मन को शांत करने वाली प्रार्थनाएं (Post no. 29)

परम् पूज्य स्वामी जी महाराज व महाराज जी का आदेश...  
*प्रार्थना रोज होनी चाहिए एवं २-३ प्रार्थना -*
*सभी प्रेमियो को याद होनी चाहिए।*
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जयगुरुदेव प्रार्थना 171. 
*Guudev bacha lo mujhe*
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गुरुदेव बचा लो मुझे, मैं शरण पड़ा तेरी।
तुम करुणा के सागर हो, प्रभु विनती सुनो मेरी।।

ये दुनिया सताती है, तेरे दर से हटाती है।
दीनों के सहायक हो, अब क्या है नाथ देरी।।
गुरुदेव बचा लो मुझे, मैं शरण पड़ा तेरी।।

तुम समरथ दाता हो, मेरे भाग्य विधाता हो।
भक्तों के प्यारे हो, अब बांह पकड़ मेरी।।
गुरुदेव बचा लो मुझे, मैं शरण पड़ा तेरी।।

तुम कितने सुंदर हो, तेरे जैसा और नहीं।
जीवन के उजियारे हो, प्यारी है झलक तेरी।।
गुरुदेव बचा लो मुझे, मैं शरण पड़ा तेरी।।

तेरी शक्ति का अंत नहीं, तेरी महिमा का पार नहीं।
तुम मुक्ति के दाता हो, प्रभु लीजे सुधि मेरी।।
गुरुदेव बचा लो मुझे, मैं शरण पड़ा तेरी।।

जयगुरुदेव



जयगुरुदेव प्रार्थना 172. 
*Guru mere parmatma*
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गुरु मेरे परमात्मा, परमात्मा। तेरे दरश को तरसे आत्मा।।

काम, क्रोध ने है उलझाया,
राग, द्वेष ने है भरमाया।
शक्ति दो करूं साधना, करूं साधना।
तेरे दरस को तरसे आत्मा।।

राह दिखाओ है अंधियारा,
सूझता नहीं कोई किनारा।
स्वीकारो मेरी ये प्रार्थना, प्रार्थना।
तेरे दरस को तरसे आत्मा।।

तू ही मेरा भाग्य विधाता, हर पल मेरा साथ निभाता।
तुम्हें पहचाने मेरी आत्मा, मेरी आत्मा।
तेरे दरस को तरसे आत्मा।।

दर्शन के बिन रहा न जाए, प्राण है अब कंठ में आए।
स्वीकारो मेरी ये प्रार्थना, प्रार्थना।
तेरे दरस को तरसे आत्मा।।

दया धर्म का मुझको वर दो, भक्ति से मेरी झोली भर दो।
दुखों का करदो खात्मा, खात्मा।
तेरे दरस को तरसे आत्मा।।

जयगुरुदेव



जयगुरुदेव प्रार्थना 173. 
*Guru kese me aau satsang me*
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कजली 

गुरु कैसे मैं आऊं सत्संग में पड़ी हूँ कुसंग में ना ।
पिया गंगा नहावें,जल शिव पे चढ़ावें,
लावें मछली दो एक नित संग में,
हमसे कहते हैं बनाओ रस्सा हमको चखाओ खा पीकर सोलाओ पलंग में ।
लम्बी तिलक लगावें भेष भक्त का बनावें ,गांवें गीता रामायण कीर्तन में । 
नारि धर्म समुझावें पति भक्ति सिखाबैं 
आप बहते हैं पाप के तरंग में । 
जयगुरुदेव अरज मेरी सुनो कहती कर जोर , 
बुद्धि इनकी लियाओ शुद्ध ढंग में। 
ढोंग इनके छुड़ाओ सत्संग में बुलाओ , संग दोष से बचाओ अविलंब में ।



जयगुरुदेव प्रार्थना 174. 
*Fariyad meri sunte hi gurudev chale ana*
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फरियाद मेरी सुनकर, गुरुदेव चले आना-२
करूं विनती यही सतगुरु, चरणों में जगह देना।।

इक तू ही तो हो अपना, जग सारा है बिराना।
दर्द दिल का मेरा गुरुवर बस तुमको है सुनाना।

दिल में है अंधियारा, बस ज्योति इक जलाना।
अरदास मेरी सुनकर थोड़ी सी रहम करना।।
करूं विनती यही सतगुरु चरणों में जगह देना।।
फरियाद मेरी सुनकर गुरुदेव चले आना।।

मेरा खाली पड़ा दामन भक्ति से भर देना।
अपने दर के भिखारी को यूं ना ठुकरा देना।।

कहते हैं इस जग में तुमसा ना कोई दाता।
सुनते हैं इस में तुमसा ना कोई दाता।
मैं बालक तेरा नादान जरा हम पे दया करना।
हम बालक तेरे नादान जरा हम पे दया करना।।

