★ प्रार्थना सूची ★ (post no.23)

प्रार्थना 136.
★  *Jab sir par guru ji ka hath ho* ★

परम् पूज्य स्वामी जी महाराज व महाराज जी का आदेश...
*प्रार्थना, सुमिरन, ध्यान व भजन रोज होना चाहिए एवं २-३ प्रार्थना -*
*सभी प्रेमियों को याद होनी चाहिए।*
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जब सिर पर गुरु जी का हाथ हो 
मन अब तोहै चिंता काहे की।।
जब सिर पर गुरु जी का...........

वे अपनी शरण में ले लेंगे,
चरणों में तुझे बिठालेगें।
मेरे सतगुरु  गरीब नवाज हो,
मन अब तोहै चिंता कहे की ॥
जब सिर पर...............

मेरे सतगुरु ब्रह्मा विष्णु जी हैं,
मेरे सतगुरु राम और कृष्ण जी हैं।
मेरे सतगुरु दाता दयाल हो
मन अब तोहै चिंता काहे की ॥
जब सिर पर गुरु............

मेरे सतगुरु मथुरा काशी हैं,
मेरे बाबा संत अविनाशी हैं।
मेरे सतगुरु तीरथ राज हो
मन अब तोहै चिन्ता काहे की ॥
जब सिर पर गुरु का...........

मेरे सतगुरु बड़े दयालु हैं,
मेरे गुरुवर बड़े कृपालु हैं।

तेरे बन जाएंगे सब काम हो 
मन अब तोहै चिंता काहे की॥
जब सिर पर गुरु जी...........

क्यों इधर उधर तू भटक रहा,
अब मान ले प्यारे गुरु का कहा।
गुरु भव सागर के जहाज हो।
मन अब तोहै चिंता काहे की ॥

जब सिर पर गुरु जी का...
जब सिर पर दाता का.....

जयगुरुदेव ★




*विरह प्रार्थना 137.-*
★ *Tadap rahi behal* ★
*जयगुरुदेव नाम प्रभु का*

तड़प रही री बेहाल, दरश बिन मन नहिं माने ।
कासे कहूँ बिथाय, दरद मेरा कोई नहिं जाने ।।

निशदिन हर बार, सोच यह मोहिं सतावत ।
गुरु से कैसे मिलूँ, जतन कोई बनि नहिं आवत ।।

छिन-छिन घटत शरीर, उमर यों ही बिती जावै ।
कस पाऊँ दीदार, सोच यहि मन में आवै ।।

बिन सतगुरु की मेहर, बने नहिं कोई काजा ।
सतगुरु दीन दयाल, दया का कीजै साजा ।।

समरथ सुनो पुकार, पाट घट खोल दिखाओ ।
दरशन देकर आज, हिये की तपन बुझाओ ।।

तड़पत रही री बेहाल, दरश बिन मन नहिं माने ।
कासे कहूँ बिथाय, दरद मेरा कोई नहिं जाने ।।




जयगुरुदेव प्रार्थना 138.
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★ *Tara hai Sara jamana* 


तारा है सारा जमाना नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है तुमने प्रह्लाद को तारा,
नरसिंह रूप धर आना। नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है तुमने भीलनी को तारा,
बेरो का करके बहाना। नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है नाथ अहिल्या को तारा,
शिला का लेके बहाना। नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है तुमने केवट को तारा,
नईया का करके बहाना। नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है नाथ द्रोपदी को तारा,
चीर का लेके बहाना। नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है नाथ सुदामा को तारा,
चावल का करके बहाना। नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है गोपी ग्वालों को तारा,
माखन का करके बहाना। नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है नाथ मीरा को तारा,
अम्रत का लेके बहाना। नाथ हमको भी तारो...

हमने सुना है नाथ भक्तों को तारा,
सत्संग का लेके बहाना। 
नाथ हमको भी तारो...

चारों दिशाओं मे गूंजा है नारा,
जयगुरुदेव सन्त हम सबको है प्यारा।
चरणों मे ध्यान लगाना नाथ हमको भी तारो...

