◆*जयगुरुदेव चेतावनी 12.

*जयगुरुदेव चेतावनी 64.*


✦ Konau thagva nagariya  


कौनों ठगवा नगरिया के लूटेला ।
कौनों ठगवा नगरिया के लूटेला ।।

चन्दन काठ के बनले खटोलना,
ता पर दुल्हन सूतल हो।
कौनों ठगवा नगरिया के लूटेला ।।

उठी री सखी मोरी मांग संवारो।
दुल्हन मोसे रुठल हो।।
कौनों ठगवा नगरिया के लूटेला ।।

आये यमराज पलंग चढ़ि बैठे,
नैनन आंसू छूटल हो। 
कौनों ठगवा नगरिया के लूटेला ।।

चार जने मिल खाट उठावन,
चिहु दस धू धू उठल हो।
कहत कबीर सुनो भाई साधू,
जग से नाता छूटल हो।
कौनों ठगवा नगरिया के लूटेला ।
कौनों ठगवा नगरिया के लूटेला ।।


*चेतावनी 65.*

✦ Kya lekar tu aaya jag me  


क्या लेकर तू आया जग में, 
क्या लेकर तू जायेगा। 
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

इस दुनिया के ठाट बाट में, 
क्यों बन्दे तू भूला है। 
धन, सम्पत्ति, मान, प्रतिष्ठा, 
पाकर क्यों तू फूला है।

धन सम्पत्ति माल खजाना, 
यहीं पड़ा हैं रह जायेगा,  
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

भाई बन्धु मित्र प्यारे, 
मरघट तक संग जायेंगे।   
स्वारथ के दो आंसू देकर, 
लौट लौट घर आयेंगे।

कोई न तेरे साथ चलेगा, 
काल तुझे ही खायेगा।  
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

कंचन जैसी काया तेरी, 
तुरन्त जलाई जायेगी।    
जिस नारी से स्नेह करे तू, 
वो भी देख डर जायेगी।।

एक मास तक याद रखेगी, 
फिर तू याद न आयेगा। 
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

राजा रंक पुजारी पण्डित, 
सबको एक दिन जाना है। 
आंख खोलकर देख बावरे, 
जगत मुसाफिर खाना है।।

जयगुरुदेव नाम ही आखिर, 
तेरा साथ निभायेगा।  
सोच समझ ले रे मन मूरख, 
आखिर में पछतायेगा।।

क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जायेगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछतायेगा।।




*चेतावनी 66.*

✦ Loot sake to loot le 


लूट सके तो लूट ले बन्दे, शोर मचाऊँ गली गली, 
जयगुरुदेव नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊँ गली-गली। 

जिस जिसने लूटे ये मोती, वो तो माला माल हुये,
जो माया के बने पुजारी आखिर में कंगाल हुये। 
हीरे पैसे वालों को यह, मैं समझाऊँ गली गली । लूट सके. 

किन लोगों ने कैसे कैसे, प्रभु का दर्शन पाया है, 
और प्रभू ने कैसे उनको, अपने में मिलवाया है। 
गोस्वामी मीरा दादू का, इतिहास सुनाऊँ गली गली । लूट सके. 

जब तक संशय होता मन में, तब तक होता ज्ञान नहीं, 
रोम रोम में रम न जाये, वो कोई भगवान नहीं।  
नाम अनामी मालिक का, मैं नाम सुनाऊँ गली गली । 

माया के दीवानों सुन लो, एक दिन ऐसा आएगा,
धन दौलत व माल खजाना, धरा यहीं रह जायेगा,
सुन्दर काया माटी होगी, चर्चा होगी गली गली । लूट सके.

मित्र प्यारे सगे सम्बंधी, एक दिन तुझे भुलायेंगे,
कल तक जो अपना कहते थे, अग्नि में तुझे जलायेंगे। 
जगत सराय है दो दिन का, आखिर होगी चला चली। लूट सके.



चेतावनी 67.


Madre hind ki laj khatre me 

*नेताओं से निवेदन*


मादरे हिन्द की लाज खतरे में है, 
फिर गुलामी के दुर्दिन अभी आयेंगे।

एम.पी. एम.एल.ए शराबी नशे खोर हैं, 
देश की सारी दौलत को पी जायेंगे।।

जर जमीं देश गिरवी विदेशों में है,
सौ खरब से भी ज्यादा लदा कर्ज है। 

ब्याज दर ब्याज ऋण का बढ़ा बोझ है, 
देश वाले जिसे दे नहीं पायेंगे- 
मादरे हिन्द की लाज खतरे में है...

कर्ज लेने का चस्का लगा इस कदर, 
रहनुमा अपनी झोली को फैलाये हैं। 
उस सदी की तरफ ये लिए जा रहे, 
सर उठाकर क्या, झुकाकर न जी पायेंगे- 
मादरे हिन्द की लाज खतरे में है....

है नशे में विदेशों को न्योता गया, 
अपनी पूंजी से धन्धे यहां खोलिए। 

पैर जम जायेंगे बाहरी मुल्कों के, 
जब मुनाफे का ज्यादा वहीं खायेंगे- 
मादरे हिन्द की लाज खतरे में है।।

अपने नेताओं से अब निवेदन यही, 
मांस खाना शराबों का पीना तजें।

अर्थ नीति विदेशों के हाथों गयी, 
फिर ये हाथों को मल मल के रह जायेंगे- 
मादरे हिन्द की लाज खतरे में है ।।


*चेतावनी 68.*

✦ Mala japle re prani ✦ 


माला जप ले रे प्राणी जयगुरुदेव नाम की,
माटी में मिलेगी तेरी  काया चाम की।।

एक दिन था तू गर्भवास में,
पड़ा कष्ट को सहता था,
सिर नीचे और आस पास तेरे,
मल और मूत्र बहता था।
सौ जन्मो का हाल याद कर,
गर्भवास में रहता था।
तू ही तू तब उस ईश्वर से,
भजन करन को कहता था।।
गर्भवास से बाहर की माया घनश्याम की-
माटी में मिलेगी तेरी काया चाम की।।


बचपन बीता खेल कून्द में,
यौवन मस्त जवान हुआ।
चेहरे ऊपर देख चांदनी,
बल का बड़ा गुमान हुआ।
उमर बिता दी विषय भोग में,
भजन करन का न ध्यान हुआ।
बुरे करम कर बड़े बुराई  ले ली गांव की-
माटी में मिलेगी तेरी काया चाम की।।


आया बुढ़ापा लई लकड़ियां,
अंखियन आगे रात लगे।
नस नाड़ी सब ढीली पड़ गई,
लचक पचक तेरा गात लगे।
दम में खाँसी रोग सतावे,
सूखे सूखे हाथ लगें।
पड़ा रहे दिन रात खाट में,
अच्छी न कोई बात लगे।।

बिना भजन के ज़िंदगी सारी खोदी काम की-
माटी में मिलेगी तेरी काया चाम की।।
माला जप ले रे प्राणी जयगुरुदेव नाम की,
माटी में मिलेगी तेरी  काया चाम की।।

जयगुरुदेव ।
शेष क्रमशः पोस्ट 13. में पढ़ें 🙏🏻👇🏼




Baba jaigurudev


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