◆ जयगुरुदेव | इतिहास के पन्ने ◆
*क्या आपको पता है कि-*
सतगुरु ने ‘निज’ दया संवारी, दया लुटाया ‘दून’ से।।
जीव जगाने वाले गुरु की, मौज बड़ी अलबेला थी।
‘खेड़ली मोड़’ भरत पुर में, जा पहुँचा ‘‘दिलकश’’ काफिला,
‘आतम भेद’ सिखाया गुरु ने, ‘आध्यातम’ विद्यालय में।
‘शाकाहारी’ बन जाओ गन्दगी निकालो ‘खून’ से ।।
भाव उमड़ आये जनता के, ‘आबू रोड’ ‘‘सिरोही’’ का,
‘चैकड़ी’ गांव की जनता न्यारी, ‘‘कितनी दया हम पा डाले’’?
सच्चा प्रीतम पा जावोगे ‘‘शुद्ध डोर’’ की मेली में,
‘मरते दम’ तुम याद करोगे- ‘‘मिलूंगा’’ पक्का सेवक हूं,
नहीं ‘‘भूल’’ पाऊंगा इसको जो ‘‘सेवाभाव’’ दिखाया है,
सेवा अंगीकार किया फिर, वापस उसको देता हूं,
खुद इन्दौर पधारे स्वामी, जनता को आबाद किया,
भोर में 4 बजे ही चलकर- ग्वालियर प्रस्थान किये,
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4 टिप्पणियाँ
Very good information' God Gyan
जवाब देंहटाएंVery good information' God Gyan
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट very good लोगों के लिए हेल्प करेगी। लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद Good informationJai Guru Dev
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट very good लोगों के लिए हेल्प करेगी। लेखक को बहुत-बहुत धन्यवाद Good informationJai Guru Dev
जवाब देंहटाएंJaigurudev