जयगुरुदेव...





जयगुरुदेव प्रार्थना 139
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★ Tere bharose meri jindgi hai  


तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है,
चरणों मे तेरे मेरी बन्दगी है।

रात दिवस मै तुमको न भूलूं,
जो कुछ मौज हो सबकुछ सहलूं;
टूटे न नाता यही बन्दगी है,
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है।।

बनता नही है मुझसे साधन भजन कुछ,
चलती नही है मेरी काबिज मन पर;
रहे याद तेरी बस यही बन्दगी है,
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है।।

धरम व करम का भेद न जानूं,
अपना पराया कुछ भी न मानूँ,
सौप रहा गुरु अपनी जिंदगी है,
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है।।

चाहो तुम् जिसको जरिया बना लो,
नाले को चाहो दरिया बना लो;
बड़े बड़ो क़ी हस्ती मिटी है,
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है।।

प्रकट रूप तेरा सन्तों मे पाऊँ,
जयगुरुदेव स्वामी वलि वलि जाऊँ;
पाने के पहले बड़ी गन्दगी है,
तेरे भरोसे मेरी जिंदगी है।।

*जय गुरु देव...*




★ 140. Tere Siva vo koun hai 
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बाबा जी की रचना

तेरे सिवा वो कौन है जानू मैं अपना जिसे गुरू।
अपना जिसे माना था मैं वे सब बेगाना हुए गुरू।।

माता-पिता थे जिनसे मैं बचपन में पाया प्यार था।
वो भी अधर में छोड़कर हमको रवाना हुए गुरू।।

पत्नीभी अपनी हितैषिणी अपना किया था प्यार से।
उसका कहां वो प्यार है वो सब तराना हुए गुरू।।

बेटी व बेटे जिनके लिए मैं पचता रहा था रात-दिन।
वो भी हैं गैरों के हो चले, अपना न माना हमें गुरू।।

प्यारा था अपना ये तन जिसे मोटा किया था पालकर।
थकता सा जा रहा है ये, अब छोड़ जाना इसे गुरू।।

मन इन्द्रियों के राजा बने गफलत में सोते रहे सदा।
जाना न जाने के दिन आ गए, अब तो है जाना इसे गुरू।।

मस्ती में सब उम्र काट दी, घर की खबर से बेखबर।
लादा पहाड़ पाप का, लेकर के जाना पड़े गुरू।।

सबसे निराश हो के मैं, आया तुम्हारी छाँव में।
तुमसे मिला वो प्यार है, मुश्किल है पाना जिसे गुरू।।

तेरे अगाध प्यार की मस्ती में आखें बन्द कीं।
तुम हंसते मिले मैं रोकर कहा अब ना भुलाना हमें गुरू।।

पाकर तुम्हें हमको प्रभु पाना रहा न शेष है।
अब ना किसी से प्यार हो, तेरे अलावा हमें गुरू।।





जयगुरुदेव प्रार्थना 141. 
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★ Tere darbar me bhagvan 


तेरे दरबार में भगवन, बड़ी आशा से आई हूँ।
यह विनती जो हमारी है, सुनाने तुमको आई हूँ।।

न सेवा है न साधन है, न शक्ति है न भक्ति है।
ये रोना अपना लेकर मैं, सुनाने तुमको आई हूँ।।

कहीं पर तन्दुल, कहीं पर बेर झूठे थे मगर भगवन।
यहाँ तो आँसुओ का जल चढ़ाने तुमको आई हूँ।।

सुना है टेर पर भक्तों के, नंगे पांव धाते हो।
यहां तो स्नेह लेकर मैं, रिझाने तुमको आई हूँ।।

पतित को भूल मत जाना कि तुम पतितों के पावन हो।
इसी की याद मैं सतगुरु, दिलाने तुमको आई हूँ।।



*जय गुरु देव...*
शेष क्रमशः पोस्ट न. 24 में पढ़ें 👇🏽

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 स्वामी जी महाराज

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