स्वामी जी महाराज व महाराज जी का आदेश...*प्रार्थना, सुमिरन, ध्यान व भजन रोज होना चाहिए।* (post no.7)

प्रार्थना 35
*Gurudev tumhare charno me*
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गुरुदेव तुम्हारे चरणों मे सतकोटि प्रणाम हमारा है,
मेरी नईया पार लगा देना कितनों को पार उतारा है ।।१।।

मै बालक अबुध तुम्हारा हूँ तुम समरथ पिता हमारे हो,
मुझे अपनी गोद बिठा लेना दाता लो भुजा पसारा है ।।२।।

यद्दपि संसारी ज्वालायें हम पर प्रहार कर जाती हैं,
पर शीतल करती रहती है तेरी शीतल अमृत धारा हैं।।३।।

जब आंधी हमें हिला देती ठंडी जब हमें कपा देती,
मुस्कान तुम्हारे अधरों की दे जाती बड़ा सहारा है ।।४।।

कुछ भुजा उठाकर कहते हो कुछ महा मन्त्र सा पड़ते हो,
गद गद हो जाता हूँ स्वामी मिल जाता बड़ा सहारा है ।।५।।

उस मूर्ति माधुरी की झांकी यदि सदा मिला करती स्वामी,
शौभाग्य समझते हम अपना कौतुहल नाथ तुम्हारा है ।।६।।

मै बारम्बार प्रणाम करूँ चरणों मे शीश झुकाता हूँ,
अब पार अवश्य हो जाऊंगा गुरु ने पतवार सम्हाला है ।।७।।

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प्रार्थना 36

*Gurudev tumhare darshan ko*
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गुरुदेव तुम्हारे दर्शन को, एक दरश भिखारी आया है।
दो नयन कटोरों मे आंसू, भर भेंट चढ़ाने आया है।।

तुम मुझमे बसो मैं तुममे बसूं,
पूरण हो मेरी अभिलासा।
तेरी शक्ति अनन्त अनादि गुरु,
घट घट मे आप समाया है।।

तन प्रेम रूपी इस मन्दिर मे,
गुरु नाम की झंकार हो।
गुरुदेव तुम्हारी झंकारों ने,
यह जीवन सुफल बनाया है।।

नत मस्तक हूँ इन चरणों में,
मन सुमिरन मे यह लगता रहे।
इसे अटल रखो गुरु निज चरणों में,
ये नीच शरण में आया है।।

गुरुदेव तुम्हारे दर्शन को,
एक दरश भिखारी आया है।
दो नयन कटोरों में आसूं, भर भेंट चढ़ाने आया है।।

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प्रार्थना 37

*Guruvar mera sahara*
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गुरुवर मेरा सहारा तेरे सिवा नही है,
आधार एक तू है कोई दूसरा नही है।।

तू बंधू तू सखा है तू माता तू पिता है,
तेरा सिवा जहाँ मे अपना कोई नही है।।

वह कौन वस्तु लाऊँ, जिसको तुम्हे चढ़ाऊँ,
जो कुछ है सब है तेरा कुछ भी मेरा नही है।।

धीमी सुलग रही है कर तेज आग अपनी,
मेरे ममत्व का मल सारा जला नही है।।

दीपक मै ज्यों पतंगा, जब तक कि वीर कोई,
तुझमे जला नही है तुझसे मिला नही है।।

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प्रार्थना 38

*Guru vani me amrat bhara hai*
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गुरु वाणी मे अमृत भरा है,
वो जमाने मे मिलता नही है।
तेरी नजरों मे जादू भरा है,
ज्ञान गुरु बिन तो मिलता नही है।।

नूर ही नूर चहु दिशि तुम्हारे,
कोटि चन्दा और सूरज भी हारे।
दर्श पाये बिन स्वामी तुम्हारे,
प्रेम का रंग खिलता नही है।
गुरु वाणी मे अम्रत भरा है,
वो जमाने मे मिलता नही है।।

तूने त्रिभुवन अनेकों बनाये,
श्रष्टी चलती है तेरे चलाये।
नाथ तेरी तो बिन कृपा के,
एक पत्ता भी हिलता नही है।
गुरु वाणी मे अम्रत भरा है,
वो जमाने मे मिलता नही है।।

