*जयगुरुदेव*
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
29.06.2025 8:00 AM
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, ठिकरिया, जयपुर
1. *यह क्रम जो चल रहा है साधना करने का, बंद नहीं होगा बल्कि बढ़ेगा। सबकी परेशानी इसी से जाएगी।*
9:51 - 11:32
तो यह क्रम जो चल रहा है साधना करने का, बंद नहीं होगा बल्कि बढ़ेगा और बढ़ाना है। क्योंकि काम इसी से होगा। यह नहीं जब अपने लोग कर पाए; तभी झेल रहे। तकलीफें कदम- कदम पर आ रही हैं। बहुत से लोग बहुत परेशान हैं। यहां तक कि मौत से सबको डर रहता है, जीना हर कोई चाहता है लेकिन बहुत से लोग परेशानियों से ऊब करके और मर जाना ही इस समय पर पसंद कर रहे हैं और परेशानी में देखो जो नहीं कदम उठाना चाहिए, कभी भी आत्महत्या नहीं करनी चाहिए, उसको भी कर डाल रहे हैं। परेशानियां कैसे जाएंगी? एक इसी उपाय से जाएंगी, इसी लक्ष्य, इसी उद्देश्य सें जाएंगी।
*चाहे हमारी हो, चाहे आपकी हो, चाहे आपके परिवार की हो, चाहे रिश्तेदार की हो, चाहे समाज की हो, चाहे देश की हो, चाहे विश्व की हो, परेशानी इसी (साधना करने) से जाएगी और इसको अगर आप लोग नहीं करोगे, नहीं कराओगे नामदानियों को; तो समझ लो कि विनाश अवश्यंभावी।*
2. *नाश और विनाश अलग-अलग होते हैं।*
11:37 - 14:06
एक होता है नाश और एक होता है विनाश। ये दोनों अलग-अलग हैं। इसका दोनों का मतलब अलग होता है। नाश में क्या होता है? जैसे घर का एक हिस्सा गिर गया, दीवाल गिर गई तो बोले नाश हो गया। यह देखो गेहूं रखा था, यह देखो चावल रखा था, ये सब दब गया। ये सब देखो इतना नुकसान हो गया।
ये सामान हमारा बेकार हो गया; नाश हो गया। और विनाश किसको कहते हैं? विनाश उसको कहते हैं कि बाढ़ आई और पूरा घर बह गया। भूचाल आया और पूरा घर गिर गया। सिर छुपाने की जगह नहीं रही तो उसको कहते हैं विनाश।
*विनाश होगा। नामोनिशान नहीं रहेगा। ऐसे देखते देखते बड़े-बड़े ऊंचे ऊंचे मकान जमीन में समा जाएंगे। धरती फटी हुई दिखाई पड़ेगी। कहां तक फटी है नीचे दिखाई नहीं पड़ेगा कि कितना गहरा गड्ढा है। इतनी तेज हवा चलेगी कि जानवर उड़ते हुए दिखाई पड़ेंगे।
कुछ ही समय के बाद; अगर आप जिंदा, हम जिंदा रहे तो दिखाई पड़ेगा। यहां भले न हो, भक्तों की रक्षा भले हो, सेवक की रक्षा भले करें वो; लेकिन यह सुनाई पड़ेगा जहां होगा। रेडियो में आएगा, अखबार में आएगा, टीवी में आएगा; छाया रहेगा यह समाचार।*
इसको अगर रोकना चाहते हो, जान बचाना बहुत बड़ा पुण्य का काम होता है, जान अगर बचाना चाहते हो, चाहे अपना हो, चाहे दूसरे का हो; तो साधना करो और लोगों को कराओ। समझाओ और प्रेरणा दो और परिवार वालों से अगर कुछ चाहते हो कि ये हमारे काम परिवार वालों को कराओ।
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
29.06.2025 8:00 AM
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, ठिकरिया, जयपुर
