जयगुरुदेव
20.06.2022
प्रेस नोट
सूरत (गुजरात)
*जैसे छोटे बच्चे को दूध पीने के लिए मां की वैसे इस वक़्त पर लोगों को सतसंग की है जरूरत*
*सच्चे सन्त का सतसंग सुनने, अमल करने से संकट तकलीफ दूर, आए खुशहाली और बताए रास्ते पर चलने से जन्म मरण से मिलता छुटकारा*
गुरु कोई हाड़-मांस का शरीर नहीं बल्कि एक शक्ति होती है। जैसे बिजली के कनेक्शन को एक पोल से हटा कर दूसरे पोल पर कर दिया जाए तो अब रोशनी दूसरे से ही मिलेगी पहले से नहीं, वक़्त के सतगुरु से ही काम बनेगा शरीर छोड़ चुके महात्माओं से नहीं-
इस बात को कई बार अपने सतसंग में कई तरीकों से बताने-समझाने वाले निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के सम्पूर्ण उत्तराधिकारी,
इस समय जीवों को पार करने की पावर रखने वाले इकलौते प्रकट समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 7 जून 2022 को सूरत (गुजरात) में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जब उस मालिक की कृपा मेहरबानी होती है तब इस समय कलयुग में सतसंग मिलता है।
*पहले लोग सतसंगों में जाते, ख़ुशहाल रहते, जो साधना करते वो मुक्ति-मोक्ष भी पा जाते*
पहले बराबर लोग समय निकालते, सतसंगो में जाते थे। सतसंग जगह-जगह पर होता रहता था। लोगों के अंदर सतसंग सुनने की इच्छा पैदा हो जाती थी। बातों को सुनते, अमल करते आदमी का संकट तकलीफ दूर हो जाती, जीवन में खुशहाली आ जाती थी और जो सन्तों के बताए हुए रास्ते पर चल पड़ता था, उसका जन्म मरण का छुटकारा भी हो जाता था।
*सतसंग न मिलने के वजह से आदमी पशुवत जीवन जीने लग गया*
लेकिन आज सतसंग न मिलने की वजह से आदमी का जीवन आदमी जैसा नहीं रहा। कैसा हो गया ? जैसे पशु-पक्षी होते हैं, खाते, बच्चा पैदा करते और दुनिया संसार से चले जाते। उनका अलग जीवन होता है। ऐसे ही आदमी का जीवन हो गया।
आदमी के अंदर इंसानियत, मानवता, सदाचार, सेवा, सत्य, अहिंसा, परोपकार रूपी धर्म नहीं रहा। आदमी का अस्तित्व खत्म होता चला जा रहा। ऐसे समय में सतसंग की बहुत जरूरत है। जैसे एक छोटे बच्चे को दूध पीने के लिए मां की जरूरत होती है ऐसे ही इस वक्त पर लोगों को सतसंग की जरूरत है।
*इस समय चारों तरफ, घर-घर में अशांति का है माहौल*
आप देखो घर-घर में लड़ाई-झगड़ा, वैमनस्यता, बीमारी, कोई घर छोड़ कर भग रहा, कोई जलकर मर रहा, किसी का लड़का-लड़की बिगड़ रहे है, किसी के बाप की आदत खराब हो गई। अशांति का माहौल है। यह क्या है? पहले से खाने को बढ़िया है, लोग अच्छा खाते हैं चाहे खाते-खाते शरीर रोगी हो जाए लेकिन हर किसी की इच्छा होती है कि बढ़िया भुना तला, मेवा मिष्ठान युक्त भोजन हम खाएं।
अच्छे कपड़े, अच्छे घर, छोटे-छोटे लोग जिनको कहा जाता है वह भी शहरों में गाड़ी घोड़ा से चलते हैं। यह सब चीजें पहले से तो बढ़ी हैं लेकिन शांति सुकून खत्म होता जा रहा है। इस समय जरूरत है सन्तों की, सतसंग की।
*बाबा उमाकान्त जी के वचन*
➤ आप अगर चाहो तो दिन भर में कई बार मरो, कई बार जीओ।
➤ सेवा, ध्यान, भजन करने एवं सतसंग सुनने से प्रखर बुद्धि हो जाती है।
➤ रूहानी तरक्की एवं आध्यात्मिक विकास के लिए वक्त के सतगुरु की जरूरत होती है।
➤ आत्मा को मुक्ति समर्थ गुरु दिलाते हैं।
➤ आत्मा को मुक्ति परमात्मा के पास पहुंच जाने पर मिलती है।
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Jaigurudev baba umakantji maharaj |
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