● *जयगुरुदेव चेतावनी* ● 4.

*चेतावनी १५*
Ja din man panchi ud jaihe


जा दिन मन पंछी उड़ि जइहैं।।
ता दिन तेरे तन तरुवर के सबै पात झड़ि जैहैं।।१
या देहि का गर्व न कीजै, स्यार काग गिध खइहैं।।२
कहां वह नैन कहां वह शोभा, कहं रंग रुप दिखइहैं।।३
जिन लोगन से नेह करत हौ, सो तेहि देखि डरइहैं।।४
जिन पुत्रन को बहु प्रति पाल्यो, देवी देव मनइहैं।।५
तेहि ले बांस दियो खोपड़ी में, सीस फाड़ बिखरइहैं।।६
घर के कहत सबेरे काढो, भूत भये घर खइहैं।।८
अजहूं मूढ़ करो सत्संगत, संतन में कछु पइहैं।।९
नर बपुधर जो जन नहिं गुरु के, जम के मारग जइहैं।।१०
सूरदास संत भजन बिन, वृथा ये जनम गवइहैं।।११



*चेतावनी १६*
Duniya ke rahgiro
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दुनिया के राहगीरों क्या सन्त कह रहे हैं,
मन माया इन्द्रियाँ सब तोहे लूट ले रहे हैं ।।१।।

तन धन से तुम दुखी हो परिवार से दुखी हो,
जिनको मिला है सबकुछ वह भी तो रो रहे हैं ।।२।।

माना कि सारे सुख दुःख प्रारब्ध से हैं मिलते,
पर देख लो तुम्हे क्या गुरुदेव दे रहे हैं ।।३।।

जो हो न पास तेरे वो भी तुम्हे वह देंगे,
पड़ जा शरण उन्हीं की ले लो जो दे रहे हैं ।।४।।

लेगा न गर तू अबकी पछताना फिर पड़ेगा,
पछता के सामने से कितने ही जा रहे हैं ।।५।।

सोते ही बालपन को तुमने बिताया अपने,
अब जा रही जवानी सब खोने जा रहे हैं ।।६।।

लेते जन्मते मरते युग कितने हैं बिताये,
धन धान्य पुत्र कितने तोहे छोड़ जा रहे हैं  ।।७।।

कोई है सदा न तेरा तू भी नही किसी का,
धोके भरम के चक्कर मे फंस के मर रहे हैं ।।८।।

सतगुरु तुम्हारे दर पर भी आ तुम्हें जगाते,
पर आप मोह निद्रा मे सोते जा रहे हैं ।।९।।

अब भी तू उठ कर अपनी जीवन पहेली समझो,
गुरुदेव प्यारे सतगुरु तुमको बुला रहे हैं ।।१०।।



*चेतावनी १७*
Duniya ka hokar dekh liya
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दुनिया का हो कर देख लिया,
अब गुरु का हो कर देख जरा।
गुरु भक्ति में कितना सुख है,
इस राह पर चल कर देख जरा।।

आना-जाना मिट जाएगा,
मन में खुशियां आ जाएगी।
सतगुरु के चरणों में अपने,
मस्तक को रख कर देख जरा।।

फंसकर माया के बंधन में,
कईं जनम यहां बर्बाद किए।
सतगुरु के नामों की माला,
हर सांस पर जपकर देख जरा।।

क्यों कहता है मेरा मेरा,
झूठा भ्रम है तेरा मेरा।
क्या लाया क्या ले जाएगा,
यह सोच कर पगले देख जरा।।

गुरु सुमिरन के महासागर में
भण्डार हैं सच्चे रत्नों के,
क्या सोच कर बैठा किनारे पर,
गहराई में आकर देख जरा।।



*चेतावनी १८*
Gayi kyon mati Mari
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गई क्यों मति मारी, छोड़ो अंडा मांस बनो शाकाहारी...२।।१।।

दूध मलाई रबड़ी मट्ठा लस्सी पीना सीखो,
गाजर मूली पालक सब्जी खाकर जीना सीखो।
दूर होवे बीमारी छोड़ो अंडा मांस बनो शाकाहारी...।।२।।

जीव मारकर खाने का हक है किसने दीन्हा,
चील कौवों गिद्धों का हक है किसने छीना।
पाप है यह भारी छोड़ो अंडा मांस बनो शाकाहारी...।।३।।

अपनी जान प्यारे प्यारी सबको होती है,
जीव तड़पता प्राण तड़पता आत्मा भी रोती है।
कहें जयगुरूदेव समझाई छोड़ो अंडा मांस बनो शाकाहारी...।।४।।

गई क्यों मति मारी छोड़ो अंडा मांस बनो शाकाहारी...।।



*चेतावनी १९*
Guru ka dhyan kar pyare
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गुरु का ध्यान कर प्यारे, 
बिना इस के नहीं छुटना ।
नाम के रंग में रंग जा,
मिले तोहि धाम निज अपना ।।

गुरु की सरन दृढ़ कर ले,
बिना इस काज नहीं सरना ।
लाभ और मान क्यों चाहे,
पड़ेगा फिर तुझे देना ।।

करम जो जो करेगा तू,
वही फिर भोगना भरना ।
जगत के जाल में ज्यों त्यों,
हटो मरदानगी करना ।।

जिन्होने मार मन डाला, 
उन्ही को सूरमा कहना ।
बड़ा बैरी ये मन घट में,
इसी का जीतना कठिना ।।

पड़ो तुम इसही के पीछे,
और सबही जतन तजना ।
गुरू की प्रीत कर पहिले,
बहुरि घट शब्द को सुनना ।।

मान लो बात यह मेरी, 
करे मत और कुछ जतना ।
हार जब जाय मन तुझसे, 
चढ़ा दे सुर्त को गगना ।।

और सब काम जग झूठा,
त्याग दे इसी को गहना ।
कहै स्वामी समझाई ।
गहो अब नाम की सरना ।।

गुरु ध्यान धरो तुम मन में,
गुरु नाम सुमिर छिन छिन में ।
गुरु ही गुरु गाओ भाई
गुरु ही फिर होय सहाई ।।

जितने पद ऊंचे-नीचे 
गुरु बिन कोई नाही पहुंचे ।
गुरु ही घट भेद लखाया। 
गुरु ही सुन्न शिखर चढाया।।

महासुन्न भी गुरु दिखलाई,
गुरु भंवर गुफा दरसाई ।
गुरु सत्त लोक पहुंचाया ,
गुरु अलख अगम परसाया ।।
गुरु ही सब भेद बखाना,
गुरु से सतगुरु स्वामी जाना ।।


जयगुरुदेव |
शेष क्रमशः पोस्ट 5. में पढ़ें 🙏🏻👇🏼

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