3. *बच्चों और बच्चियों को साधना कराओ, नहीं तो यह आपके नहीं होंगे।*
14:08 - 16:33
बच्चों बच्चियों को कराओ साधना नहीं तो ये आपके नहीं होंगे। ऐसा समय आएगा कि ये पागल हो जाएंगे क्योंकि किसका देश है ? काल और माया का देश है। काल किसको कहते हैं ? जिसने इस दुनिया को बनाया, इस शरीर को बनाया, सारी व्यवस्था को बनाया। माया किसको कहते हैं ? जहां तक माना जाता है वहां तक माया का ही पसारा है, माया ही माया है। ये सब जो आप देख रहे हो, पेड़ पौधे, सुंदरता, ये जो मकान घर देख रहे हो, ये जो अच्छे-अच्छे पक्षी और ये सुंदर-सुंदर दृश्य देख रहे हो यहां का, ये सब माया का ही पसारा है।
*तो माया भी जोर करेगी, काल भी जोर करेगा। जिनसे आप उम्मीद करते हो ये लड़के लड़कियां ये भग जाएंगे घर छोड़कर के। पागल हो जाएंगे दीवानगी में।* कौन सी दीवानगी ? जो गुरु के प्रति दीवानगी होनी चाहिए, गुरु से प्रेम होना चाहिए, उससे दूर हट करके ये लड़के लड़कियों से प्रेम करेंगे, भग जाएंगे, धोखा खाएंगे।
जब भगा दिए जाएंगे, मार पड़ेगी वहां भग-भग करके आएंगे। लेकिन लालच इतना पैदा हो जाएगा कि 2 करोड रुपए की बिल्डिंग में रहेंगे, 2 करोड़ रुपए की गाड़ी पर चलेंगे, खाने पीने नौकर की कोई कमी नहीं होगी तो ये क्या होगा ? माया का ये जाल होगा। माया का पसारा होगा। माया ये सब लालच लोभ पैदा करेगी, वो समय आएगा।
अगर परिवार वालों से कुछ चाहते हो, उम्मीद चाहते हो तो बैठाओ इनको, बच्चे और बच्चियों को बैठाओ; नहीं तो जिन पर आपको भरोसा है, जिनको कहते हो मेरी बच्ची है, जिनको कहते हो मेरा बच्चा है, वो आपका नहीं होगा, वो नहीं होगा। ऐसा समय आ रहा है। प्रेमियों! करो और कराओ ये साधना बराबर घर पर भी हो सकती है, कहीं भी हो सकती है।
4. *गुरु से कैसा प्रेम होना चाहिए?*
20:40 - 23:49
तो कहोगे भाई प्रेम तो हमने किया लेकिन वो प्रेम नहीं जगता है अंतर में कि जो प्रेम का उदाहरण सन्तों ने दिया है। क्या दिया है?
" *स्वामी प्रीत यूं करे जैसे चंद्र चकोर। चोंच झुकी गर्दन लगी चितवत वाही ओर।।* "
चंद्रमा और चकोर का नाम आपने सुना होगा। न सुना हो तो बता देते हैं। चकोर एक पक्षी होता है और चंद्रमा को सब जानते हो। छोटे छोटे बच्चे चंदा मामा कहते हैं। तो चंद्रमा से उसको प्रेम होता है और उसको ये आभास हो जाता है कि चंद्रमा निकलने वाला है। जैसे चंद्रमा के निकलने का समय आता है ऐसे वो चंद्रमा को देखने लगता है। एकटक देखता है। अब पृथ्वी ये चलती रहती है और रहता वो पृथ्वी पर है और चंद्रमा उससे जो है दूर हटता जाता है तो चंद्रमा ऊपर की तरफ चढ़ता हुआ दिखाई पड़ता है।
जैसे जब निकलता है तब आसमान में नीचे दिखाई पड़ता है और जैसे जैसे रात बढ़ती है वैसे वैसे ऊपर होता जाता है और एक समय ऐसा आता है जब रात्रि खत्म होने को होती है तो चंद्रमा ढल जाता है। चंद्रमा ढल जाते हैं उस समय पर। तो चकोर क्या करता है? जब से चंद्रमा दिखाई पड़ता है तब से बराबर ऐसे देखता रहता है और ऐसे ऐसे देखते देखते उसकी गर्दन पीछे झुक जाती है और ये जो चोंच नीचे रहता है वो घूम करके ऐसे जमीन में लग जाता है। तो कहा, स्वामी प्रीत यू करे जैसे चंद्र चकोर।
