*जयगुरुदेव*
समय का संदेश
25.05.2025 E
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन
*1. प्रार्थना गाने से भाव बनता है, अंतर से मिलने की इच्छा होती है।*
12.23 - 14.22
प्रार्थना करने से भाव बनता है, अंतर से मिलने की इच्छा होती है। जब भी प्रार्थना किया जाए तो जिससे कुछ कहा जाए, प्रार्थना किया जाए; उसका ध्यान किया जाए। फिर मन इधर-उधर न जाए। जैसे गुरु से प्रार्थना की गई तो गुरु का ध्यान उस समय होना चाहिए। जो नीचे की तरफ जो रहता है, फिर वो ऊपर की तरफ आता है। क्या? दुनिया की तरफ, शरीर की इंद्रियों की तरफ, जो मन रहता है; जब गुरु का ध्यान उस समय भी करते हैं तब गुरु की तरफ जाता है। प्रार्थना सब लोगों को याद होना चाहिए। प्रार्थना विरह वाली की जाए तो और अच्छा रहता है। और अच्छे भाव जगते हैं।
साधक बहुत मेहनत करता है। बैठता है, कामयाबी नहीं मिलती है तो क्या करते हैं? बताया गया है, आप पुराने लोगों को। अब कोई न ध्यान दो, न समझ पाओ, कोई समझावे न तो हमारी क्या गलती है? गुरु महाराज की क्या गलती है? ये तो आपके कर्म नहीं समझने दे रहे हैं। तो उस समय पर क्या करना चाहिए? निराश नहीं होना चाहिए। उम्मीद बनाए रखना चाहिए और प्रार्थना बोलने लगना चाहिए। तो फिर मन धीरे-धीरे इधर से हट कर उधर लग जाता है। प्रार्थना याद ही नहीं होगी। बहुत लोगों को नहीं याद है। जबकि दो-तीन, चार प्रार्थना याद होनी चाहिए। तो प्रार्थना याद होनी चाहिए।
*2. जो साधना करता होगा, वही लोगों को बचाएगा।*
16.55 - 19.20
ज्यादातर जो पढ़े लिखे लोग हो, उन्हीं की इस समय पर जरूरत है। जो जिम्मेदार लोग हो आप; प्रांतों के, जिला के, उनकी इस समय पर जरूरत है। किस चीज की जरूरत है? जीवों के संभाल करने की, नामदानी प्रेमी, भाई बहन बच्चों की संभाल करने की जरूरत है।
यह आपका कर्तव्य बनता है, यह आपका फर्ज बनता है। अगर लोगों को समझाने बताने की जिम्मेदारी आप लोग लो तो यह गति आगे बढ़ जाएगी और नहीं तो इससे रुकावट जब आएगी तब आने वाले समय में नुकसान होगा, तो इन्हीं अन्य लोगों का ही नहीं होगा, आप लोगों का भी होगा। जैसे कहीं आग लगी है तो गुरु की दया से तो बच जाओगे लेकिन नजदीक रहोगे तो झुलसोगे तो, खालें तो झुलस जाएंगी। जान मान लो बच जाए क्योंकि बचेगी जान। *किसकी जान बचेगी? जिसके भाव अच्छे होंगे, जो साधना करता होगा।
जो साधना करता होगा वही लोगों को बचाएगा भी* और नहीं तो गुरु महाराज भविष्यवाणियां करते थे, बहुत सारी बात गुरु महाराज बता कर के गए थे लेकिन प्रेमियों ने मेहनत किया, प्रचार किया, लोगों में सुधार लाए। जो "हाय - हेलो" करते थे वो हाथ जोड़कर प्रणाम बोलने लग गए, हाथ जोड़कर के चलने लग गए, जो एकदम से ना स्त्री, ना पुरुष में रह जाने वाले थे वो स्त्रियां अपनी वेश-भूषा में आ गईं, सिर ढक करके चलने लग गईं।
