संतमत चेतावनी 20.

जयगुरुदेव  चेतावनी 108.
★ Chali ja rahi he 
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चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
सुबह शाम और दोपहर धीरे धीरे।।

बचपन भी बीता जवानी भी बीती,
बुढ़ापे का होगा असर धीरे धीरे।।
चली जा रही है...

गिरे दांत तेरे हुए केस उजले, 
झुकी जा रही है कमर धीरे धीरे।।
चली जा रही है...

अगर चाहते हो कल्याण अपना, 
भजो नाम आठों पहर धीरे धीरे।।
चली जा रही है...

चली जा रही है उमर धीरे धीरे।
सुबह शाम और दोपहर धीरे धीरे।।



जयगुरुदेव  चेतावनी 109.
★  Chalo guruki sharaniya 
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चलो गुरु की  शरणियाँ, जगवा से नाता तोड़ के।।

इस दुनिया से एक दिन प्यारे, पड़ेगा सबको जाना।
कौड़ी-कौड़ी जमा किया, सब छोड़ के माल खजाना।
यहाँ कोई न  रहेगा, माता-पिता से नाता जोड़ के।।

पेट पकड़ के माता रोवे, बाँह पकड़कर भाई।
पैर पकड़कर छोड़त नाहीं, रो रो कहै लुगाई।
सैंया मत जा अकेेले, लाल चुनरिया ओढ़ के।।

चार जने मिल करके आए, करने लगे तैयारी।, 
कोई हाथ कोई पांव पकड़ के , दीनी हमें सवारी। 
चले चार कहरवा, मुखवा से राम नाम बोल के।।

कोई धूप कोई चंदन लगावे, कोई बेल की पाती।
जीते जी स्वारथ के साथी, आगे कोई न संघाती।
चिता पर हमको लिटावे, ऊपर से लकड़िया जोड़ के।।

जो नहिं भजता सतनाम, नहिं सन्त सरन में आवे। 
काम बिगाड़े जग में अपना, घोर नरक में जावे। 
एक दिन जाएगा अकेला, अपना पराया सब छोड़ के चलो।।



जयगुरुदेव  चेतावनी 110.
★ Cheto mere pyare tere bhale ki kahu 
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चेतो मेरे प्यारे तेरे भले की कहूं।
चेतो मेरे प्यारे तेरे भले की कहूं।।