चोंच झुकी गर्दन लगी चितवत वाही ओर।। चोंच झुक जाता है, गर्दन नीचे लग जाती है जमीन में; लेकिन बराबर देखता रहता है। *ऐसे ही कहा गया है कि गुरु को नजरों में अपने बसा लेना चाहिए और उस तरह से प्रेम करना चाहिए।*
तरह तरह से सन्तों ने समझाया कि -
*जैसी प्रीत कुटुंब से, वैसी गुरु से होये।*
अगर वैसा ही प्रेम गुरु से शुरू में करने लग जाए कि जैसा प्रेम परिवार वालों से होता है, कुटुंब से होता है, उसी तरह से करने लग जाए तो भी काल उसके पल्ले को नहीं पकड़ सकता है, बाधा काम में नहीं डाल सकता है। लेकिन भूल जाते हैं।
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
29.06.2025 8:00 AM
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, ठिकरिया, जयपुर
5. *अंतर में गुरु के स्थान पर पहुंच जाओगे तो जन्म-मरण से छुटकारा पा जाओगे।*
26:11 - 27:22
मोटी बात ये है कि आप सब लोग लगो इस काम में, असली चीज ये है। इसी से सब काम बनेगा। इसी से आपके संकट दूर होंगे, इसी से आपका प्रारब्ध बनेगा, जिसको भाग्य आप कहते हो । इसी क्रम से आपके भाग्य बनेंगे, इन्हीं कर्मों से ही पुनर्जन्म से बच जाओगे।
ये अगर काम कर ले गए, साधन बन गई, चढ़ाई हो गई ऊपर तक, गुरु के पास पहुंच गए, जो अंतर में गुरु का स्थान है; तो जन्म मरण से छुटकारा पा जाओगे और नहीं तो डूबोगे उतराओगे, इसी भवसागर में लौट लौट करके आओगे। इसलिए आज आप लोगों से कहना है, निवेदन प्रार्थना करनी है, चाहे पुरुष हो, चाहे महिला हो, चाहे बच्चे और बच्ची हो, होश में जो हो, जो इन बातों को सुनो और थोड़ा भी समझ रहे हो, सब लोग लग जाओ साधना करने और कराने में।
6. *अगर नहीं समझोगे तो आप जानो और आपका काम जाने, हम कितना बोझा ढो पाएंगे।*
45:03 - 48:29
हम भी कोशिश करेंगे कि जहां बराबर सुबह-शाम साधना हो रही है, वहां मैं भी शरीक हो जाऊं, भागीदार हो जाऊं। कभी एनबीसी के पास में जो अपना आश्रम है वहां पहुंच जाऊंगा, कभी रजनी विहार में जो आश्रम है वहां पहुंच जाऊंगा, कभी यहां रहूंगा। आप लोग बराबर लगे रहो, मैं भी लगूंगा इस काम में। मुझे भी तो अपना काम बनाना है, मुझे अपना काम ज्यादा बनाने की फिक्र है क्योंकि बोझा मेरे ऊपर ज्यादा है, लोड मेरे ऊपर ज्यादा है इसलिए मुझे ज्यादा फिक्र है।
आप तो एक हिसाब से उतने बोझा वाले नहीं हो, हल्के हो। कारण क्या है, गुरु महाराज ने कहा था कि ये संभाल करेंगे और नए को नामदान देंगे। तो आप तो समझ रहे हो सब कुछ यही है और यही सब कुछ करेंगे। हम तो कुछ नहीं कर रहे, कर रहे हैं गुरु महाराज, करा रहे हैं गुरु महाराज।
लेकिन *एक बात यही बोल दिए कि यह संभाल करेंगे, आपको विश्वास हो गया और आप जो हैं हम ही को सब कुछ समझ करके कह रहे हो कि आप करो, ऐसा करो, वैसा करो तो बोझा है कि नहीं है, जिम्मेदारी है कि नहीं है?*
