होली कैसे मनाई गई ?
होली का चार दिनों का कार्यक्रम जयपुर में हुआ था। इस बार विशेषता यह थी कि रात्रि में सत्संग के पश्चात नित्य फेरी निकलती थी। नगर फेरी में सभी सत्संगी स्त्री-पुरुष बच्चे रहते थे। स्वामी जी भी सबके साथ पैदल-पैदल चलते थे, किंतु जहां पर उन्हें नर नारियों को अपनी वाणी सुनानी होती थी वहां पर वे जीप में खड़े हो जाते थे जो साथ साथ चल रही थी। इसी जीप में लाउडस्पीकर लगा था जिस पर प्रार्थना हो रही थी।
श्री नेत्रभान सिंह (रेजर साहब) चंदर जी एवं 2-4 और प्रेमी के साथ प्रार्थना बोल रहे थे। उनका अनुसरण करता हुआ विशाल जनसमूह जयपुर की सड़कों पर चल रहा था। प्रार्थना थी ‘कहें जयगुरुदेव पुकार जमाना बदलेगा। सुनते जाना सभी नर नार जमाना बदलेगा।।’ पूरा वायुमण्डल इस परिवर्तन के स्वर से गूंज रहा था। सड़कों के दोनों ओर मकानों के छतों पर से, खिड़कियों पर से, पटरियों पर आने जाने वाले लोग देख रहे थे, आश्चर्य से भर रहे थे।
स्वामी जी ने स्थान स्थान पर रुक रुक कर जयपुर नगरवासियों को अपना संदेश सुनाया। जयपुर की ऊंची अट्टालिकायें भर उठी थीं। लोग अपनी छतों पर से, झरोखों से, दरवाजों पर से इस दृश्य को देख रहे थे। स्वामीजी ने जयपुर निवासियों को 70 से 80 तक होने वाले भयंकर परिस्थितियों से अवगत कराया।
प्रजातंत्र के नाम पर जो गड़बड़तंत्र चल रहा है उसे बताया। इसी सन्दर्भ में स्वामी जी ने कहा कि भारत वर्ष की आबादी 65 करोड़ है। 65 करोड़ में 2, 4 अधिक ही होंगे कम नहीं हैं। तुम्हारे आकड़े ठीक नहीं हैं। इस पर पीछे खड़े दो सज्जन आपस में बातचीत करने लगे। एक ने कहा ये आकड़ा बाबाजी कहां से लाये ? जबकि भारत की आबादी 55 करोड़ है। इस पर दूसरे ने तुरंत कहा बाबाजी का आंकड़ा कभी गलत नही हो सकता है।
उनकी वाणी में इतना वजन है वो गलत हो ही नही सकते।
स्वामी जी ने 80 के बाद के भारत का स्वर्णिम चित्र दर्शाया जबकि लोग शाकाहारी सदाचारी होंगे। सत्य न्याय पर चलने वाले होंगे। बच्चों को बेकार नही रहने दिया जायेगा। अल्प वेतनभोगी सिपाही, क्लर्क, फौजी आदि का प्रारंभिक वेतन 300 हो जायेगा। लोग सुखी हो जायेंगे अन्न से, धन से, मकान से पृथ्वी पर स्वर्ग उतर आयेगा।
स्वामी जी ने माता पिता से व बच्चों से अपील की कि माता पिता अपने बच्चों को हिन्दी संस्कृत पढ़ाएं और बच्चे पढ़ें। क्योंकि भविष्य में भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी और संस्कृत हो जायेगी। अंग्रेजों के ही समान अंग्रेजी भी समुद्र पार भेज दी जायेगी।
वर्तमान समय पर बोलते हुए बाबाजी ने कहा था कि जितनी आहुति तुमने बांग्लादेश के लिए दी है उतनी ही ओर देने के लिए तैयार हो जाओ। तुम्हारा जीवन बांग्लादेश के टैक्स से घिर गया है। अभी क्या अभी तो तुम्हें पकिस्तान की मदद करनी पडे़गी, चीन की मदद करनी पड़ेगी, इन सबका भार तुम्हारे ही कंधों पर होगा। ये टैक्स मंत्री मिनिस्टर और सेठ साहूकार नहीं देंगे यह तो सब तुम्हें ही देना होगा चाहे तुम घर बेचकर स्त्री बच्चों को बेचकर दो देना होगा। तुम्हारी सुनवाई नहीं होगी।
स्वामीजी ने जयपुर के नगर निवासियों से अपील की वे मांसाहार का परित्याग कर दें नशीली वस्तुओं का सेवन छोड़ दें। अनैतिक कार्यों से मुंह मोड़ लें चरित्र बदल लें। इसके बगैर अब कल्याण नहीं है। अब कुदरत आपको माफ नही करेगी। भारत में आने वाला शासक बुरों के लिए बहुत ही बुरा सिद्ध होगा उतना ही अच्छो के लिए बहुत ही अच्छा होगा। सन् 72 के बाद आपको मेरी बातें कुछ-कुछ समझ में आने लगेंगी।
स्वामी जी महाराज ने नारी समाज से अपील की वे भी धर्म के उत्थान में अपना सहयोग दें। नर-नारियों के द्वारा ही देश का समाज का और परिवार का उत्थान होता है। नारियो का योगदान और परिश्रम पुरुषों से किसी भी प्रकार कम नहीं है। वे जननी है। उन्हीं का दूध पीकर ही बच्चे पलते हैं।
वे ठीक रहेंगी तो बच्चे बच्चियां चरित्रवान सत्यवादी होंगे। अतः उन्होंने जिन सीमाओ को तोड़ दिया है, लाज शर्म को, आचार विचार के, खानपान के, पहनने ओढ़ने के, पुनः लौटे। अपनी सीमाओं में आ जाएं और देश की गिरती अवस्था को सम्हाल लें।
इस प्रकार प्रवचन, प्रार्थना और लोगों की शंकाओं का समाधान करता हुआ यह जुलूस रामलीला मैदान में वापस लौटा। इस नगर फेरी की यह प्रतिक्रिया हुई कि उस दिन रात्रि के सत्संग में रामलीला मैदान जयपुर के निवासियो से भर उठा था।
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