जयगुरुदेव चेतावनी 113.
★ Ek din to yaha se ★
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एक दिन तो यहां से चलन होगा,
बन्दे काहे पाप करे।।
बचपन बीता आई जवानी, हुआ नशे में चूर।।
इस सुंदर काया पे काहे तूने किया गुरूर।
माटी इक दिन तन होगा। बन्दे काहे पाप करे।।
निर्धन और भूखे को तूने कभी दिया ना दान।
पाप कमाया, आंख दिखाया, खूब दिखाई शान।
बेकार तेरा ये तन होगा। बन्दे काहे पाप करे।।
क्या लेकर आया है जग में, और क्या लेकर जाय।
मुठ्ठी बांध के आया था तू, हाथ पसारे जाए।
दो गज तन पे कफ़न होगा। बन्दे काहे पाप करे।।
पाप छोड़कर बन्दे चल तू, अब मुक्ति के धाम।
गुरु भजन से बन जाएंगे तेरे सारे काम।
साथ ये चंचल मन होगा, बन्दे काहे पाप करे।
इक दिन तो यहां से चलन होगा बन्दे काहे पाप करे।।
जयगुरुदेव....
जयगुरुदेव चेतावनी 114.
★ Gurudev se karlo prit ★
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गुरुदेव से करलो प्रीत, ये जीवन दो दिन का।
जयगुरुदेव जी से करलो प्रीत, ये जीवन दो दिन का।।
प्रीति करो तो ऐसी करियो, जैसे खेती से करत किसान।
ये जीवन दो दिन का...
स्वामी जी से करलो प्रीत, ये जीवन दो दिन का...
समय के सतगुरु से कर लो प्रीत ये जीवन दो दिन का।।
खेती करावे फसल उगावे, जिसे खावे सारा संसार।
ये जीवन दो दिन का...
गुरुदेव से कर लो प्रीत ये जीवन दो दिन का।।
प्रीत करो तो ऐसी करिओ, जैसे सोने से करत सुनार।
ये जीवन दो दिन का।
सोना गलावे गहना बनावे, जिसे पहने सब संसार।
ये जीवन दो दिन का।
गुरुदेव से कर लो प्रीत ये जीवन दो दिन का।।
प्रीत करो तो ऐसी करीओ, जैसे भक्त से करे भगवान।
मंदिर बनावे मूरत बिठावें, जिसे पूजे सारा संसार, ये जीवन दो दिन का।।
प्रीत करो तो ऐसी करिओ,
जैसे हमसे करें महाराजजी।
पास बुलावें नामदान बतावें,
करते सबका कल्याण ये जीवन दो दिन का।
गुरुदेव से करलो प्रीत, ये जीवन दो दिन का।
जयगुरुदेव जी से करलो प्रीत, ये जीवन दो दिन का।।
Jaigurudev
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जयगुरुदेव चेतावनी 115.
★ Ghar ko hi mandir banaungi ★
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घर को ही तीरथ बनाऊंगी, मन्दिर में काहे को जाऊंगी।।
मन्दिर के देवता बोलें ना डोलें,
का उनको विनती सुनाऊंगी,
मन्दिर में काहे को जाऊंगी।।
हमरा मनुज तन असली मन्दिर है,
इसी मन्दिर को सजाऊंगी।
अपने घर को ही तीरथ बनाऊंगी,
मन्दिर में काहे को जाऊंगी।।
हमरे गुरुजी बोलें व डोलें,
उन्ही से प्रीत लगाऊंगी।
हमरे प्रभुजी बोलें व डोलें,
उन्ही से प्रीत लगाऊंगी।
सतगुरु से प्रीत लगाऊंगी,
अपने घर को ही तीरथ बनाऊंगी,
मन्दिर में काहे को जाऊंगी।।
सासूजी गोरा ससुरजी शंकर,
पति को परमेश्वर बनाऊंगी।
मन्दिर में काहे को जाऊंगी।।
जयगुरुदेव चेतावनी 116.
★ Guru ka nam sada sukhkari ★
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गुरु का नाम सदा सुखकारी रे।
कोई सुमिरे देखे नर नारी।।
बिन जिव्हा बिन तालवे, अंतर सुरत लगाय।
ऐसा सुमिरन जो करे, भावसागर तर जाय।।
ऐसा कहते वेद पुकारी रे, कोई सुमिरे देखे नर नारी।।
नाम सुमिर प्रहलाद भक्त ने लिया अग्नि को जीत।
विष का प्याला मीरा पी गई, ऐसा नाम पुनीत।।
गुरु नाम की महिमा भारी रे, कोई सुमिरे देखे नर नारी।।
गुरु का नाम सदा हितकारी...
पावन नाम सुमिर हनुमंत ने लंका दई जलाय।
नाम प्रताप रावण अंगद का पद नहीं सका हलाय।।
करले उसी नाम से यारी रे, कोई सुमिरे देखे नर नारी।।
गुरु का नाम सदा हितकारी...
नाम प्रताप से ब्रह्मा जी ने जग की सृष्टि रचाई।
महामंत्र कह उसी नाम को शिव शंकर ने गाई।।
अपने मन में देख बिचारी रे, कोई सुमिरे देखे नर नारी।।
गुरु का नाम सदा हितकारी...
कोई सुमिरे देखे नर नारी।।
जयगुरुदेव चेतावनी 117.
★ Guru dariya me nahana★
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गुरु दरिया में नहाना, मन कहीं और न जाना।।
गुरु दरिया का सदा जल निर्मल,
बैठत उपजत ज्ञाना मन कहीं और न जाना।।
कोटिन तीरथ गुरु चरणों में,
गावत वेद पुराना, मन कहीं और ना जाना।।
सुर नर मुनि और पीर ओलिया,
यह सब भरम भुलाना, मन कहीं और न जाना।।
गुरु दरिया में पलटू नहाए,
छूट गया सब आना जाना, मन कहीं और ना जाना।।
कहत कबीर सुनो भाई साधू।,
गुरु हैं मूल ठिकाना, मन कहीं दूर मत जाना।।
गुरु दरिया में नहाना, मन कहीं और न जाना।।
जयगुरुदेव
शेष क्रमशः पोस्ट 22. में पढ़ें 🙏🏻👇🏼
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