तो भैया हम भी करेंगे लेकिन अब पहले जैसी जिम्मेदारी हम नहीं लेना चाहते हैं क्योंकि आप लोग बात नहीं मानते हो। आप लोगों से जब कहता हूं तो आप करते नहीं हो। इतना देखो समझा रहा हूं लेकिन अभी जब उधर चलूंगा और मान लो अभी आप खड़े हो गए मिलने जुलने के लिए कि नजदीक से हम देख ले, बाबा हमको देख ले और खड़े हो गए तो कुछ न कुछ रोना रोओगे।
ये नहीं है, वो नहीं है, ऐसा नहीं, वैसा नहीं। कान में दर्द है, पेट में दर्द है, लड़का बिगड़ रहा है, दुकान नहीं चल रही, बिजनेस नहीं चल रहा है, ये है वो है।
*इतना समझाने के बाद, बराबर समझाता रहता हूं हर कार्यक्रम में लेकिन कहते हैं कान में जू नहीं रेंगता है। कुछ समझ में नहीं आता है। अब समझने की जरूरत है। अगर नहीं समझोगे तो आप जानो आपका काम जाने। हम कितना बोझा ढो पाएंगे। अरे जब बच्चा रहता है तो बच्चे को उठाकर के बाप चलता है, भाई चलता है गोदी में, लेकिन जब बड़ा हो जाता है तो उठाता है ? नहीं उठाता है।*
खिलाते हैं जो परिवार के बड़े लोग हैं किसको ? बच्चे को। टट्टी पेशाब कराते हैं और जब बड़ा हो गया तब उसका कोई करता है ये काम ? खुद करो, खुद लैट्रिन जाओ, खुद धो, खुद नहाओ और जब तक बच्चा रहता है नहलाते है, धुलाते हैं, कपड़ा पहनाते हैं, सब काम करते हैं।
तो कहां तक कोई करेगा भैया? अपना करो और जानो। अब कहां तक बच्चे बने रहोगे? अरे इतना दिन हो गया नामदान लिए हुए और जो बताया जाता है नहीं करते हो जिससे संकट दूर होता है वो काम नहीं करते हो तो जिम्मेदारी कौन लगा आपका धोने का, साफ करने का, सिखाने का, बताने का जो कहते हो अब बस यही करेंगे, अब तो गुरु महाराज चले गए इनको सौंप करके गए तरह-तरह की बातें करते हो तो कौन करेगा? हमारे बस का अब नहीं है।
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
01.07.2025 प्रातः काल
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, रजनी विहार, जयपुर
*5. गृहस्थी का सारा काम करो लेकिन सार शब्द को पकड़ो।*
8:14 - 10:13
गृहस्थी का सारा काम करो, जो आपका फर्ज बनता है, बच्चे और बच्चियों ! उस फर्ज को अदा करो। पत्नी का जो फर्ज बनता है पति के साथ, वो अदा करे। पति पत्नी का फर्ज अदा करे। बच्चे पैदा करते हो तो उनका फर्ज अदा करो लेकिन असला काम करो। *सार शब्द को पकड़ो। बाकी और लोगों के शब्द को भूलो।*
जो अभी तक धार्मिक भावना भरने वाले लोग आपको सुनाए जिससे दुनिया की चीजें आपको मिली, दुनिया की चीज़ों में आप फंसे, उसको भूलो और ये जो भजन करने का तरीका गुरु महाराज ने बताया प्रेमियों, गुरु महाराज के जाने के बाद मुझ (परम पूज्य महाराज जी) नाचीज़ को हुक्म हुआ, मैंने बताया ; इस शब्द को आप पकड़ो भजन करके। वो सार शब्द है।
कहा न -
*जंत्र मंत्र सब झूठ है, मति भरमो जग कोय। सार शब्द जाने बिना, कागा हंस न होय।।*
