*Hakikat Jo Kahani Ban Chuki* (16.)
*【 हकीकत जो कहानी बन चुकी 】*
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उनकी एक शिष्या थी जो रोज पुल को पार करके उन्हें दूध देने जाया करती थी।
उसका नित्य का यहीं क्रम था, घर के काम निपटा कर भजन करना और महात्मा जी के पास दूध पंहुचाना और सत्संग सुनना।
जब पुल टूटने वाला था तो उस स्त्री ने महात्मा जी से प्रार्थना की कि हुजूर ! पुल जब कल टूट जाएगा तब मैं दूध कैसे लाऊंगी और सत्संग भी नहीं मिलेगा।
आसपास के लोगों में इस बात की चर्चा होने लगी।
स्त्री से इसका राज जब लोगों ने पूछा तो उसने बताया कि महात्मा जी ने जो मालिक का नाम बताया है उसको याद करते करते पानी पर चलती जाती हूं और नदी पार कर लेती हूं।
महात्मा जी ने सत्संग में सुनाया कि वास्तव में जो भजनानन्दी हैं उनके लिए मालिक की दया से कुछ भी असम्भव नहीं है।
(जयगुरुदेव शाकाहारी सदाचारी पत्रिका,
28 जनवरी से 6 फरवरी 2002 तक)
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1 टिप्पणियाँ
Jai guru dev
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