हाथ पकड़ा है तुमने हमारा,
हमको केवल हे तेरा सहारा।
सतगुरु का जो होता है प्यारा,
काल से भी वो डरता नही है।।
गुरु वाणी मे अम्रत भरा है,
वो जमाने मे मिलता नही है।।

नाम धन का तू भरले खजाना,
छूट जायेगा सब आना जाना।
भाग्य से होता है नर तन का पाना,
अपनी मर्जी से मिलता नही है।।
गुरु वाणी मे अम्रत भरा है,
वो जमाने मे मिलता नही है।।

दीन बंधू हे दाता कृपालू,
दो दया भक्ति मुझको दयालू,
दास चरणों का मुझको बना लो,
गुरु चरण सब को मिलता नही है।।

गुरु वाणी मे अम्रत भरा है,
वो जमाने मे मिलता नही है।।

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प्रार्थना 39

*Guru bacha loge jisko*
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गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा,
फेर लोगे नजर तो वो फंस जायेगा ।।

तेरी नजरों में कोई करामात है,
हर समय होती अमृत की बरसात है ।
उसको विरला ही कोई समझ पायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

वो दयादृष्टि जिस पर हो जायेगी,
भाग्य उसकी तत्क्षण सुधर जायेगी ।
वो सफल उसका नरतन भी हो जायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

बन चुका भार कोई हो संसार का,
फेर ली हो नजर जिससे सब प्यार का,
सब तरफ का भी हारा संभल जायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

तन में शक्ति नहीं, धन भी रत्ती नहीं,
धर्म की भी तरफ भाव भक्ति नहीं ।
मन दुराचार में भी जो रम जायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

जिसको तेरे सिवा और कोई नहीं,
रात दिन तेरी भक्ति में सोई नहीं।
अंग संग उसके तब तू ही हो जायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

जो नजर तेरी नजरों में डाले खड़ा,
धन्य वह हो गया भाग्यशाली बड़ा ।
उसका यमदूत कुछ भी न कर पायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

दीन दुखिया हूँ मैं तेरे द्वारे पड़ा।
पाप से भर चुका है ये मेरा घड़ा ,
जो किया है उसी का फल पायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

तेरे अतिरिक्त किसको पुकारूँ प्रभु,
तेरी मूरति सुरति में उतारूँ प्रभु।
नाम नौका पै चढ़ दास तर जायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

नाम तेरा मैं मुख से उचारूँ प्रभु,
अपने अन्तः करण में निहारूँ प्रभु।
दीप जलते ही सब पाप धुल जायेगा,
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

दीप के साथ ध्वनियाँ भी बजने लगी,
स्वर्ग बैकुण्ठ की रील चलने लगी।
देव भी ऐसे साधु का गुण गायेगा ।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

जयगुरुदेव भगवान का नाम है,
तुमको जो जान लेगा बना काम है।
देव मानव से भगवान हो जायेगा।
गुरु बचा लोगे जिसको वो बच जायेगा।।

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प्रार्थना40

*Guru tere charno ka*
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गुरु तेरे चरणों का बल चाहता हूं,
मैं जाना अनामी के घर चाहता हूं।।

झकोले जगत के यहां खा रहा हूं,
न अपना किसी को यहां पा रहा हूं।।

है स्वारथ की दुनिया यह सच देखता हूं,
निकल भागने का मैं पथ चाहता हूं।।

है एक चूसना चाहता दूसरे को,
दबाना चाहे दूसरा तीसरे को।।

सभी ईष्र्या द्वेष में जल रहे हैं,
मैं बचने का दो पदम दल चाहता हूं।।

हूं सुनता वहीं से है एक मार्ग जाता,
ले जाकर वहां काल है सबको खाता।।

जिसे देखकर धैर्य भी कांपता है,
उसी से बचने का हल चाहता हूं।।

गली सांकरी जो वहीं से है जाती,
वह सीधी सड़क से है जाकर मिलाती।।

सड़क पा गया तो शहर देखता हूं,
यह संकल्प अपना सफल चाहता हूं।।

जयगुरुदेव ★
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