परमार्थी वचन संग्रह I आत्म चिन्तन 19.
【 *जयगुरुदेव अमृतवाणी* 】
● *प्रश्न. सतगुरु से क्या मांगना चाहिए ?* उत्तर- भक्ति और प्रेम प्रभु के चरणों की।
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● *प्रश्न. सतगुरु के साथ क्या उचित है ?*उत्तर- उनके आदेशों का पालन करना।
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● *प्रश्न. आयु किस प्रकार व्यतीत करनी चाहिए ?*उत्तर- प्रभु की याद में, जहां तक सम्भव हो सबकी प्रसन्नता रखने में, क्योंकि प्रभु का वचन है कि जो कोई मेरे जीव को प्रसन्न रखता है मैं उससे प्रसन्न रहता हूं।
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● *प्रश्न. मनुष्य का कौनसा कार्य उत्तम है ?*उत्तर- परमार्थ कमाना।
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● *प्रश्न. परमार्थ से क्या फल मिलता है?* उत्तर- पशु से मनुष्य तथा मनुष्य से देवता बन जाता है। इससे अधिक और बड़ी श्रेणियां हैं। फिर वे प्राप्त होती हैं। अर्थात् शनैः शनैः प्रभु के सम्मुख पहुंचकर उनका निज प्रिय हो जाता है।
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● *प्रश्न. सच्चे प्रभु की किस भांति पहचान हो सकती है?*उत्तर- संतों की शरण लेने तथा उनकी युक्ति का अभ्यास करने से।
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● *प्रश्न. दुनियां किसको कहते हैं?* उत्तर- जो अन्त में काम न आये प्रभु की ओर से विमुख रक्खे।
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● *प्रश्न. प्रभु की प्रसन्नता कैसे प्राप्त होती है?* उत्तर- उनके चरणों में गहरी प्रीत तथा प्रतीत करने से तथा जहां तक सम्भव हो उनकी आज्ञा का पालन करने से । उनकी सेवा में तन, मन और धन का सोच विचार न करना चाहिए।
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● *प्रश्न. सब कार्यों में उत्तम कार्य कौन है?*उत्तर- सतसंग करना, भजन करना तथा उससे लाभ उठाना।
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● *प्रश्न. सब कार्यों से बुरा कार्य कौन है?* उत्तर- प्रभु को भूलना और धन और भोगों की इच्छा करना।
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● *प्रश्न. सेवक किसको कहते हैं?*उत्तर- जो अपने को सबसे नीच और छोटा जाने, *दीन हीन जानो अपने को, निपट नीच मानो अपने को।।*और प्रभु के चरणों में लवलीन रहते हैं।
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● *प्रश्न. जीव प्रभु के स्मरण में क्यों कर लग सकता है?* उत्तर- मृत्यु का स्मरण रखने और चौरासी के भय से।
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● *प्रश्न. मंजिल पर क्यों कर पहुंचना चाहिए?*उत्तर- धैर्य के साथ अभ्यास करेंगे तब कहीं कुछ समय में मार्ग सम्पूर्ण होगा।
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● *प्रश्न. पाप का उपचार क्या है?* उत्तर- अपराध करने पर झुरना तथा पश्चाताप करना और भविष्य के लिये चैतन्य रहना।
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● *प्रश्न. ऐसा कौन व्यक्ति है जो जहां जावे उसे सब प्यार करें?*उत्तर- जो हर एक से दीनता करता है।
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● *प्रश्न. साहस वाला कौन है?*उत्तर- जो संसारी सुखों को छोड़कर परमार्थ की कमाई करता है।
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● *प्रश्न. सच्चा हितकारी कौन है?*उत्तर- सतगुरु, जो हमको बुराई से बचाते हैं और अच्छाई सिखाते हैं तथा कठोरता और कष्टों से तुम्हारी सहायता करते हैं।
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● *प्रश्न. यदि कोई सतसंगी अनुचित कार्य करे तो उससे किस प्रकार बचना चाहिए?*उत्तर- उससे कम मिलने और कम बातचीत करने से।
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● *प्रश्न. क्या यत्न करुं कि वैद्य की आवश्यकता कम रहे?*उत्तर- कम खाओ, कम सोओ, और भजन करो।
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● *प्रश्न. क्या करुं कि सब हमसे मित्रता रक्खें?*उत्तर- झूठ मत बोलो, विश्वासघात मत करो, किसी को हाथ और मुख से दुखी मत करो तथा चित्त में सबसे प्यार तथा दीनता रक्खो।
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● *प्रश्न. सेवा कितने प्रकार की है?*उत्तर- सेवा के तीन प्रकार हैं- प्रथम तन की सेवा, द्वितीय धन की सेवा, तृतीय मन की सेवा।
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● *प्रश्न. सेवा का फल क्या है?*उत्तर- निश्चलता मन की, निर्मल अन्तःकरण की प्राप्ति और दया कृपा सतगुरु की।
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● *प्रश्न. वीर पुरुष कौन है ?*उत्तर- जो संसार के बिगड़ने से अप्रसन्न और मलीन हृदय न हो।--------------------------------------
जयगुरुदेव
● *प्रश्न. आयु किस प्रकार व्यतीत करनी चाहिए ?*
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