लोग, जो कपड़ा पहनना चाहिए वो पहनने लग गए, लोगों का खान-पान सही हो गया, लोगों का चरित्र सही हो गया और उससे वो जो विनाशकारी भविष्यवाणियां थी, कम हो गईं। अब अगर साधना आपने लोगों को नहीं सिखाया और साधना नहीं किया और कराया तो वो भविष्यवाणियां अभी खत्म नहीं हुई है, वो फिर आ जाएंगी।
समय का संदेश
25.05.2025 E
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन
*1. शिव जी तो गुरु महाराज के चुप होने का इंतजार कर रहे हैं।*
19.25 - 22.58
(मैं) यह बराबर कहता आ रहा हूं कि इस समय पर यह जो पांच देवता हैं; जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश यह सब के सब नाराज हैं। यह जो देवता हैं 'शिवजी', यह बिल्कुल नाराज हैं। आप इस बात को पक्का समझ लो। वो तो गुरु महाराज का इंतजार कर रहे हैं कि गुरु महाराज चुप हो जाएं और अपने काम को आगे बढ़ाने में रोक लगा दें और इनके जो प्रेमी हैं, भक्त हैं वो रुक जाएं, जहां के हैं तहां हो जाएं तो अभी वो करिश्मा दिखा दें।
क्या करिश्मा दिखाएंगे? अरे! अग्नि देवता इतनी गर्मी पैदा कर देंगे, पवन देवता इतनी गर्मी पैदा कर देंगे कि हवा आग की तरह से गर्म हो जाएगी, अब बताओ कोई बचेगा? झुलसेंगे लोग, घास फूस नहीं बचेगी, जहां तक वो आंधी चलेगी वहां तक कोई कीड़े-मकोड़े, पशु-पक्षी नहीं बचेंगे; सब खत्म हो जाएंगे। और यह होगा।
अगर आप साधना की शक्ति अपने अंदर नहीं लाओगे, लोगों को खड़ा करके रोकने की शक्ति उनमें नहीं पैदा करोगे तो यह सब होगा। अब अमेरिका, जापान और अन्य देश जो भारत से नीचे हैं, काफी नीचे हैं, कई समुद्र पड़ते हैं इन देशों में जाने के लिए, अब वहां पर रहने वाले अगर यह सोचें कि आंधी तो ऊपर चलेगी, हमारे यहां नीचे कैसे आएगी, समुद्र में समा जाएगी, समुद्र ठंडा कर देगा।
अरे! तो जल देवता? जल देवता खुश हैं क्या? पानी ही पानी हो जाएगा, पानी से ही भर जाएगा, समुद्र में ही विलीन हो जाएगा। तब क्या करोगे? अन्न का दाना नहीं मिलेगा, क्या खा, पी करके जिओगे? "जमाना बदलेगा" यह प्रार्थना बोली जाती थी, तो ऐसे समय पर मददगार कौन होगा? ऐसे समय पर साधक मददगार होंगे।
गुरु महाराज ने गुलाबी पगड़ी बंधवाया था और कहा था कि इन पगड़ी वालों की नजर जहां तक जाएगी, वहां तक कोई नहीं मरेगा। तमाम दुर्घटनाएं हुईं कि जहां से वो (गुलाबी पगड़ी वाले) तो निकल गए ही और लोगों को भी निकाल ले गए। आप यह समझो कि दंगा फसाद हो रहा था और फिर देख-देख करके मारे काटे जा रहे थे, फंस गया बेचारा गुलाबी वाला। पुलिस वालों ने कहा "अरे बाबा!
