Gau Mata Ki Suno Pukaar (5)

● *गऊ माता की सुनो पुकार*●

गाय को माता हम कहते,
फिर सेवा हम क्यों नहीं करते।
नहीं रहा हमें उससे प्यार,
गऊ माता की सुनो पुकार।।

पुत्र सम अमृतपान कराती,
माँ के जैसा पालन करती।
करते कपूत सम व्यवहार,
गऊ माता की सुनो पुकार।।

भूखी प्यासी दर दर फिरती,
वाहन की टक्कर से मरती।
सुन लो गोपालों तुमको है धिक्कार,
गऊ माता की सुनो पुकार।।

गोबर से खूब बनाया ईंधन,
गोबर गणेश का करते पूजन।
गोबर खाद से की है खूब पैदावार,
गऊ माता की सुनो पुकार।।

कलयंत्रों से अब खेती होती,
गौ माता की कदर नहीं होती।
अब तो पशुधन लगता है बेकार,
गऊ माता की सुनो पुकार।।

कामधेनू हम गाय को कहते,
देवी देवता सब इसमें रहते।
सेवा करलो खुश होंगे देव परिवार,
गऊ माता की सुनो पुकार।।

अंतिम सांसे चलती जब मात पिता की,
जब याद आती है गौमाता की।
बेतरणी बनकर कराती भवसागर से पार,
गऊ माता की सुनो पुकार।।

गौ सेवा कर कृष्ण बने अवतार,
मानों विनती मत करना इन्कार।
ग्वाल कह रहा तुमसे बारम्बार,

गऊ माता की सुनो पुकार।
गऊ माता की सुनो पुकार।।

शेष क्रमशः पोस्ट न. 6 में पढ़ें  👇🏽

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