशदिन भारी। गही आय अब ओट तुम्हारी ।।

तुम समान कोई और न दाता। मैं बालक तुम पितु और माता ।
मो को दुखी आप कस देखो। यह अचरज मोहि होत परेखो।।

मैं हूँ पापी अहम विकारी। भूला चूका छिन-छिन भारी।
अवगुण अपने कहँ लग बरनूँ। मेरी बुध्दि समझे नाहि मरमूँ।।

तुम्हारी गति मति नेक न जानूँ। अपनी मति अनुसार बखानूँ।
तुम समरथ और अन्तरयामी। क्या क्या कहूॅ मैं  सतगुरु स्वामी।।

मौज करो दुख अन्तर हरो। दया दृष्टि अब मो पे धरो।
माँगूँ नाम न मान। जस मानो तस देओ मोहिं दान।।

मैं अति दीन भिखारी भूखा। प्रेम भाव नहिं सब विधि रुखा।।
कैसे दोगे नाम अमोला। मैं अपने को बहु विधि तोला।।

होय निराश सब कर बैढा। पर मन धीरज धरे न नेका।
शायद कभी मेहर हो जावे। तो कहूँ नाम नोक मिल जावे।।

बिना मेहर कोई जतन न सूझे। बखशिश होय तभी कुछ बूझे।
किनका नाम करे मेरा काज। हे सतगुरु मेरी तुमको लाज ।।
अब तो मन कर चुका पुकार । सतगुरु स्वामी करो उद्धार।।


प्रार्थना 195. 
*Suno dil ko laga pyare*
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सुनो दिल को लगा प्यारे, ध्वनि अनहद की होती है।
बजे हैं बांसुरी बीना, शंख घड़ियाल मृदंगा।
गरज बादल की है भारी, करम के मैल धोती हैं। सुनो ....

उठो धुन के सहारे से, बदन सारे में गुंजारा।
अमृत की धार तालु से, सदा मुख में निचोती है। सुनो....

लगे मन नाद के अंदर, भूले तन की खबर सारी।
हृदय के बीच में सुंदर, प्रगट हो दिव्य ज्योति है। सुनो....

खुले जब दृष्टि के पर्दे, नजर आवें भुवन सारे।
वो जय गुरु देव की लहरी, प्रेम रस में डुबोती है। सुनो ....


प्रार्थना 196. 
*Satguru samrath nam tumhara*
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सतगुरु समरथ नाम तुम्हारा। 
समरथ नाम तुम्हारा दाता मेरे समरथ नाम तुम्हारा।।
भूल ना जाना मुझ दुखिया को, संग निज लेते जाना। सतगुरु......

क्या मुख ले मैं सामने आऊं, पापी नाम हंसाना। सतगुरु......
भटक रहा हूं बहुत युगों से, माफ करो स्वामी भूल हमारी। सतगुरु....

आस हमारी तेरे चरणों में, सब दर दर कर हारा। सतगुरु....
द्वार दया सागर में आया, अरज हमारी निभाना। सतगुरु......

जयगुरुदेव दया करो अब तो, पतित को पार लगाना। 
सतगुरु....समरथ नाम तुम्हारा। 
समरथ नाम तुम्हारा मालिक मेरे समरथ नाम तुम्हारा।।



प्रार्थना 197. 
*He ri me to prem divani*
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हे री! मैं तो प्रेम दिवानी, मेरा दरद न जाने कोई।
सूली उपर सेज हमारी, किस विध सोना होय।
गगन मण्डल पर सेज पिया की, किस विध मिलना होय।
घायल की गति घायल जाने। कै जिन लागी होय।
जौहरी की गति जौहरी जाने, कै जिन जौहर होय।
दरद की मारी वन वन डोलूं, वैद्य मिलो नहीं कोय।
मीरा की प्रभु पीर मिटे, जब वैद्य साँवरिया होय।


प्रार्थना 198. 
*Mere satguru din dyal*
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मेरे सतगुरु दीन दयाल, काग से हंस बनाते हैं।। टेक।।
सतगुरु कुछ नहीं लेते दान, वह रखते सब भक्तों का ध्यान।
वह अपना माल लुटाते हैं, सबको भव से पार लगाते हैं।।

अजब है गुरुओं का दरबार, वहाँ पर लगा भक्ति का भण्डार।
वह सतसंग खूब सुनाते हैं, सुरत का भेद बताते हैं।।

वह रखते सब जीवों का ध्यान, जीव का हो ईश्वर में ध्यान।
वह देते सब जीवों को ज्ञान, जीव का हो ईश्वर में ध्यान।
वह सबको पार लगाते हैं, आवागमन मिटाते हैं।।


प्रार्थना 199. 
* Suratiya dhar bahay rahi*
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सुरतिया धार बहाय रही।।
सतगुरु का दर्शन पाय, सुरतिया धार बहाय रही।।
जनम जनम के बिछुड़े मेरे प्रियतम, आज मिले मोहें आन।
सतसंग में मोहे खेंच बुलाया, गुरु की मेहर कराय।।

भवजल धार पड़ी थी बहती, सुध बुध सब बिसराय।
हाथ पकड़ लिया मोहे निकारी, शीतल अंग लगाय।।

आपहि परख दयी कुछ अपनी, आपहि प्रेम जगाय।
आपहि काज किए मेरे पूरे, आपहि दरश दिखाय।।

आओ री सखी मिल आरती करिहैं, लेओ पुरुष रिझाय।
भाग्य जगा कोई अचरज न्यारा, अवसर अद्भुत पाय।।

क्या सतगुरु के ऊपर वारुं, भेंट धरुं क्या लाय।
बिन सतगुरु कुछ और न सूझे, तन धन तुच्छ दिखाय।।

सतगुरु चरण पकड़ कर दृढ़ से, विनती करत बनाय।
हे स्वामी मेरी ओर निहारो, चित्त की आस बुझाय।।

अब से बिछड़न होय न कबहूँ, सदा रहूँ लिपटाय।
घर तुम्हरे कुछ कमी न आयी, चित मेरा ठहराय।।

जस तस दान देवो मोहे स्वामी, जस तस लेवो अपनाय।
जयगुरुदेव दयाल परम् हितकारी, होइये आज सहाय।।

जयगुरुदेव....
शेष क्रमशः पोस्ट न. 34 में पढ़ें 👇🏽

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Baba jaigurudev ji maharaj



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