*【साधक को बड़ी सीख 17.】*

जयगुरुदेव
कहानी संख्या  17.
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एक साहब अपने तोते से बडी मुहब्बत करते थे,
एक दिन एक बिल्ली उस तोते को उठा कर ले गई। 

वो साहब रोने लगे तो लोगो ने कहा, 

जनाब, आप क्यों रोते हो, हम आपको दूसरा तोता ला देते हैं।

वो साहब बोले, मैं तोते की जुदाई पर नही रो रहा हूं। 

पूछा गया, फिर क्यों रो रहे हो....?

कहने लगे, दरअसल बात ये है कि मैंने उस तोते को वेद मंत्र सिखा रखा था, 
वो सारा दिन वेद मंत्र को पढता रहता था।

आज जब बिल्ली उस पर झपटी तो वो वेद मंत्र भूल गया और टाएं टाएं करने लगा।

अब मुझे ये फिक्र खाए जा रही है कि वेद मंत्र तो मैं भी पढ़ता हूँ लेकिन जब मौत का फरिश्ता मुझ पर झपटेगा, न मालूम मेरी जुबान से वेद मंत्र निकलेगा या तोते की तरह टाएं टाएं निकलेगी।


*इसीलिए संत कहते हैं कि दिन रात भजन सुमिरन करो ताकि मरते वक्त भी सुमिरन चलता रहे।*

"बिना नागा भजन सुमिरन करो जी"

जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव।

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Jaigurudev