मंत्र जपते रहो, देवी खुश हो जाएंगी, देवी दे देंगी कुछ। देवता खुश हो जाएंगे, कुछ दे देंगे। मंत्र जपते रहो, भूत-प्रेत लगे हैं, हट जाएंगे। कोई अदृश्य शक्तियां परेशान कर रही हैं, वो हट जाएंगी। लेकिन मुक्ति तो नहीं होगी, मोक्ष नहीं मिलेगा, ये जीव संसार से मुक्त नहीं हो पाएगा, ये तो काल के घेरे में ही रह जाएगा; इसलिए इससे निकलने की कोशिश करो। सार शब्द को पकड़ो।
*6. ऊपर से शब्द तो एक ही उतर रहा है लेकिन नीचे पहुंचते-पहुंचते आवाज में मिलावट हो जाती है।*
24:06 - 27:26
मैं आपको बता रहा था 'सार शब्द' के बारे में। किसी-किसी को तो बिल्कुल साफ सुनाई पड़ जाता है और किसी-किसी को मिलौनी आवाज सुनाई पड़ती है। बच्चियों ! जैसे अनाज बनाती हो तो पहले साफ करती हो। अब उसमें धूल-गर्द ये सब आ जाता है। बहुत बढ़िया पोहा हो, बहुत बढ़िया दलिया हो, लेकिन कुछ न कुछ बनाते समय, तैयार करते समय, पैक करते समय उसमें धूल या गर्द ऐसी चीजें आ जाती हैं।
इसलिए देखो ! जो समझदार लोग होते हैं, भंडारी जो समझदार होते हैं, बच्चियां जो समझदार होती हैं; भोजन बनाने से पहले देख लेती हैं। फटक लेती हैं, एक बार धो करके फिर डालती हैं। कोई भी चीज हो दाल हो, चावल हो पहले उसको फटकेंगी और उसके बाद उसको धोएंगी। नहीं अगर फटकने लायक है, पोहा होता है, दलिया होता है या अन्य ऐसी चीज होती है, लोग ऐसे ही डाल देते हैं। धो लिया जाए, धो करके डाला जाए उसको ; उससे वो गर्द और धूल निकल जाएगी।
इसी तरह से जो शब्द में मिलावट हो जाती है, यहां पहुंचते-पहुंचते ऊपर से। निर्मलता उसमें पूरी-पूरी है लेकिन यहां पहुंचते-पहुंचते उसमें मिलावट हो जाती है। कैसे मिलावट हो जाती है ? *शब्द तो एक ही उतर रहा है, ऊपर से उतर रहा है लेकिन नीचे जो शब्द हैं, उसमें मिक्स हो जाते हैं।* और भी समझा दें! जैसे यहां से आप पैदल चलो और राजस्थान से जाओ कि हम दक्षिण दिशा में जाएंगे।
गुजरात होकर जाओगे तो गुजराती भाषा सुनोगे। कुछ दिन वहां रहोगे तो बोलोगे तो हिंदी लेकिन कुछ न कुछ गुजराती शब्द उसमें जुड़ जायेंगे, टोन बदल जाएगा। फिर महाराष्ट्र में जाओगे, वहां कुछ दिन रहोगे तो वहां बोली सुनते-सुनते; बोलोगे तो हिंदी ही लेकिन वहां की भाषा मिक्स हो जाएगी। वहां का टोन आ जाएगा बोलने का। टोन का मतलब क्या होता है? जैसे हिंदी ही बोलते हैं तो पूरब के लोगों में किसी में लचीलापन, किसी में खिंचाव जैसे हरियाणा में ही है थोड़ा कड़क बोलते हैं, यहां दूसरी भाषा बोलते हैं तो मिलावट हो जाती है; रहती हिंदी ही है लेकिन मिलावट हो जाती है।
इसी तरह से कर्नाटक में जाओ, कहीं भी जाओ, पूरब में चले जाओ तो वहां का मिक्स हो जाता है। तो इसी तरह से मिक्स हो जाती है आवाज़। तो उसमें छांटना पड़ता है।
जैसे देखो ! थोड़ी सी उसमें भाषा आ जाए गुजराती, गुजरात में जाओ और आप हिंदी जानते हो, यहां की भाषा बोलते हो तो जब कोई बोलने लग जाएगा तो छांटोगे कि नहीं छांटोगे। इसका मतलब ये क्या कह रहा है, इसका मतलब क्या हुआ ; उधर आपका ध्यान जाएगा। ऐसे ही ये मिक्स हो जाती है, यहां पहुंचते-पहुंचते तब उसको छांटना पड़ता है।
