*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 08.10.2021*
*सतसंग स्थलः आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश / दिनांक: 04.अक्टूबर.2021*
*भगवान के प्राप्ति और जीवात्मा के कल्याण के लिए ये मनुष्य शरीर मिला है...*
*- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
मनुष्य को शाकाहारी, सदाचारी बना कर, नामदान देकर नरक - चौरासी से छुटकारा दिलाने वाले, वक्त के महापुरुष,
उज्जैन के पूज्य संत *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 04 अक्टूबर 2021 को अपने आश्रम उज्जैन, मध्यप्रदेश से दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
भगवान के प्राप्ति के लिए, इस जीवात्मा के कल्याण के लिए मनुष्य शरीर मिला है। अगर वह काम आपने नहीं किया और इसी को सम्मान दिलाने, खा-पीकर करके तंदुरुस्त बनाने और मान-प्रतिष्ठा दिलाने में ही अगर आप लगे रहे तो अंत दु:ख दाई, आखरी समय में बहुत तकलीफ होती है।
देखो! प्राण निकलते समय आदमी पट-पट करता है, हड्डी-हड्डी चटकती है, आंख की रोशनी खत्म हो जाती है, सुनाई नहीं पड़ता, जबान तुतली हो जाती है।
*उस समय पर कोई कितना भी बलशाली, पहलवान बलवान हो, कितना भी मान-प्रतिष्ठा वाला, ऊंची कुर्सी वाला हो, उस समय पर किसी का जोर नहीं चलता।*
*यमदूत मनुष्य की जीवात्मा को पिशाच के शरीर में बंद करके देते हैं कर्मों की सजा।*
मौत के वक्त परिवार, रिश्तेदार, नातेदार खड़े देखते रहते हैं। लड़के, नाती, पोता समझ नहीं पाते हैं क्या करना चाहिए? डॉक्टर समझ नहीं पाता कि कौन सा इंजेक्शन दूं जिससे इनका दर्द ठीक हो जाए।
डॉक्टर भाव बढ़ाता जाता है, इंजेक्शन पर इंजेक्शन देता जाता है। दर्द का, नींद का भी इंक्ज़ेशन दिया लेकिन जब प्राण निकलने का होता हैं, शरीर खाली करने का होता है तब कोई काम नहीं आता है। बहुत से लोगों का देखो, मल-मूत्र तक आखिरी समय में निकल जाता है। तकलीफ तो शरीर को आखिरी वक्त पर होती है।
*जब शरीर छूट जाता है तो पिशाच का शरीर जो मनुष्य शरीर जैसा ही होता है,उसमें बंद करके ले जाते हैं और पूरे जीवन का हिसाब करते हैं।*
*राम झरोखे बैठकर, सबका मुजरा लेय।*
*जाकी जैसी चाकरी, उसको वैसा देय।।*
आप तो कह दोगे कि आंख बंद करके कोई गलत काम कर दें, क्या कोई देख रहा है? लेकिन आपको नहीं मालूम है जिसको आप नहीं देख पा रहे हो वह आपकी सारी गतिविधियों को, सारे काम को, जीवन भर आपको, देखता रहता है कि कहां ये कितना झूठ बोले, कहां कितना बेईमानी चोरी की, कहां कितना लोगों को सताए, इन सब का पूरा नोट होता रहता है।
*आप जो अच्छा बुरा कर्म कर रहे हो सब नोट कर रहे हैं...यमराज के पेशकार।*
वहां का कैमरा कभी फेल नहीं होता, कागज-स्याही कभी खत्म नहीं होती। सब नोट होता रहता है।
उसी के आधार पर वह सजा बोल देता है कि ले जाओ, इतने हजार वर्ष तक इस नरक में डालो, फिर इनको मारो, काटो, जलाओ, तपाओ, बहुत दिन तक रहना पड़ता है।
नरक से छुटकारा मिला फिर कीड़ा, मकोड़ा, सांप, बिच्छू आदि के शरीर में डाल दिए गए। फिर वहां से छुटकारा मिला तो नौ महीना मां के पेट में उल्टा लटकना ही पड़ता है, मां के पेट की गर्मी बर्दाश्त करनी ही पड़ती है।
फिर बाहर निकलता है बच्चा। तो उस वक्त भी रोता हुआ ही पैदा होता है। आपको बहुत बार बताया गया कि क्यों रोता है, क्यों तकलीफ रहती है? आज बताने का समय नहीं है लेकिन *आप समझो तकलीफ बहुत रहती है।*
*चौबीस घंटे में बाइस घंटे शरीर और दो घण्टा अपनी आत्मा के लिए समय निकालो।*
अब आपको ऐसा काम करना है प्रेमियों! कि इस देवनारायणी शरीर को पाकर दोबारा जन्मने और मरने की पीड़ा झेलनी न पड़े।
क्या करना है? रोटी, कपड़े, मकान का भी इंतजाम, बाल-बच्चों की देख-रेख करना है क्योंकि यह कर्मों का कर्जा है। माँ-बाप क्या करते हैं? बच्चों को पालते-पढ़ाते हैं कि दो रोटी का सहारा बनेगा। वह भी सब करना है।
*लेकिन चौबीस घंटे में से बाइस घंटा यह सब काम करना है और दो घंटा अपने आत्मा के लिए समय निकालना है। एक घंटा सुबह, एक घंटा शाम को जो अब आपको 'नामदान' दूंगा, इसको करना।*
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