जयगुरुदेव चेतावनी 135.
*Hardam he tyar tu*●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●
हरदम है तैयार तू पाप कमाने के लिए।
कुछ तो समय निकाल हरि गुण गाने के लिए।।
जब तक तेल दिए में बाती झिलमिल झिलमिल हो रही।
जल गया तेल बुझ गई बाती चला चली तो हो रही।
चार जने जब आते हैं उठाने के लिए।
कुछ तो समय निकाल हरि गुण गाने के लिए।।
हाड़ जले जैसे सूखी लकड़ियां केस जले जैसे घांस रे।
कंचन जैसी काया जल गई कोई न आवे पास रे।
अपने पराये रोते हैं दिखाने के लिए।
कुछ तो समय निकाल हरि गुण गाने के लिए।।
गर्भवास में कोल किया था नाम जपूंगा मैं तेरा।
इस झूठी दुनिया में आकर नाम भुलाया मैं तेरा।
ऋषि मुनि सब आते हैं समझाने के लिए।
कुछ तो समय निकाल हरि गुण गाने के लिए।।
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जयगुरुदेव चेतावनी 136.
*Me gurudev ka Babla ho raha hu*
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मैं गुरुदेव का बावला हो रहा हूं,
कभी हंस रहा हूं तो कभी रो रहा हूं।।
जो आंखों से हरदम निकलते हैं मोती,
ये तोहफा उन्हीं के लिए दे रहा हूं।
मैं गुरुदेव को देखता जा रहा हूं,
कभी हंस रहा हूं तो कभी रो रहा हूं।।
ना रह जाय कालिख लगी कुछ इसी से,
विरह जल में मल मल के दिल धो रहा हूं।
उसी की झलक पर खिंचा जा रहा हूं।
कभी हंस रहा हूं तो कभी रो रहा हूं।।
नहीं अश्रु के बिंदु गिरते जमीं पर,
ये कुछ प्रेम के बीज मैं बो रहा हूं।
खबर कुछ नहीं है कि क्या कर रहा हूं।
कभी हंस रहा हूं तो कभी रो रहा हूं।।
लुटाता है वह मैं लुटा जा रहा हूं,
मिटाता है वह मैं मिटा जा रहा हूं।
बुलाता है वह मैं चला जा रहा हूं।
मोहब्बत कर यूं मैं जला जा रहा हूं।।
कभी हंस रहा हूं तो कभी रो रहा हूं।।
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जयगुरुदेव चेतावनी 137.
*Tum nam japan*
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तुम नाम जपन क्यों छोड़ दिया।
क्रोध न छोड़ा झूठ न छोड़ा, सत्य वचन क्यों छोड़ दिया।
झूठे जग में जी ललचा कर, असल वतन क्यों छोड़ दिया।
कौड़ी को तो खूब सम्हाला, लाल रतन क्यों छोड़ दिया।
जिन सुमरिन से अति सुख पावे तिन सुमरिन क्यों छोड़ दिया।
खालिस एक सतगुरु भरोसे, तन मन धन क्यों न छोड़ दिया।
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जयगुरुदेव चेतावनी 138.
*Jivan bito jay*
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जीवन बीतो जाय, भजन बिन ओ नादान।।
क्यों जावे तू मोह माया में, काल बजावे दिन-रात। भजन बिन...
नर तन पाकर नर तन पाकर, रह गया पशु समान। भजन बिन...
भय से भरा ये तेरा जीवन, ठगिया सब संसार। भजन बिन...
सुरत शब्द से जोड़ ले नाता, मिले पुरुष सतनाम। भजन बिन...
भटका रहा तू जग में यूहीं, भूला सब मुकाम। भजन बिन...
नाम रसायन घट में घोटो, और जाओ धुर धाम। भजन बिन...
जीवन बीतो जाय, भजन बिन ओ नादान।।
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जयगुरुदेव चेतावनी 139.
*Tune hira sa janam*
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तूने हीरा सा जनम गँवाया, भजन बिना बावरे।।
नाहिं संत शरण में आयों, ना कबहुं हरि का गुण गायो।
पच-पच रह्ये बैल की नाई, सोयो और उठ खायो।। भजन..
यह संसार फूल सेमल का, सुओ देख लुभायो।
मारी चोंच बिखर गयी रुई, सिर धुन-धुन पछतायो।। भजन..
यह संसार हाट बनिए की, सोभा सब जग भायो।
चतर माल को चौगुना कीन्हा, मूरख मोल गँवायो।। भजन..
यह संसार माया का लोभी, ममता महल चिनायो।
कहत कबीर सुनो भाई साधो, हाथ कछु ना आयो।। भजन..
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जयगुरुदेव चेतावनी 140.
*Mohe le chalo guru*
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मोहे ले चलो गुरु के पास, हो पास,
मेरा दिल नहीं लगता दुनिया में।।
गुरु के चरण धूल में नहाऊँ, गुरु के चरण कमल मैं ध्याऊँं।
गुरु की राह निहारूँ, निहारूँ, मेरा दिल....
बीती रैन दिवस अब आया, बीती रैन दिवस अब आया।
गुरु सतसंग रहे सुनाय, सुनाय, मेरा दिल....
सतगुरु ने मुझको समझाया, स्वामी की गोद में मुझे बिठाया।
स्वामी जी मुझे रहे समझाय, समझाय, मेरा दिल....
दुनिया की कोई रीत न भावे, दुनिया की कोई प्रीत न भावे।
जग से रही उदास, उदास, मेरा दिल....
जयगुरुदेव....
शेष क्रमशः पोस्ट 26. में पढ़ें 🙏🏻👇🏼
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