फरियाद मेरी सुनकर गुरुदेव चले आना।।
करूं विनती यही सतगुरु चरणों में जगह देना।।

जयगुरुदेव



जयगुरुदेव प्रार्थना 175. 
*Guru vani me amrit bhara hai*
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गुरु वाणी मे अमृत भरा है, 
वो जमाने मे मिलता नही है।
तेरी नजरों मे जादू भरा है, 
ज्ञान गुरु बिन तो मिलता नही है।।

नूर ही नूर चहु दिशि तुम्हारे,
कोटि चन्दा और सूरज भी हारे।
दर्श पाये बिन स्वामी तुम्हारे,
प्रेम का रंग खिलता नही है।
गुरु वाणी मे अमृत भरा है, 
वो जमाने मे मिलता नही है।।

तूने त्रिभुवन अनेकों बनाये,
श्रष्टी चलती है तेरे चलाये।
नाथ तेरी तो बिन कृपा के,
एक पत्ता भी हिलता नही है।
गुरु वाणी मे अमृत भरा है, 
वो जमाने मे मिलता नही है।।

हाथ पकड़ा है तुमने हमारा,
हमको केवल हे तेरा सहारा।
सतगुरु को जो होता है प्यारा,
काल से भी वो डरता नही है।
गुरु वाणी मे अमृत भरा है, 
वो जमाने मे मिलता नही है।।

नाम धन का तू भरले खजाना,
छूट जायेगा सब आना जाना।
भाग्य से होता है नर तन का पाना,
अपनी मर्जी से मिलता नही है।।
गुरु वाणी मे अमृत भरा है, 
वो जमाने मे मिलता नही है।।

दीन बंधू हे दाता कृपालू, दो दया भक्ति मुझको दयालू,
दास चरणों का मुझको बना लो, 
गुरु चरण सब को मिलता नही है।
गुरु वाणी मे अमृत भरा है,
वो जमाने मे मिलता नही है।।

*जय गुरु देव...*



जयगुरुदेव प्रार्थना 176. 
*Guru bacha loge jisko*
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गुरु बचा लोगे जिसको बो बच जायेगा, 
फेर लोगे नजर तो वो फंस जायेगा ।

तेरी नजरों में कोई करामात है, 
हर समय होती अमृत की बरसात है ।
उसको विरला ही कोई समझ पायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

वो दयादृष्टि जिस पर हो जायेगी, 
भाग्य उसकी तत्क्षण सुधर जायेगा ।
वो सफल उसका नरतन भी हो जायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

बन चुका भार कोई हो संसार का, 
फेर ली हो नजर जिससे सब प्यार का, 
सब तरफ का भी हारा संभल जायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

तन में शक्ति नहीं, धन भी रत्ती नहीं ।
धर्म की भी तरफ भाव भक्ति नहीं ।
मन दुराचार में भी जो रम जायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

जिसका तेरे सिवा और कोई नहीं,
रात दिन तेरी भक्ति में सोई नहीं।
अंग संग उसके तब तू ही हो जायेगा ।
गुरु बचा लोगे...

जो नजर तेरी नजरों में डाले खड़ा,
धन्य वह हो गया भाग्यशाली बड़ा। 
उसका यमदूत कुछ भी न कर पायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

दीन दुखिया है मैं तेरे द्वारे पड़ा,
पाप से भर चुका है ये मेरा घड़ा। 
जो किया है उसी का फल पायेगा ।
गुरु बचा लोगे...

तेरे अतिरिक्त किसको पुकारूं गुरु,
तेरी मूरत सुरत में उतारूँ प्रभु।
नाम नौका पै चढ़ दास तर जायेगा ।
गुरु बचा लोगे...

नाम तेरा मैं मुख से उचारूँ प्रभु,
अपने अन्तः करण में निहारूँ प्रभु।
दीप जलते ही सब पाप धुल जायेगा।।
गुरु बचा लोगे...

दीप के साथ ध्वनियाँ भी बजने लगी,
स्वर्ग बैकुण्ठ की रील चलने लगी।
देव भी ऐसे साधु का गुण गायेगा ।।
गुरु बचा लोगे...

जयगुरुदेव भगवान का नाम है,
तुमको जो जान लेगा बना काम है।
देव मानव से भगवान हो जायेगा।।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।


जयगुरुदेव
शेष क्रमशः पोस्ट न. 30 में पढ़ें 👇🏽

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सतगुरु शांति वाले  तुमको लाखों प्रणाम 


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