जयगुरुदेव प्रार्थना 166.
*Guru tere charno me*
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गुरु तेरे चरणों में स्वर्ग पा लिया है,
जमीं पर खड़े आसमा पा लिया है।
गुरु तेरे चरणों में स्वर्ग पा लिया है....
हमें जो ना सूझा, सुझाया वो तुमने,
हमें जो ना सूझा सुझाया है तुमने।
बना जो ना हमसे, बनाया वो तुमने।
मरुस्थल में हमने चमन पा लिया है।।
गुरु तेरे चरणों में स्वर्ग पा लिया है....
चरण में शरण दे नाव छोड़ देना,
सदा के लिए प्रेम से जोड़ देना।
बने दिव्य जीवन वो रस पा लिया है।।
गुरु तेरे चरणों में स्वर्ग पा लिया है....
जयगुरुदेव
जयगुरुदेव प्रार्थना 167.
*Gurudev hamare avo ji*
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गुरुदेव हमारे आवो जी।
बहुत दिनों से लागो उमाहो, आनंद मंगल लाओ जी।
पलकन पंथ बुहारू तेरो, नयन परे पग धारो जी।
बाट तुम्हारी निशदिन देखूं, हमारी ओर निहारो जी।
करूं उछाह बहुत मन सेती, आंगन चैक पुराऊं जी।
करूं आरती तन मन वारू, बार-बार बलि जाऊं जी।
दै परीकरमा शीश नवाऊं, सुन सुन बचन अघाऊं जी।
गुरु सुखदेव चरण हुं दासा, दर्शन माहीं समाऊं जी।
गुरुदेव हमारे आवो जी।
जयगुरुदेव प्रार्थना 168.
* Gurudev meri naiya*
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गुरुदेव मेरी नैया, उस पार लगा देना।
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।
संभव है झंझटों में, मैं तुमको भूल जाऊँ।
पर नाथ दया करके मुझ को न भुला देना।
दल बल के साथ माया, घेरे जो मुझे आकर।
तुम देखते ना रहना झट आ के बचा लेना।
तुम देव मैं पुजारी, तुम इष्ट मैं उपासक।
चरणो तें पड़ा तेरे, हे! नाथ निभा लेना।।
जयगुरुदेव प्रार्थना 169.
*Guru aa jao ek bar*
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गुरु आ जाओ एक बार, गुरु आ जाओ एक बार।
मेरे जीवन मेरे सार, गुरु आ जाओ एक बार।।
मेरी पूँजी तुम आधार, गुरु आ जाओ एक बार।
अब खोलो दया के भण्डार, गुरु आ जाओ एक बार।
तुम बिन मैं अनजान गुरु, तुम ही मेरे प्राण गुरु।
गुरु आ जाओ एक बार।
कब से राह निहार रही हँ, कब से तुम्हें पुकार रही हूँ.
बहे अँखिया जल धार, गुरु आ जाओ एक बार।
मेरे नयना तरस रहे हैं, सावन भादों बरस रहे हैं।
गुरु आ जाओ एक बार।
करूं विनती हाथ जोड़कर, क्यों सुनते नहीं पुकार।
किसे सुनाऊं विरह मैं अपनी, हूं मैं बड़ी लाचार।
गुरु आ जाओ एक बार।
हे जयगुरुदेव पियारे, मेरी ओर निहारो, मैं शरण तिहारो,
कब से राह निहार रही हूँ, कब से तुम्हें पुकार रही हूँ.
जयगुरुदेव प्रार्थना 170.
*Dayalu daya sindhu hain nam tere*
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दयालु दया सिन्धु हैं नाम तेरे
तो फिर दया क्यों नही होती मेरे ।।१।।
तुम हो सिन्धु हूँ बूंद मै भी तुम्हारी
किस अपराध मे मै बंदि काल घेरे ।।२।।
तड़फती हूँ दिन रात मिलने को तेरे
मै बन्धन मे तुम सुख की लेते हिलोरें ।।३।।
तेरी अंश मै इतना दुःख पा रही हूँ
पिता चुप खड़े क्यों हो दृष्टि फेरे ।।४।।
कृपा दृष्टि मुझपर जो एक बार होती
तो दुःख जन्म मरने के कट जाते मेरे ।।५।।
°°°जयगुरुदेव°°°
शेष क्रमशः पोस्ट न. 29 में पढ़ें 👇🏽
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