*7. सतगुरु बहुत रिसर्च करके कोई काम शुरू करते हैं।*
27:32 - 28:06
इसलिए ये नाम, रूप, आवाज नामदान में सतगुरु बताते हैं कि जीव कहीं फंसे नहीं। यही न सोच ले कि बस अब यही सब कुछ है। क्यों ? क्योंकि वे बहुत रिसर्च करके कोई काम शुरू करते हैं। सतगुरु को सारी जानकारी होती है। वे देखते हैं कि बेचारे बहुत से फंसे पड़े हुए हैं, आगे बढ़ ही नहीं पाए ; इसी में फंसे हैं। इसलिए इसको बताते हैं।
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
01.07.2025 प्रातः काल
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, रजनी विहार, जयपुर
*8. गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा, इसमें भरपूर (अंतर की दया) मिलेगा, इसलिए चूकना नहीं। कार्यक्रम में ध्यान-भजन में ज्यादा से ज्यादा समय देना।*
29:54 - 31:37
ये ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा। ऐतिहासिक किसको कहते हैं ? गुरु महाराज जो कार्यक्रम करके गए, जो बातें बताकर गए, उसका इतिहास बन गया। उन्हीं बातों के आधार पर देखो अब आगे लोग बढ़ रहे हैं। हम आप सब देखो उन्हीं बातों के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं। गुरु महाराज जो बोल करके गए, वो सारी चीजें सामने आ रही हैं। तो वो इतिहास बन गया। ऐसे ही ये ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा। *इसमें क्या होगा, क्या सुनने को मिलेगा, किसको क्या मिलेगा ; अभी हम क्या बता दें लेकिन भरपूर मिलेगा। जो जैसा होगा, उसको वैसा मिलेगा।*
लेकिन ऐसे नहीं मिलेगा कि चलो बंट रहा है, मुट्ठी में ले लो, खा लो, गठरी बांध करके। *बाहर से नहीं मिलेगा। अंतर से मिलेगा। और अंतर की दया जब मिल जाएगी तब मालामाल हो जाओगे। तब कोई चीज की कमी नहीं रह जाएगी। इसलिए चूकना नहीं वहां भी।*
जयपुर वालों का तो भाग्य है, जयपुर के आसपास, नजदीक वालों का तो भाग्य ही जगने का समय आ गया है। तो *कार्यक्रम में वहां ध्यान-भजन में जरूर बैठना। ध्यान भजन में समय देना। जो भी जितना भी समय वहां निर्धारित किया गया है, ज्यादा से ज्यादा समय देना।* लोगों को आप लोग बताना भी इस बात को कि चलो वहां बरसात हो रही है, लुट रहा है माल नहीं तो रह जाओगे।
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
01.07.2025 सायंकाल
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, ठिकरिया, जयपुर
1. *साधकों को जागते (होशियार) रहना चाहिए।*
4:40 - 6:27
बराबर आदत डालनी चाहिए और बैठते रहना चाहिए और बहुत सजग रहना चाहिए, होशियार रहना चाहिए। जागते रहना चाहिए। जागते रहने का मतलब क्या है? *रात में जागें जोगी, या तो रात में जागें भोगी।* भोग में जो लिप्त हैं रात भर जागते रहते हैं, बात करते रहते हैं। रात कब खत्म हो जाती पता नहीं चलता। ऐसे ही योगी योग करते रहते हैं यानी साधना करते रहते हैं साधक, पता नहीं चलता है। जाग कर करते हैं।