तुम कहां से बीच में कूद पड़े? निकल जाओ उधर से ये रास्ता है" बाकी लोगों को पकड़-पकड़ करके और फिर बाल पकड़ के डलवा रहे थे, मारपीट चल रहा था, रोक टोक चल रही थी। तो खूब अनुभव किया लोगों ने। महात्माओं की बातों में दम होता है "ज्यों केले के पात के पात पात में पात, त्यों सन्तों के बात के बात बात में बात"।
*2. साधना शिविर कैसे लगवाना है?*
22.59 - 28.12
मोटी बात आप यह समझो कि साधना करना है और करवाना है। जो भी आप जिला के, प्रांत के जिम्मेदार हो आप लोग यहीं योजना बना लो। और यहां पर जो साधक आए थे, उनमें से कुछ जिम्मेदार आप निकाल लो और वो जिस-जिस एरिया के हैं, उसी एरिया में जिम्मेदारी दे दो और यह जल्दी से जल्दी शुरू हो जाए। यह समझो कि शिवजी का विनाश का तांडव चालू ना हो, उससे पहले तैयारी हो जाए और यह साधना कर लें।
5-5 दिन का चलाओ, जरूरत पड़ेगी तो 10 दिन का चलाया जाएगा, उसमें लोग पक्का हो जाएंगे, जिनको थोड़ी बहुत अनुभूति अंदर में हो जाएगी उनको कहीं बुला लिया जाएगा, यह जगह-जगह चलवा देंगे। तो पक्का हो जाएंगे, वो मास्टर जैसे हो जाएंगे, वो सिखाने, पढ़ाने लगेंगे। अभी जिनकी साधना अच्छी है, ठीक है वो लोग 5 दिन के पहले एक दिन पहले पहुंच जाना वहां। आप जिम्मेदार लोग पता लगा लो कि कौन-कौन लोग यहां ज्यादा देर बैठे, कौन-कौन लोग यहां लगातार बैठते रहे, ज्यादा समय दिया; चाहे उज्जैन में हो, चाहे जो 5-5 दिन का वहां (अपने यहां) लगाए हो वहां हो, इसका आप पता लगा लो और उनको कहो कि आप इन नए लोगों को समझाओ कि इनको कैसे करना है।
1 दिन, 2 दिन पहले बुला लो, उनकी ट्रेनिंग हो जाए, क्योंकि वो जानते ही नहीं हैं। कहो कि सुमिरन करो तो वो जानते ही नहीं हैं कि सुमिरन क्या करना है। पूछो कि नामदानी हो? कहेंगे "हां", कौन से सन् के? तो बताएंगे "62 के, 65 के, 70 के, 75 के, 90 के" और पूछो "नाम?" तो नाम इधर का उधर बता देंगे, रूप इधर का उधर बता देंगे। तो कैसे माना जाए कि यह सही सुमिरन करेंगे? अब यह आपको विश्वास हो जाए कि इनको नाम, रूप, स्थान, आवाज याद है या 2-3 या ज्यादा बता ले जाएं, 1-2 बात बता ले जाएं कि बाबा जी ये बात बोले थे, तब आप उनको बता दो, समझा दो और वो करने लग जाएं, तो फिर उसका टाइम टेबल बना दो, उसका समय निर्धारित कर दो कि कोई एक समय से और इतने समय तक का पांच दिन का यह साधना शिविर चलेगा, 120 घंटा जब पूरा हो रहा है। प्रार्थना बोलो, नामध्वनि बोलो और फिर एक बार सुमिरन करा दो।
एक बार सुमिरन कर के फिर बैठ जाएं और ध्यान-भजन जितना ज्यादा से ज्यादा कोई कर सके, करता रहे और उसके बाद में चला जाए, अपना दैनिक क्रिया करे, जो भी जरूरी काम है उसको निपटा ले।
यह जरूर है कि भोजन थोड़ा कम खाना पड़ेगा कि जिससे तबियत ना खराब हो, बीमारी ना आवे, आलस्य ना आवे; यह थोड़ा सा आप ध्यान रखना। मौसम के हिसाब से जहां जैसी ठंडी, गर्मी है उस हिसाब से भोजन ग्रहण कर लेना। और जो व्यवस्था बनाने वाले लोग हो, आप उस हिसाब से व्यवस्था बनवा दो। यह जरूर है कि जिन गांवों में साधना शिविर लगे, उन गांव में जब लोग एक जगह आने लगे तो इन बच्चियों को, माताओं को समय निर्धारित कर दो कि सुबह ये 7 बजे, 6 बजे यह आ जाएंगी और ज्यादा रात होने से पहले घर चली जाएंगी; रोटी पानी बना लेंगी, बच्चों को देख लेंगी या जो भी घर गृहस्थी का काम करें।
