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प्रार्थना 158.
*Bata do prabhu tumko pau me kese*
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बता दो प्रभु तुमको पाऊं मै कैसे,
विमुख होके सन्मुख अब आऊँ मै कैसे ।।१।।
विषय वासनायें निकलती नही हैं
ये चंचल चपल मन मनाऊँ मै कैसे ।।२।।
कभी सोचती तुमको रोकर पुकारूँ
पर ऐसा ह्रदय को बनाऊ मे कैसे ।।३।।
प्रबल है अहंकार साधन न संयम,
ये अज्ञान अपना मिटाऊँ मे कैसे ।।४।।
कठिन मोह माया मे अतिसय भ्रमित हूँ,
गुरु बिन दया पार पाऊँ मै कैसे ।।५।।
हृदय दिव्य आलोक से जो विमल हो,
विनय इस तरह की सुनाऊँ मै कैसे ।।६।।
दया मय तुम्ही मुझ पतित को सम्हालो,
मै कितनी पतित हूँ दिखाऊँ मै कैसे ।
बताओ प्रभु तुमको पाउँ मै कैसे ।।७।।
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प्रार्थना 159.
*Chhod doge mujhe e mere satguru*
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छोड़ दोगे मुझे ऐ मेरे सतगुरु,
नाँव मेरी भंवर बीच फँस जायेगी।।
अपने चरणों का दे दो सहारा मुझे,
मेरी किश्ती किनारे से लग जाएगी।।
ऐ मेरे सतगुरु यह अरज है मेरी
अपने दर का भिखारी बना लीजिए।।
दूर चरणों से दाता न मुझको करो
एक इशारे से नैया सम्भल जायेगी।।
मै पतित से पतित अवगुणों से भरा
आपका ही है केवल मुझे आसरा।।
नाम का जाम भर के पिला दीजिये
जिंदगी इस अधम की संवर जायेगी।।
लाख अवगुण किये फिर जो आया शरण
उसकी बिगड़ी सुधारी प्रभु आपने।।
एक नजर मेरे दाता जो मुझ पर करो
मौत भी सामने आके टल जायेगी।।
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प्रार्थना 160.
*Mehar ki najar karo meri or*
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मैहर की नज़र करो मेरी ऒर,
दया की नजर करो मेरी ऒर।।१।।
निशदिन तुम्हे निहारूं सतगुरु जैसे चन्द्र चकोर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।२।।
जानू न कौन भूल हुई तन से,
लियो हमसे मुख मोड़,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।३।।
बालक जान चूक बिसराओ,
आया शरण अब मै तोर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।४।।
सदा दयालू स्वभाव तुम्हारा,
मेरी विरिया कस भयऊ कठोर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।५।।
शरणागत की लाज न राखो,
मो सो पतित अब जायें किस ऒर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।६।।
अबकी बार उबार लेव जो,
फिर न धरउँ पग यही मग ऒर,
दया की नज़र करो मेरी ऒर।।
मैहर की नजर करो मेरी ओर।।७।।
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प्रार्थना 161.
*daya kar daan bhakti ka*
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दया कर दान भक्ति का हमे गुरुदेव जी देना
दया देना हमारी आत्मा मे शुद्धता देना।।१।।
हमारे ध्यान मे आओ गुरु नैनो मे बस जाओ
अँधेरे दिल मे आकर के परम ज्योति जला देना।।२।।
हमारा धर्म हो सेवा हमारा कर्म हो सेवा
सदा ईमान हो सेवा वो सेवक चर बना देना।।३।।
वहा दो प्रेम की गंगा दिलों मे प्यार का सागर
हमे आपस मे मिल जुलकर गुरु रहना सिखा देना।।४।।
भजन के वास्ते जीना भजन के वास्ते मरना
भजन पर जान फ़िदा करना गुरु हमको सिखा देना।।५।।
दया कर दान भक्ति का हमे गुरुदेव जी देना
दया देना हमारी आत्मा मे शुद्धता देना।।६।।
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प्रार्थना 162.
