जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश*जयगुरुदेव**सतसंग सन्देश*
*दिनांक: 25.अप्रैल.2022*
*सतसंग दिनांक: 02.03.2021*
*सतसंग स्थलः समस्तीपुर, बिहार*
*"महापुरुष जब रहते हैं तब उनको लोग जल्दी पहचान नहीं पाते हैं ..."*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
विश्वविख्यात परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के मौजूदा पूरे समर्थ संत सतगुरु, सभी जीवों के दुखः हर्ता,
परम पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने काफिले के दौरान बिहार प्रांत के समस्तीपुर में दिये गये सतसंग सन्देश में बतलाया कि
महापुरुष जब रहते हैं तब उनको जल्दी लोग पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि नजदीक जाते नहीं। नजदीक अगर जाएं तो मालूम नहीं रहता है कि कैसे पहचाना जाता है?
धार्मिक किताबों में तो सब लिखा है लेकिन लोग उन को समझ और पढ़ नहीं पाते हैं। वेद में भी सारी चीजें लिखी हुई है लेकिन वेद तो संस्कृत में लिखा गया था। अब संस्कृत सबको आती नहीं है तो समझ नहीं पाते हैं।
अगर वह कुछ बताते हैं तो दुनिया से अलग की चीजें होती हैं तो जल्दी विश्वास नहीं होता, जल्दी लोग करते नहीं हैं इसलिए जल्दी नहीं पहचान पाते हैं।
जब वो चले जाते हैं, उनका काम लोग जब देखते हैं तब कहते हैं यह तो भगवान थे, परमात्मा थे। अब उनकी मूर्ति, मंदिर, स्थान, समाधि और मठ आदि बनाओ।
मूर्तियों से कुछ पूछो तो बता नहीं सकतीं हैं तो मुक्ति-मोक्ष कैसे दे सकती हैं? मठ, मंदिर, मूर्ति आदि एक जगह से दूसरी जगह आ जा नहीं सकती।
कुछ कहो, दिखाओ, पूछो तो सुन, देख, बता नहीं सकती। तो मुक्ति-मोक्ष कैसे दे सकती हैं? इसलिए पेड़ पत्थरों पर सर पटकते हुए मुक्ति मोक्ष खोजते रहे तो धोखे में रह जाओगे और जीवन का समय निकल जाएगा।
मूर्ति को स्थापित करने वाले, उसे मान्यता देने वाले सब आदमी ही तो होते हैं। जिसकी जैसी श्रद्धा और भावना, खान-पान, चाल-चलन और आचार-विचार, रहनी-गहनी होती है उसको वैसा ही फल मिल जाता है।
लेकिन यदि ये सोचो कि फोटो की पूजा करने से या पेड़-पौधा, पत्थर पर मत्था पटकने से मुक्ति-मोक्ष हो जाएगा तो वो ऐसे नहीं हो सकता है।
संत मत में गुरु ही सब कुछ होते हैं, अन्य मतों में भी गुरु की पूजा लोग करते हैं। गुरु ही सब कुछ होते हैं। कहा गया है- 'गुरु का ध्यान कर प्यारे, बिना इसके नहीं छूटना'।
गुरु ही संतमत में सब कुछ होते हैं। और संतमत के जो मानने वाले आप हो, हम भी संतमत का प्रचार करने वाले हैं, गुरु की तस्वीर इसलिए लगाते हैं कि ध्यान करते समय गुरु का चेहरा याद आ जाये।
सबसे पहले गुरु का ही ध्यान किया जाता है। फोटो देख लो तो चेहरा याद आ जाता है। और जो गुरु के बताई साधना करने लगते हैं उन्हें ध्यान में, अन्तर में गुरु का दर्शन होने लगता है तब फोटो भी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
सुमिरन, ध्यान और भजन करने वालों को गुरु का दर्शन अंतर में हो जाता है और सारी शंका, भटकाव खत्म हो जाता है। फिर उनको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं रहती है।
फिर तो उनको गुरु के ही वचन याद रहते हैं, उन्हें ही याद रखते हैं और उन्ही पर चलते हैं। तो आप लोग अपने को, गुरु को, परमात्मा को जानने, दर्शन-दीदार करने के लिए गुरु महाराज जी ने जो तरीका भजन का, जीवात्मा के उद्धार का बताया है उसे आप करते रहो।
*जयगुरुदेव*
[ परम पूज्य परम सन्त दु:खहर्ता उज्जैन वाले
*बाबा उमाकान्त जी महाराज* के सतसंग
(1) प्रतिदिन प्रातः 8:40 से 9:15 बजे तक (कुछ समय के लिए) *साधना टीवी चैनल* पर प्रसारित किये जा रहे हैं और
(2) संस्था के अधिकृत यूट्यूब चैनल:
*Jaigurudevukm*
https://youtube.com/c/Jaigurudevukm
पर कभी भी देखे/सुने जा सकते हैं।
*जरूर सुनिए क्योंकि रोज सतसंग सुनने से कोई न कोई नई बात मिल ही जाती है।* ]
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