तो यह सब उठने बैठने की व्यवस्था सब देख लो आप। और विशेष रूप से अपने जो आश्रम हैं, जहां पर जगह है वहां पर यह अब व्यवस्था आप सब लोग बना लो, बन जाएगी और फिर शुरू कर दो। देखो! सुबह बताया था कि जो लोग 120 घंटा का साधना शिविर, 5 दिन का जो चला है उसमें पहले शरीक हो चुके हैं, बैठ चुके हैं उनके और जो यहां आए थे उनके, लग कर के किया है लोगों ने और लग कर किया है तो मिला भी है लोगों को। वो तो कल मैं बुलाऊंगा उन लोगों को, डायरी ले कर आएंगे उनको कल बुलाऊंगा, और किसी से नहीं मिलूंगा।
समय का संदेश
25.05.2025 E
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, उज्जैन
*1. भजन करने और कराने वालों से ही हमारा रिश्ता है।*
28.18 - 31.22
जहां तक भजन करने और कराने वाले हो, उन्हीं से हमारा रिश्ता है। बाकी आप कितने बड़े आदमी हो, कितने हमारे दोस्त रहे हो, आप हमारे संगत का कितना भी काम करते रहे हो, भाई इस समय हमको माफी दे दिया करो। जब वैसे काम की जरूरत पड़ेगी तब हम फिर आपको याद कर लेंगे, हम फिर उसी तरह लेकिन हमारे पास आपके मदद के लिए कुछ रहे तो। हम तो इस समय बिल्कुल खाली पड़े हैं।
इस समय हम सच पूछो तो बहुत उदास हैं। क्यों? इसलिए कि हम गुरु महाराज की मौज को समझ नहीं पाए। मैं बालक अज्ञान कहां से जान पाऊं और गुरु महाराज के स्वभाव को मैं समझता हूं। 40 वर्ष उनके साथ रहा, नजदीक में रहा तो गुरु महाराज से पूछो तो रूठे हुए हैं। ये देखो बांटता चला गया और कराया कुछ नहीं। खोदा पहाड़ और निकली चुहिया और वो भी मरी हुई। मरे ही ऐसे तो पड़े हैं।
तो कहावत है तो अब आप ये समझो प्रेमियों कि नामदान नहीं हुआ और ना होगा आज के कार्यक्रम में। कब होगा, कैसे होगा, कौन देगा, क्या होगा, ये तो भविष्य बताएगा, गुरु महाराज बताएंगे लेकिन ये बात जरूर समझो प्रेमियों कि जो नामदान लेने के लिए आए हो, उम्मीद बनाए रखना, उम्मीद खत्म मत करना। "धीरज धरो करो विश्वासा, पूर्ण होगी एक दिन आशा"। एक दिन आशा पूरी होगी।
आप यहां पर आए हो, साधना शिविर लगती है, वहां पर जाना बैठना, ध्यान लगाना, वहां शरीक हो जाया करना तो यह आप करते रहना और जब ऐलान हो जाएगा कि नामदान होगा, कहीं भी नामदान हो, जहां गुरु महाराज की मौज होगी तब वहां पहुंच जाना। *तो नामदान देना अब इस समय इसीलिए उचित नहीं रहा है कि भाई कुछ काम नहीं हो रहा है और ये सुन-सुन के चले जा रहे हैं और एक तरह से इनका निरादर हो रहा है। तो प्रेमियों इस समय पर एक सूत्री कार्यक्रम यही चलेगा और केवल साधक लोगों को मैं समय दूंगा।*
साधक लोग हो अभी रुक जाओ, एक दो दिन चाहो तो समय हो तो रुक जाओ और कल मैं डायरियां मंगवाऊंगा, समय बता दूंगा आपको सुबह ध्यान भजन के समय पर और डायरी लेकर हमारी कुटिया में आ जाना और कुटिया में जो लोग रहते हो, देखरेख के लिए, आप भी सुन लो जो डायरी लेकर आएगा उसको बैठा देना एक जगह पर सम्मान के साथ।
*2. यह 80 दिन का समय बहुत महत्वपूर्ण है।*
33.18 - 36.59
एक निशाना, एक लक्ष्य यही है कि शिविर लगाया जाए। तो जितने भी आश्रम हैं, जिन-जिन प्रांतों में हैं, आप लोग जो वहां के हो, देखो कि हमारे यहां साधना शिविर लग सकती है कि नहीं लग सकती है। *जहां बरसात जल्दी आती है वहां पर आप तुरंत शुरू कर दो और जहां थोड़ा देर से आती है या जहां कम होती है वहां चाहो तो एक छोटे स्तर पर लगा दो और बड़े स्तर पर बाद में लगा देना, आपके पास समय रहेगा।
लेकिन शुरुआत हो जाए, सभी आश्रमों पर शुरुआत हो जाए, 5 दिन का हो जाए। जहां संख्या कम है वहां 48 घंटे का कर लो, 24 घंटे का कर लो और जहां बहुत दिक्कत है वहां 12 घंटे का कर लो। जहां के लोग अकेले हों, विदेशों में भी दिक्कत है सब जगह, हर देश का अलग-अलग नियम होता है; कुछ देश ऐसे हैं कि जहां पर बगैर आदेश के 10 लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं, तो वहां पर आप लोग अपने-अपने घरों में समय निकाल लो, 5 घंटे, 6 घंटे लगातार समय दो आप, कम से कम 10, 12 घंटे का आपका भी हो जाएगा; खंडों में हो जाए, 2-2 घंटे करो, 1-1 घंटे करो, जब समय मिल जाए तब करो लेकिन यह चालू करो, चालू करो आप साधना शिविर को।*
*देखो! बराबर आश्रमों पर चालू करा दो और जिम्मेदार लोग आप आज अगर गोष्ठी कर लो, मीटिंग कर लो और मीटिंग करके लिस्ट बनवा लो कि कहां-कहां करेंगे, कौन जिम्मेदार रहेगा। 2 आदमी, 3 आदमी जिम्मेदार बनाओ, अगर संख्या ज्यादा है वहां जहां आश्रम हैं तो 5 आदमी बना दो। तो 5 आदमी जिम्मेदार बना दो और उनको काम सौंप दो कि ये काम ये करेंगे, ये पूरा काम कर लो उसके बाद में लिस्ट भेज दो हमारे पास कि यहां-यहां साधना शिविर लगेगी, यहां सारी व्यवस्था होगी, डिटेल में लिख कर देने की जरूरत नहीं है। तो हमको भी संतुष्टि हो जाए, हमको भी संतोष हो जाए और हम फिर और आगे की योजना बनावें कि इसके बाद क्या करना है, इसके बाद क्या करना है।*
तो यह जो 80 दिन का समय है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। यह मत सोचो कि 80 दिन में एक बार, दो बार कहीं लगा देंगे, अरे भैया! कल किसी ने देखा है? कल किसी ने नहीं देखा और अभी एक बम कहीं गिर जाए तो इमरजेंसी लग जाएगी, एक जगह से दूसरी जगह आ जा नहीं सकते हो, नियम-कानून सब मिलिट्री वालों के हाथ में चला जाएगा, तो उसमें कोई शोर सिफारिश नहीं चलेगी; लॉ इस लॉ, ऑर्डर इस ऑर्डर...ऐसा होता है कि नियम है, कानून है, इसका पालन करना ही पड़ेगा। जो ऑर्डर हो गया उसका पालन करना ही पड़ेगा। इसीलिए *जो अच्छा काम है उसको पहले करना चाहिए।*
40.40 - 41.41