*अब कहोगे भाई दिन में काम करते हैं, रात में साधना करते हैं तो नींद कैसे पूरी होती होगी? यही तो विशेषता है। नींद को थोड़ी देर भी अगर ले ले आदमी तो नींद पूरी हो जाती है और साधना में नींद तो पूरी होती ही होती है।* तो कहते हैं जाग करके करना चाहिए।
और *होशियार रहना चाहिए कि कहीं हम बहक तो नहीं रहे हैं, कहीं हम अटक तो नहीं रहे हैं, जागते रहना चाहिए।* कैसे जागते रहना चाहिए? होशियार रहना चाहिए। *किन चीजों से होशियार रहना चाहिए? अन्न दोष, संग दोष और स्थान के दोष से।*
2. *भारत देश में अभी धार्मिक भावना बहुत बढ़ेगी।*
9:28 - 10:44
भारत देश में धार्मिक भावना कूट–कूट के भरी हुई है और अभी आपने क्या देखा, अभी ये धार्मिक भावना बहुत बढ़ेगी। भारत देश में बहुत बढ़ेगी धार्मिक भावना। कौन बढ़ाएगा? और लोग तो बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उसके साथ में ये जो खानपान जिनका गलत है, चाल–चलन जिनका गलत है, विचार–भावनाएं जिनकी गलत हैं, वो लोग उसमें जुड़ जा रहे हैं। उससे नहीं बढ़ पा रहा है। अगर वो खानपान सही कर लें, शाकाहारी, नशामुक्त हो जाएं, अगर वो चरित्रवान बन जाएं, अगर उनके अंदर परोपकार की भावना आ जाए, निस्वार्थ अगर वो धर्म का प्रचार करने लग जाएं तो उनके द्वारा भी बढ़ सकता है। *लेकिन बढ़ेगी धार्मिक भावना किससे? आपसे बढ़ेगी, साधक समाज से बढ़ेगी।* तो धार्मिक भावना का जो संस्कार है, वो भारत देश के लोगों में कूट–कूट करके भरा हुआ है।
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
02.07.2025 सायंकाल
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, ठिकरिया, जयपुर
1. *गुरु महाराज की दया बंटेगी नहीं, बरसेगी। सबके लिए यह सुंदर अवसर है भजन में तरक्की करने का, दुख दूर करने का।*
33:37 - 37:16
पुराने लोगों के लिए मौका है। क्या मौका है? दया लेने का। गुरु की दया के बगैर कुछ नहीं हो सकता है और गुरु महाराज की दया मिलेगी लोगों को। दया मिलेगी; बंटेगी नहीं, बरसेगी। अब कैसे ये मालूम पड़ेगा बरस रही है? पानी बरसता है तो भीगते हो लेकिन उस दया का कैसे पता चलेगा? बाहर से नहीं पता चलेगा, अंदर में पता चलेगा, अंतर में अनुभव होगा, अंतर में दया का अनुभव होगा। दया लेने के लिए भी साधना शिविर में आना चाहिए लोगों को। इस कार्यक्रम में आना चाहिए लोगों को। *जो आकर के यहां पर करेगा साधना, उसको भरपूर दया का अनुभव होगा।*
*तो सब लोग आ सकते हैं उसमें। यह जो अन्य सन्तों के शिष्य हैं, वो लोग भी आ सकते हैं। उनको भी परिचय मिल जाएगा गुरु महाराज का। उनको भी बोध ज्ञान हो जाएगा; जो बहुत दिनों से अटके पड़े हैं। कई साल हो गए जिनको, फंसे पड़े हैं; उनको भी बोध हो जाएगा। सबके लिए यह सुंदर अवसर है। सबके लिए अच्छा मौका है। दया लेने का, भजन में तरक्की करने का, दुख दूर करने का।*
