*Jaigurudev Spiritual Stories 12.*
{ *छोटी कहानी की बड़ी सीख* }
रास्ते में एक पेड़ के नीचे वो आराम करने के लिए बैठ गए। इतने में ऊपर से एक चिड़िया ने उनके ऊपर बीट कर दिया।
तपस्वी को अपनी तपस्या का बड़ा अहंकार हो गया वो आगे चल पड़े। एक ग्रहस्थ के दरवाजे पर पहुंचे और खाने के लिए कुछ मांगा।
तपस्वी तो अपने अहंकार में डूबे हुए थे। उन्होने फिर दुबारा आवाज लगाई और कहा कि तू देती है या मैं तुझे भस्म कर दूं।
गृहिणी ने सहज भाव में जवाब दिया महाराज, मेरे पति बीमार हैं मैं उनकी सेवा में लगी हूं इसलिए मैंने आपसे ठहरने के लिए कहा था।
"मैं उस पेड़ की चिड़िया नहीं हूँ जो आपके देखने से भस्म हो जाऊं।'
स्वामी जी महाराज ने कहा कि जब अहंकार आ जाता है और आदमी यह सोच लेता है कि मैें ये कर दूंगा, मैं वो कर दूंगा वहीं से उसका पतन शुरु हो जाता है। अहंकार सबसे बुरी चीज है और सारे किये कराये पर पानी फेर देता है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev