*● एक दृष्टांत स्वामी जी महाराज का ●*

*जयगुरुदेव*

नैमिषारण्य के सत्संग के पूर्व परम पूज्य स्वामीजी महाराज मालवा मिल इन्दौर मे सत्संग के लिए आये थे|
सत्संग के पूर्व उन्होंने सभी गुरु प्रेमियों को ध्यान भजन के लिए  बिठा दिया.... बहुत से प्रेमी सत्संग मंच के बिल्कुल करीब बैठे थे.....
           
उस समय जब सब स्वामीजी के आदेश पर ध्यान भजन पर बैठे थे तो एक प्रेमी चुपके से स्वामीजी महाराज को आंखें खोलकर देखने लग गये|        
ध्यान भजन के बाद जब सत्संग शुरू हुआ..... 
तब स्वामीजी महाराज ने बताया कि-
           " ऐ बच्चा ! शरीर को क्या देखते हो शरीर तो ये हाड़ मांस का पुतला है.... 
तुमने इसी को गुरू समझ लिया.....????
गुरु कोई  हाड़-मांस का नाम नही वो तो पावर है|  जो उसमे बैठी है  वो पावर काम करती है|" 
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  इस समय यही काम शरीर से स्वामीजी महाराज के बाद परम पूज्य हुजूर महाराजजी (हुजूर बाबा उमाकांत जी महाराज)  कर रहे हैं| 
उसमे संशय भ्रम की क्या बात है.....???? 
    
*जयगुरुदेव* ●

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