*बहुत से लोगों का तो दुख उसी से दूर हो जाएगा। भजन- ध्यान करने से ही कम हो जाएगा। कहने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।* हमसे बराबर लोग कहते रहते, रटते रहते थे, किसी को कुछ कहने की जरूरत भी नहीं रहेगी और मैं सुनने वाला भी नहीं हूं किसी का; क्योंकि मैं बहुत भोग चुका हूं। अब हम सुनने वाले भी नहीं किसी के।
*यह जरूर है कि उपाय बता दूंगा जिससे आराम मिल जाएगा। तो वो तो उसी समय बताऊंगा। जैसे पहले आप लोग बात करते थे, पूछते थे कुछ न कुछ बता दिया करता था आपके विश्वास के लिए और आपको गुरु महाराज की दया से फायदा हो जाता था। गुरु महाराज दया कर देते थे आपके ऊपर। ऐसे यहां भी दया हो जाएगी, बता दूंगा।*
*लेकिन बहुत कुछ तकलीफ इसी से जाएगी और जिनको ज्यादा तकलीफ है, भजन- ध्यान जब करेंगे तभी जाएगी और नहीं तो यहां मान लो आराम मिल गया, कुछ समय के लिए आराम मिल गया, अब वहां जाएंगे नहीं; करेंगे तो कोई गारंटी नहीं रहेगी। देखो सब खोल के बात बता रहा हूं और सबको आप बता देना जो लोग समझ रहे हो इस बात को, जो लोग कहीं भी सुन रहे हो सबको बताने की जरूरत रहेगी।* प्रचारकों को भी यह बात बताने की जरूरत रहेगी कि यहां भी करना पड़ेगा और घर पर जाने के बाद भी करना पड़ेगा तो दुख तकलीफ में तो फायदा होगा ही होगा।
*बहुत सारी बातें और भी आपको मिलेंगी सुनने को, वो बताया जाएगा उसी समय पर, जब समय आ जाएगा।* सब लोग आ जाएं, बहुत लोग आ जाएंगे तो सब अपने कानों से सुन लेंगे।
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
02.07.2025 सायंकाल
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, ठिकरिया, जयपुर
1. *5-6 जुलाई को 24 घंटे की अखण्ड साधना शिविर लगाई जाएगी।*
37:31 - 39:33
24 घंटे की अखंड साधना शिविर लगेगी। कब लगेगी? शनिवार को सुबह। जो यह पांच तारीख आ रही है, पांच जुलाई को लगेगी और 24 घंटे के बाद खत्म होगी। टाइम आपको बता दिया जाएगा कल। तो सबको बता देना। *शहर के लोगों को विशेष रूप से, आसपास के गांव के लोगों को विशेष रूप से बता देना कि मौका निकाल कर के उसमें शरीक हो जाएंगे* , शामिल हो जाएंगे और कोशिश ये करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा समय तक उसमें बैठे। बाहर से जो आ जाएंगे, उससे पहले कार्यक्रम के पहले जो आ जाएंगे सेवादार, वो लोग भी बैठेंगे।
*सेवा भी चलती रहेगी और ये भी चलता रहेगा। चाहे जहां जिस विभाग में 50 आदमी मान लो सेवा कर रहे हैं, वहां तैयारी कर रहे हैं मैदान में तो थोड़ी-थोड़ी देर के लिए चले आएंगे लोग।* तो 50 आदमियों में से पांच आदमी चले भी आए तो कोई काम नहीं बिगड़ेगा और फिर जब ये चले गए तब समझो कि फिर पांच चले आए तो वो काम भी होता रहेगा। सब लोगों को आने की जरूरत नहीं रहेगी।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev