★ Bhakto ki pukar ★ Chetavni 16.

जयगुरुदेव  चेतावनी 87.
★ Prabhu krapa jo hoi 
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प्रभु किरपा जो होइ तो, नाहिं होइ तो नाहिं।
पर गुरु किरपा दया बिन, सकल बुद्धि बहि जाहिं।।
निर्मल आनन्द देत हैं, ब्रह्म रूप करि देत।
जीव रूप की आपदा, सतगुरु सब हरि लेत।।
सब तीरथ गुरु के चरन, नित ही परवी होय।
'सहजो' चरणोदक लिये, पाप रहत नहिं कोय।।




  चेतावनी 88.
★ *Pani me meen pyasi
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पानी में मीन प्यासी मोहे सुन सुन आवत हांसी।
मोहे सुन सुन आवत हांसी।।

आत्म ज्ञान बिना नर भटके,
कोई मथुरा कोई काशी।
मोहे सुन सुन आवत हांसी।।

मृग नाभि में है कस्तूरी,
वन वन फिरत उदासी।
मोहे सुन सुन आवत हांसी।।

जल बिच कमल कमल बिच कलियां।
ता पर भंवर निराशी।
मोहे सुन सुन आवत हांसी।।

सो मन वश त्रिलोक भयो सब,
ऋषि मुनि सन्यासी।
मोहे सुन सुन आवत हांसी।।
पानी में मीन प्यासी मोहे सुन सुन आवत हांसी।।

विधि हरि हर जाको ध्यान धरत हैं,
यति मुनि सन्यासी।
मुनि जन सहस अठासी।
मोहे सुन सुन आवत हांसी।।

सो प्रभु तो तेरे घट माही,
अलख पुरुष अविनाशी।
मोहे सुन सुन आवत हांसी।।

घट में है पर दूर बतावे,
घर में है पर दूर बतावे।
दूर की बात नीराशी।
मोहे सुन सुन आवत हांसी।।

कहत कबीर सुनो भाई साधो
गुरु बिन भरम ना जासी
मोहे सुन सुन आवत हांसी।
पानी में मीन प्यासी मोहे सुन सुन आवत हांसी।।




  चेतावनी 89.
★ No javano jago ab jarurat padi 
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नौ जवानों जगो अब जरूरत पड़ी, 
थोड़ी गफलत हुई देश छल जाएगा। 
अब ग्रहण लग चुका है यह जनतंत्र पर, 
भाग्य भारत सितारे का ढल जाएगा।।

तुमको मौका मिला अपने जनतंत्र का,
चाहे रक्षा करो चाहे कर दो दफन।
चूक जाओगे तो सिर्फ पछताओगे।
हाथ से आया अवसर निकल जाएगा।।

नौ जवानों जगो अब जरूरत पड़ी, 
थोड़ी गफलत हुई देश छल जाएगा। 

खून की होली खेली कटा डाल सर,
फांसियों पर चढ़े पर नही आह की।
उन शहीदों के फ़रमान पूरे करो।
वरना भारत का नक्शा बदल जाएगा।।

अब ग्रहण लग चुका है यह जनतंत्र पर, 
भाग्य भारत सितारे का ढल जाएगा।।

याद गांधी की करता है विस्मिल दुःखी,
चंद्रशेखर की आजादी भी कह रही।
लीडरों की शरारत न रोकी गई,
तख्त व ताज भारत का ढल जाएगा।।

अब ग्रहण लग चुका है यह जनतंत्र पर, 
भाग्य भारत सितारे का ढल जाएगा।।

जिसका मन हो विदेशी वह मक्कार है,
जिसके दामन में दुश्मन का आवास है।
देश द्रोही है वो राष्ट्रघाती है वो,
देश को फूंक करके वो चल जाएगा।।

नौ जवानों जगो अब जरूरत पड़ी, 
थोड़ी गफलत हुई देश छल जाएगा। 

जिसके नस नस में भारत का गौरव भरा,
जो तन मन धन से कुर्वान है।
उसको हक है कि जनता का वह वोट ले,
उसके नारों से पत्थर पिघल जाएगा।।

नौ जवानों जगो अब जरूरत पड़ी, 
थोड़ी गफलत हुई देश छल जाएगा। 
अब ग्रहण लग चुका है यह जनतंत्र पर, 
भाग्य भारत सितारे का ढल जाएगा।।



*जयगुरुदेव चेतावनी 90*
★ Re man musafir nikalna padega 
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रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा,
काया का घर खाली करना पड़ेगा।।

माटी की मूरत को क्या तू सवारे, 
जिस दिन तुझे घर का मालिक निकाले ।
इसका किराया भी भरना पड़ेगा,
काया का घर खाली करना पड़ेगा।।

आएगी नोटिस जमानत ना होगी,
पल्ले अगर कुछ अमानत ना होगी।
होकर के कैद तुम्हे जाना पड़ेगा,
काया का घर खाली करना पड़ेगा।।

यम की अदालत में जब तुम चड़ोगे,
पूछेगा हाकिम तो फिर क्या कहोगे।
पापों की अग्नि में जलना पड़ेगा, 
काया का घर खाली करना पड़ेगा।।

मेरी ना मानो यमराज तो मनाएगा,
तेरा ही कर्म तुझे मार कर भुगाएगा,
नर्क बीच घोर दुख सहना पड़ेगा,
काया का घर खाली करना पड़ेगा।।

कहे जयगुरुदेव फिरेगा तू रोता, 
लख चौरासी में खाएगा गोता।
फिर फिर जन्मना और मरना पड़ेगा,
काया का घर खाली करना पड़ेगा।।

रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा,
काया का घर खाली करना पड़ेगा।।


जयगुरुदेव
शेष क्रमशः पोस्ट 17. में पढ़ें 🙏🏻👇🏼

JaigurudevAmratvani
Jaigurudev Swami
 


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