जो जिम्मेदार लोग हो, आप अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाओ, फटाफट निपटाओ और एक बार योजना जब बना दोगे आप तब निगरानी भी कर पाओगे और नहीं तो योजना ही नहीं बन पाएगी, लागू नहीं हो पाएगी तो निगरानी क्या कर पाओगे, क्या आगे का बता पाओगे? इसीलिए आलस्य को भैया यहीं छोड़ जाओ, यहां से झोले में रखकर मत लेकर के जाओ, कपड़े के अंदर, जेब में रखकर आलस्य को मत लेकर के जाओ, आलस्य छोड़ दो और ऐसे साधना करने वाले भी तारीख देते रहते हैं और कहते हैं बस ये सेट हो जाए, वो सेट हो जाए, क्या सेट होने वाला है? यहां तो भैया कोई चीज सेट होने वाली है ही नहीं और जितना ही सुलझाओगे उतने ही उलझते चले जाओगे, जितनी ही आवश्यकता बढ़ाओगे, उतने ही उसमें फंसते चले जाओगे, कहते हैं *"जिसको कछु न चाहिए सो ही शहंशाह"।*
समय का संदेश
06.06.2025 सायंकाल
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, जयगुरुदेव नगर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
5. *8 जून को 24 घंटे की साधना शिविर के समापन के बाद कोई नया आदेश मिल सकता है।*
17:05 - 25:00
*कल तो शुरुआत होगी, परसों आपको कोई नया आदेश मिल सकता है, नया संकेत आपको मिल सकता है, जब इसका समापन आप लोग करोगे। तो उस समय यहां भी 11 बजकर 11 मिनट पर समापन होगा, 8 तारीख को और दो चार पांच मिनट के बाद कुछ समझाया भी जाएगा, उसमें आपको दिशा मिल जाएगी, रास्ता मिल जाएगा, संदेश मिल जाएगा; उसके अंतर्गत फिर आप आगे बढ़ जाना।*
*देखो! अभी साधना शिविर लगाने का यह क्रम खत्म नहीं होगा। बराबर जब तक सब जगह साधना शिविर लग न जाए, बैठने की लोगों की आदत न बन जाए तब तक समझो चैन नहीं लेना है।* जितने भी साधक हो, संगत के कार्यकर्ता हो, जितने जिम्मेदार हो, ये आप लोग सोचो और दिल-दिमाग में सोच करके आप योजना बनाओ कि जहां-जहां नहीं लग पा रहा है, नहीं लग पाया है और सतसंगी हैं, वहां पर लगा दिया जाएगा जब आदेश मिलेगा।
आदेश तो जल्दी मिलेगा और यहां देखो आप समझो बैठे हो और *परसों इस 24 घंटे की साधना शिविर की समाप्ति हो जाएगी और फिर तुरंत बाद फिर लगाया जाएगा। तुरंत लगेगा। अब तुरंत लगाने के लिए व्यवस्था बनानी पड़ेगी क्योंकि आश्रम पर जब साधना शिविर लगेगी तब बहुत लोग चल पड़ेंगे।* साधना जब यहाँ किया, गुरु की दया का अनुभव किया तो बोले कि जैसे यहां साधना शिविर लगेगी तो फिर आएंगे।
यहां मन रुकता है, यहां दया का अनुभव होता है तो वो चल पड़ेंगे। और अब यह देखना पड़ेगा कि यहां व्यवस्था कितने लोगों की हो जाएगी, बैठकर साधना करने की, उनके रहने की, खाने-पीने की, तपस्वी भंडारा में कुछ न कुछ खाना खिलाना रहता है। यह देख करके जिम्मेदार से और फिर मैं परसों बताऊंगा क्योंकि मैं भी यहां पर नहीं था। अभी अहमदाबाद गया हुआ था और वहीं से साधना शिविर का संदेश दिया गया है और कल अभी आया हूँ। हारा थका था दिन भर का, कल सुबह से ही चला और शाम को पहुंचा हूँ, आज तबियत नर्म रही।
*मैं अभी पता लगाऊंगा, इनसे पूछूंगा कि कितने आदमियों की व्यवस्था कर सकते हो। अब आप जो जिम्मेदार लोग हो, लगवाने वाले, साधना शिविर जो लगवा रहे हो, चाहे गांव के हो, जिला के हो, जोन के हो, प्रांत के हो, आप लोगों से यह कहना है कि जो लोग आवें, आने का मन बनावें, उनकी आप लोग अपने-अपने जिला वाइज, प्रांत वाइज लिस्ट बना लो ताकि बहुत ज्यादा लोग न आ जाएं।*