गुरु तो पूरा ढूढ़ तेरे भले की कहूं।
शब्द रता गुरु देख तेरे भले की कहूं।।

तिस गुरु सेवा धार तेरे भले की कहूं।
गुरु चरणामृत पी तेरे भले की कहूं।।

गुरु प्रसादी खाव तेरे भले की कहूं।
गुरु आरत करले तेरे भले की कहूं।।

तन मन भेंट चढ़ाव तेरे भले की कहूं।
वचन गुरु के मान तेरे भले की कहूं।।

गुरु को कर प्रसन्न तेरे भले की कहूं।
नित्त भजन कर नेम तेरे भले की कहूं।।

जीव दया तू पाल तेरे भले की कहूं।
दुःख न दे तू काय तेरे भले की कहूं।।

वचन तान मत मार तेरे भले की कहूं।
कड़वा तू मत बोल तेरे भले की कहूं।।

सबको सुख पहुंचाव तेरे भले की कहूं।
नाम अमी रस पीव तेरे भले की कहूं।।

शील क्षमा चित्त धार तेरे भले की कहूं।
संतोष विवेक विचार तेरे भले की कहूं।।

काम क्रोध को त्याग तेरे भले की कहूं।
लोभ मोह को टार तेरे भले की कहूं।।

दीन गरीबी धार तेरे भले की कहूं।
संतों की कर प्रीत तेरे भले की कहूं।।

भोजन बहुत मत ख़ाव तेरे भले की कहूं।
सतसंग में तू जाग तेरे भले की कहूं।।

मान बड़ाई छोड़ तेरे भले की कहूं।
भोग वासना जार तेरे भले की कहूं।।

सम दम हिरदे धार तेरे भले की कहूं।
वैराग भक्ति न छोड़ तेरे भले की कहूं।।

गुरु स्वरूप धर ध्यान तेरे भले की कहूं।
गुरु का ही जप नाम तेरे भले की कहूं।।

गुरु अस्तुत कर नित तेरे भले की कहूं।
गुरु से प्रेम बढ़ाव तेरे भले की कहूं।।

तीरथ मूरत भर्म तेरे भले की कहूं।
जात अभिमान बिसार तेरे भले की कहूं।।

पिछलों की तज टेक तेरे भले की कहूं।
वक्त गुरु को मान तेरे भले की कहूं।।

तीरथ गुरु के चरण तेरे भले की कहूं।
गुरु की सेवा बर्त तेरे भले की कहूं।।

विद्या गुरु उपदेश तेरे भले की कहूं।
और विद्या पाखण्ड तेरे भले की कहूं।।

लीक पुरानी छोड़ तेरे भले की कहूं।
जो गुरु कहें सो मान तेरे भले की कहूं।।

मारग ज्ञान न धार तेरे भले की कहूं।
भक्ति पंथ सम्हार तेरे भले की कहूं।।

सुरत शब्द मत ले तेरे भले की कहूं।
सुरत चढ़ा नभ माहि तेरे भले की कहूं।।

गगन त्रिकुटी जाव तेरे भले की कहूं।
दशवें द्वार समाव तेरे भले की कहूं।।

भंवर गुफा चढ़ आव तेरे भले की कहूं।
सतलोक धंस जाव तेरे भले की कहूं।।

अलख अगम को पाव तेरे भले की कहूं।
जयगुरुदेव नाम ध्याव तेरे भले की कहूं।

भटक अटक सब तोड़ तेरे भले की कहूं।
टेक पक्ष गुरु बांध तेरे भले की कहूं।

चेतो मेरे प्यारे तेरे भले की कहूं।
गुरु तो पूरा ढूंढ़ तेरे भले की कहूं।।

जयगुरुदेव


जयगुरुदेव  चेतावनी 111.
Do din ka vakt lekar 
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दो दिन का वक्त लेकर आया है तू अकेला।
कुछ तो खरीद ले रे उठ जायेगा ये मेला।।
दो दिन का वक्त लेकर...

ख़रीद ले प्रेम प्रभु का जो आठों याम बिकता है।
तेरा क्या इसमें जाता है ये तो बिन दाम मिलता है।।
जिसने इसे बिसारा उसने है दुःख को झेला।।
दो दिन का वक्त लेकर...

यहां बिकती अच्छाई है यहां बिकती बुराई है।
ये तुमको सोचना बन्दे तेरी किसमे भलाई है।
ये तुमको सोचना प्राणी...
सच्चाई संग चलेगी ना साथ जाए धेला।।
दो दिन का वक्त लेकर...

नही कुछ लेकर आया था नही कुछ लेकर जायेगा।
कमाई जितनी की तूने यहीं सब देकर जायेगा।
विषयों में सारा जीवन तूने सदा ही झेला।
दो दिन का वक्त लेकर आया है तू अकेला।।



जयगुरुदेव  चेतावनी 112.
Dhyan abhi na doge to
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ध्यान अभी ना दोगे तो पछताओगे,
पा चुके जितनी सुविधा ना अब पाओगे।
आज क्या सोचते क्या असुविधा पड़ी,
धर्म के राह में कैसी बाधा खड़ी,
आज से अच्छा मौका ना कल पाओगे....१।

ऐसा नरतन तुमको मिलेगा कभी,
तन मिला भी तो गुरु ना मिलेगा कभी,
गुरु मिला भी तो पूरा ना गुरु पाओगे....२।

काल भगवान डंडा उठाए खड़े,
और दयालु बचाने हमें चल पड़े,
मान बात अभी तो बच जाओगे....३।

मांस मछली व अंडों का सेवन तजो,
सब नशे छोड़ प्यारे प्रभु को भेजो,
आओ सत्संग मैं सब समझ जाओगे....४।

जयगुरुदेव
शेष क्रमशः पोस्ट 21. में पढ़ें 🙏🏻👇🏼

Jaigurudev-sangat





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