छोटी कहानी की बड़ी सीख
स्वामी जी ने सुनाई कहानी 25.
बाबाजी ने सुनाई कहानी
कहानी संख्या 25.
एक पहलवान के पास एक आदमी कुश्ती के दांव पेंच सीखने आया करता था। पहलवान उसे दांव सिखाता रहा। कुछ दिन बाद उस व्यक्ति को भ्रम हो गया कि वह तो अब कुश्ती में उस्ताद को भी हरा सकता है। उसे नशा सवार हुआ। वह उस्ताद से कहता कि गुरु जी हम आपसे लड़ेंगे। गुरु जी ने कहा कि चल बच्चा अगर नहीं मानता है तो हो जाय कुश्ती।
कुछ देर बाद गुरु जी ने एक दांव दी कि चेला चित्त हो गया। चेला भौचक्का रह गया। उसने पूछा कि गुरु जी! यह कौन सा दांव था ??
उस्ताद बोला- 'तुम्हें चित्त करने का’
फिर वह बोला कि गुरु जी आपने हमें नहीं सिखाया ?
गुरु जी ने कहा कि बच्चा! उस्ताद हमेशा अपने कुछ दांव छिपाकर रखता है।
अगर ऐसा ना हो तो चेले गुरु पर सवार हो जायं।
इस कहानी को सुनाते हुए स्वामी जी ने कहा कि गुरु बड़े होशियार और बुद्धिमान होते हैं। अगर वो इतने बुद्धिमान ना हों तो ये चेले उन पर ही हावी होकर उनका बंटाधार कर दें।
आसपास योद्धा खड़े, सभी बजावें गाल।
मंझ महल से ले चला, ऐसा काल कराल।।
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Jaigurudev