बरसात का महीना है तो दिक्कत होगी उनको, लौटते और लौटाते भी नहीं बनेगा और बैठने की साधना करने की बरसात में जगह की कमी हो जाए, आराम करने की जगह की कमी हो जाए, बरसात में अव्यवस्था हो जाती है भोजन आदि बनाने में तो लिस्ट तैयार कर लो और पहले भेज दो उसको। आज से ही उसके लिए पता करो और लिस्ट भेजो और यहां पर जो लोग व्यवस्था कर रहे हैं, यह व्यवस्थापक लोग जब बता दें कि इतने आदमियों की व्यवस्था हम कर ले जाएंगे तो उसको देख करके बुलाया जाएगा तो फिर अच्छा रहेगा।
इतने आदमियों को भेज दो और फिर इतने को भेजो और फिर उसके बाद फिर दोबारा मौका मिल जाएगा और अबकी बार जो यहां पर लगेगा, कई दिनों का लगेगा। कल जो शुरू होगा वो तो 24 घंटे का होगा लेकिन इसके बाद जो तुरंत लगेगा वह कई दिनों का लगेगा। लगातार चलेगा। तो जब लगातार रगड़ मारी जायेगी तब बात बनेगी। जब रोज पढ़ा जाता है, रोज रटा जाता है तब वो चीज याद हो पाती है। जब रोज किया जाएगा तभी बात बनेगी।
कई दिन यहां चलेगा, हमारे दिमाग में है, विचार में है। परसों आपको बता दूंगा; कब शुरू होगा और कितने दिन का होगा, यह परसों आपको बता दिया जाएगा। तो आप लोग, आश्रमवासी जितने भी जिम्मेदार हो और जो भी सेवादार हो, आप लोग हमको पता चला है कि तैयारी अपनी बना लिए हो 24 घंटे के साधना में बैठने की और जो जिस विभाग में सेवा करते हो, सेवा भी करते रहने की।
तो आप लोग तो यहां बैठना ही बैठना लेकिन जो और यहां पर जिम्मेदार लोग हो, इस पर भी दिमाग दौड़ाओ, नजर दौड़ाओ कि भाई कहां, कितने लोगों की क्या व्यवस्था कर सकते हैं, क्योंकि लिस्ट और सूचना आनी शुरू हो जाएगी। गांव वाले अपने जिला और जिला वाले अपने प्रांत को भेज देंगे और प्रांत वाले केंद्र को भेज देंगे। तो सूचना तो आ जाएगी कि कितने आदमी तैयार हैं लेकिन दिक्कत हो जाएगी तब। यह भी नहीं है कि मान लो कोई आना चाहता है तो उसको मना भी है और यह भी नहीं है कि ज्यादा लोग आ जाएं।
तो एक व्यवस्था बनानी पड़ेगी। व्यवस्था बना लो आप लोग। तो हम तो आपको बता देंगे समय और उस दिन समय बता देंगे और कितने दिन का रहेगा यह भी बता देंगे। और *हमको तो यह विश्वास है कि गुरु महाराज की दया उसमें मिलेगी। जो भी ये कई दिनों का लगेगा यहां पर उसमें दया मिलेगी।*
तो आज तो बस इतना ही, फिर बाद में आपको कुछ और होगा तो बता दिया जाएगा। आप आश्रमवासी अब लग जाओ।
जो तैयारी आपकी हो गई, हो गई, जो तैयारी रह गई है, कर लो कल की। अपने यहां की व्यवस्था भी देखते हुए और मान लो लोग आते हैं, वो भी दिमाग में रहे कि उनकी व्यवस्था भई कैसे करेंगे? जैसे *अपने ही भोजन का हिस्सा हम उनको खिला देंगे, अपने ही स्थान पर उनको सुला देंगे; कैसे क्या करेंगे? कैसे क्या मदद उनकी कर पाएंगे, जो बाहर से आएंगे, ये भी अपने दिमाग में रखो।*
