*संगत की प्रार्थनाएं* (post no.9)
*प्रार्थना रोज होनी चाहिए एवं २-३ प्रार्थना -*
*सभी प्रेमियो को याद होनी चाहिए।*
jivan ka bhar hai
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गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
यह विनती है पल- पल, छिन- छिन,
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ।।१।।
ज्ञान हो अज्ञान हो।
हम तो अब आप ही के हैं,
गुरुदेव तुमहारे चरणों में।।
यह विनती है पल- पल, छिन- छिन,
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ।।२।।
नेम आचार सभी हम तोड़े।
अब लाज हमारी तुमको है,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।।
यह विनती है पल- पल, छिन- छिन,
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ।।३।।
कुटुम्ब लाज की नीति तोड़ी।
अब कुछ रहा न कोई मेरा,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में ।।
यह विनती है पल- पल, छिन- छिन,
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ।।४।।
जीवन सफल हो स्वामी हमारा।
मन मे आस तुम्हारी हो,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों मे।।
यह विनती है पल- पल, छिन- छिन,
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ।।५।।
चरण छोड़ कहीं और न जावे।
आस विश्वास तुम्हारी हो,
गुरुदेव तुमहारे चरणों मे ।।
यह विनती है पल- पल, छिन- छिन,
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ।।६।।
चरण कमलों में पड़े रहें।
रज चरणों की बनी रहे,
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।।
यह विनती है पल- पल, छिन- छिन,
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में ।।७।।
गुरुदेव तुमहारे चरणों में।
यह विनती है पल-पल, छिन-छिन,
रहे ध्यान तुमहारे चरणों में ।।
Jo Ham bhale bure to tere
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जौ हम भले बुरे प्रभु तेरे....
जौ हम भले बुरे प्रभु तेरे....
जौ हम भले बुरे प्रभु तेरे....
जौ हम भले बुरे प्रभु तेरे....
जौ हम भले बुरे तो तेरे....
Jab dar pe tumhare hi
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फिर मेरी ही किस्मत में क्यों रंज उठाना है॥
दरबार से अब हरगिज उठकर नहीं जाना है॥
जैसे भी निभाओगे अब तुमको निभाना है॥
जब तुम न सुनो मेरी फिर किसको सुनाना है॥
हैं ख्वाहिशें इस दिल की।
जरिया तो है आँखों का आँसू का बहाना है॥
फिर मेरी ही किस्मत में क्यों रंज उठाना है॥
Jag me guru saman nahi
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वस्तु अगोचर दई मेरे सतगुरू, भली बताई बाता।
काम, क्रोध कैद करि राखे, लोभ को लीन्हों नाथा।।
काल्हि करे सो हालहिं करिले, फेरि मिले न यह साथा।
चौरासी में जाय गिरोगे, भुगतो दिन औ राता।।
शब्द पुकार पुकार कहत हैं, करि ले सन्तन साथा।।
सुमिरन बन्दगी कर साहिब की, काल नवावै माथा।।
कहैं कबीर सुनो भई साधो, मानो बचन हमारा।।
परदा खोल मिलो सतगुरु से, उतरो भव जल पारा।।
जग में गुरु समान नहिं दाता।।
Bhakti karte chute mere pran
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रहे जनम जनम तेरा ध्यान गुरु जी यही मांगू सदा ।।१।।
तेरी महिमा निरंतर सुनाता चलूँ ।
तेरा गाऊँ सदा गुणगान गुरु जी यही मांगू सदा ।
भक्ति करते छूटें मेरे प्राण गुरु जी यही माँगू सदा ।।२।।
तेरी मूरत को अन्तर मै धारा करुँ ।
देना आकर के दर्शन दान गुरु जी यही मांगू सदा ।।
भक्ति करते छूटें मेरे प्राण गुरु जी यही माँगू सदा ।।३।।
मेरे अवगुण को चित्त मै धरना नही ।
मेरे मेटो भरम अज्ञान गुरु जी यही मांगू सदा ।।
भक्ति करते छूटें मेरे प्राण गुरु जी यही माँगू सदा ।।४।।
मुझको चरणों का सेवक बना लेना।
छूटे काम क्रोध मद मान,
गुरुजी यही मांगू सदा।।
निश दिन तेरे चरणों को भूलूँ नही ।
दाता देना यही वरदान गुरु जी यही माँगू सदा ।।
रहे जनम जन्म तेरा ध्यान गुरु जी यही माँगू सदा ।।५।।
Kab tak rahoge ruthe
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कुछ तो हमें बता दो क्या भूल है हमारी ।।१।।
मुख मोड़ आप बैठे बिगड़ी दशा हमारी ।।२।।
इन आँसुओ की माला लो भेंट है तुम्हारी ।।३।।
क्यों हो गुरुवर रूठे आई हमारी बारी ।।४।।
खाली न मुझको भेजो होगी हँसी तुमहारी ।।५।।
Kabhi na kabhi satguru
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जीवन के एक दिन सहारे मिलेंगे।।
अगर प्यार की है तो प्यारे मिलेंगे।।
कभी ना कभी....
वही प्यार के परवाने मिलेंगे।।
कभी ना कभी...
इसी मोहिनी में आधारे मिलेंगे।।
कभी ना कभी...
हरिहार के एक दिन द्वारे मिलेंगे।।
कभी ना कभी....
दयालु दया सिंधु द्वारे मिलेंगे।।
कभी ना कभी सतगुरु प्यारे मिलेंगे ।
जीवन के एक दिन सहारे मिलेंगे।।
Karo ri jatan sakhi sai
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तज दे बुद्धि लड़कैयां खेलन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।२।।
यह मारग चौरासी चलन की ।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।३।।
साईं की सेज वहाँ लागी फूलन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।४।।
सूरत सम्हाल पड़े पइयाँ सजन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।५।।
कुंजी बताऊँ तोहे ताला खोलन की।
करो री जतन सखी साईं मिलन की ।।६।।
Kai janmo se bula rahi hu
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कोई तो रिश्ता जरूर होगा।
अब तक नजरें मिला ना पाई,
मेरी नज़र का कसूर होगा ।।
तुम ही तो मेरे देवता हो ।
इतने सारे मैंने रिश्ते बनाए,
एक ना एक तो जरूर होगा ।।
खाली जगह है मेरे दिल में ।
आंखों का पर्दा दूर करो तुम,
तब ही तो तेरा दर्शन होगा ।।
बाकी जगत है झूठा सपना।
आकर मुझको गले लगाओ,
तभी तो मुझको सरूर होगा।।
Khoj ri piya ko nij ghat me
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तो भटको मत जग में ।
यह अटकावे मग में ।।
पड़े रहोगे अघ में ।
भरमो जोनि खग में।
अटक रहे डगडग में ।
पिया मिले कोई साधु समग में ।
भरम धसे इनकी रग-रग में ।
वे तोहि कहें अलग में ।
खाए ठगौरी तू इन ठग में ।
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Jaigurudev