*Dekho guru darwar*
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देखो गुरु दरबार मची होली। सखि देखो । टेक॥
उड़े अबीर गुलाल चहूं दिश ले लाल फुहार पवन डोली ।
लाल अकाश लाल रवि मंडल कण-कण भूमि लाल धूली ।
भये गिरी लाल लाल कानन तरु लाल लता तिन पर फूली ।
बजत मृदंग मेघ जनु गर्जहि, होत मल्हार कहीं होली।
हंस-हंसिनी नाचे गावे रंग भूमि में राम धनुष तोड़ी ।
सीता सुरत सुमन की माला ले श्रीराम गले मेली ।
सोई बड़ भागी जो यह होली, जयगुरुदेव कृपा खेली ।
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प्रार्थना 163.
*Darshan bin bahut din beete*
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दर्शन बिन बहुत दिन बीते, गुरुजी कब आओगे।
मेरे थक कर हारे नैना, दरश कब लाओगे।।
अंखियां गुरु दर्शन की हैं प्यासी,
बिन दर्शन वो तो रहत उदासी।
मोहे रात दिवस नही चैना, दरश कब दिखाओगे।।
याद तुम्हारी जब जब आए,
नैना हमारी भरी भरी आएं।
मोहे दरश बिना नही चैना, दरश कब दिखाओगे।।
दर्शन बिन बहुत दिन बीते, गुरुजी कब आओगे।
मेरे थक कर हारे नैना, दरश कब लाओगे।।
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प्रार्थना 164.
*Darash hamko dikha jao*
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दरस हमको दिखा जाओ तुम्हारी इंतजारी है।
नही मन मानता मेरा बड़ी ही वे करारी है।।
हमें वाे दिन नही है भूलता जब बाहें पकड़ी थी।
तुम्हारी मोहनी मूरत ने जादू हम पे डारी है।।
दरस हमको दिखा...
ये आंखें बंद करते ही सामने आप आ जाते।
नयन खुलते ही छिप जाते ये क्या आदत तुम्हारी है।।
दरस हमको दिखा...
लोग कहते दो आंखों से जो दीखे वही सच है।
ठीक विपरीत देकर सीख क्यों भ्रम हम पे डारी है।।
दरस हमको दिखा...
प्रभु हैं आप गुरु हैं आप की बातें सभी सच हैं।
हमें तो आपकी मूरत ईश्वर से लगती प्यारी है।।
दरस हमको दिखा...
दयामय मेरे जयगुरुदेव यह विनती हमारी है।
इधर देते रहो दर्शन उधर मर्जी तुम्हारी है।।
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प्रार्थना 165.
*Deenbandhu deenanath*
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दीन बन्धु दीना नाथ, मेरी डोरी तेरे हाथ।
सतगुरु स्वामी दीन नाथ, मेरी डोरी तेरे हाथ।।
सूरत का सजाओ साज, मेरी डोरी तेरे हाथ।
सहस कंवल मैं जाऊं भाज, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
सूरत का सजाओ साज मेरी डोरी तेरे हाथ ।
देखूँ वहाँ का समाज, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
त्रिकुटी द्वार पाउँ घाट, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
दसम द्वार खोलूं पाट, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
भवर गुफा अगम घाट, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
खोल वहां का कपाट, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
सत्त लोक में पाउं बास, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
सतपुरुष के जाउं पास, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
अलख लोक में पाऊ बास, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
अगम लोक मे पाऊं बास, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
जग की सब छूटे आस, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
यम की अब टूटे त्रास, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
निज चरणों में पाऊ बास, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
सतगुरु निज साथ साथ, मेरी डोरी तेरे हाथ ।
जयगुरुदेव
शेष क्रमशः पोस्ट न. 28 में पढ़ें 👇🏽
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