संगत के सभी स्तर के जिम्मेदारों (प्रांत, जॉन, जिला, तहसील, ब्लाक, आई टी सहयोगी एवं 10 परिवार के जिम्मेदारों) से निवेदन है कि अभी जो मालिक के विशेष संदेश का लाइव प्रसारण किया जाएगा उसको सभी जिम्मेदार ध्यान से सुनेंगे और मालिक के उन्हीं वचनों को संगत के सभी भाई बहनों तक पहुंचाएंगे और उसी के अनुसार आगे की योजना बनाकर उसका पालन करना और करवाना रहेगा।
*आज दिनांक 8 जून 2025 अभी लगभग 11:15 बजे से मालिक का विशेष संदेश संस्था के अधिकृत यूट्यूब चैनल jaigurudevukm पर आपको सुनने को मिलेगा जिसका लिंक नीचे दिया गया है*
*विशेष संदेश सुनने के लिए लिंक पर क्लिक करें*
सतसंग लिंक -
समय का संदेश
08.06.2025 प्रातः काल
बाबा जयगुरुदेव आश्रम, जयगुरुदेव नगर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
*7. त्रयोदशी और पूर्णिमा को प्रसाद वितरण के कई विकल्प*
37:42 - 40:27
दूसरी बात और बता दें। मान लो अभी तक कहीं नहीं इकट्ठा हो पाते थे, त्रयोदशी को और पूर्णिमा को अभी तक नहीं इकट्ठा हो पाते थे तो अब अगर जगह बन जाती है, आपको जगह मिल जाती है, मौसम के अनुसार जहां-जहां मिल जाती है वहां शुरू कर दो। *नहीं भंडारा आपका चल पावे, नहीं कुछ वितरण हो पावे तो कम से कम ध्यान भजन तो कर लेंगे।*
लोग जो आएंगे ध्यान भजन तो कर लेंगे। आप तो ध्यान भजन कर लोगे। अरे पानी पीने की व्यवस्था तो सब जगह रहती है। *पानी आप पिला दो, पानी की व्यवस्था कर लो, कर दो। जिसको प्यास लगेगी वो पानी पी लेगा। आप की व्यवस्था हो जाती है तो पानी में कुछ घोल दो, कुछ मिला दो। चीनी मिला दो, गुड़ मिला दो, छाछ मिला दो, कुछ भी मिला दो उसमें। आप वो पिला दो।
कॉफी चलती है मान लो, काफी पिला सकते हो।* देखो प्रेमियों! चाय बंद किया गया था, डालडा बंद किया गया था क्योंकि इसमें मिलावट मिली थी और जब से मिलावट मिली गंदी चीजों का; तब से बंद कर दिया गया था, लेकिन वो जो पत्ती वाली चाय होती है, ग्रीन टी जिसको बोलते हैं, जिनमें पत्तियां-पत्तियां अलग होती हैं, उसमें दोष नहीं होता है, पीने लायक रहता है।
उसको उबाल कर (कॉफी से सस्ता मिलता है) गुड़ डाल दो, चीनी डाल दो, जो भी है आपके पास, डाल के थोड़ा-थोड़ा दे दो आप। अगर यही चाहते हो कि भाई हमारे दरवाजे पर आए हैं और इनको कुछ स्वागत-सत्कार भारतीय नियम के अनुसार करना चाहिए तो जब समाप्त हो तो वही बंटवा दो।
नहीं कुछ है तो पानी में थोड़ा सा, इतने पानी में, घोला चीनी और दो-दो चम्मच दे दिया, जिसको लोग चरणामृत कहते हैं। छाछ मिला दिया उसी में, दूध मिला दिया, उसी में फिर थोड़ा-थोड़ा एक-एक चम्मच दे दिया तो वो भी आपका मान लिया जाएगा। वो भी आपका हो जाएगा कि हां भाई यहां कुछ खाने को नहीं; तो पीने को तो प्रसाद के रूप में मिल गया। वहीं बंट जाएगा। इसको भी आप लोग लागू करो जहां-जहां जैसे हो सकता है हर त्रयोदशी और पूर्णिमा को।
*8. साप्ताहिक सतसंग दो-तीन दिन सप्ताह में कर लो और ध्यान-भजन में ज्यादा समय दो।*
40:28 - 45:30
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