मरते वक़्त बड़ी तकलीफ होती है। सहजो बाई ने कहा है -

जयगुरुदेव

*समय का संदेश* 
18.11.2024 12 PM


*1. मौत के समय कैसी पीड़ा होती है?*
39:08 - 40:08

  मरते वक़्त बड़ी तकलीफ होती है। सहजो बाई ने कहा है -
 
"सहजो मौत के समय, 
पीड़ा उठे अपार।
बिच्छू साठ हजार ज्यों, 
डंक मारे एक साथ।।" 

जैसे साठ हजार बिच्छू एक साथ डंक मारें, उसी हिसाब से मरते समय दर्द होता है, हड्डी-हड्डी चटकती हैं, आंख की रोशनी खत्म हो जाती हैं, कान से सुनाई नहीं पड़ता, जबान तोतली हो जाती है। कारण क्या है....? कारण यह है कि जीवात्मा का खिंचाव होता है, प्राण इस शरीर से बाहर निकलते हैं। 

*2. ध्यान में क्या दिखाई पड़ता है ?*
1:54:19 - 1:55:19

जब आप ध्यान लगाओगे और मन को रोक ले जाओगे तब आपको कुछ दिखाई पड़ेगा। क्या दिखाई पड़ेगा? जो आज तक कभी नहीं देखा, जो सपने में भी नहीं देखा, वह चीजें आपको दिखाई देंगी। जो दुनिया में है ही नहीं, वह चीज तो दुनिया से ऊपर की चीज है, वह दिखाई पड़ेगी। अब यह आपकी मेहनत के ऊपर रहेगा, आपकी अंतरात्मा कैसी है, उसी हिसाब से आपको दिखाई पड़ेगा। आपको देव लोक, सूर्यलोक, चंद्र लोक दिखाई पड़े, ब्रह्मा-विष्णु लोक दिखाई पड़े, देवी देवता दिखाई पड़े, क्या दिखाई पड़ जाए...? उनकी माता आद्या महाशक्ति दिखाई पड़ जाए, पिता ईश्वर दिखाई पड़़ जाएँ, कुछ भी दिखाई पड़़ सकता है, क्योंकि जो ऊपर के लोक हैं एक से एक निराले हैं, एक से एक सुंदर और एक से एक खुशबू वाले हैं, उनको जब देखोगे, खुश हो जाओगे।



*समय का संदेश* 
20.11.2024 12 PM


1. *कमल और गुलाब के फूल से क्या सीख मिलती है?*
1.33.26 – 1.34.46

कमल पानी में खिलता है, लेकिन पानी के ऊपर ही रहता है, पानी की गर्मी और ठंड का असर उसके ऊपर नहीं आता है। पानी की बूंद भी ऊपर से गिरती है तो पत्ते पर से नीचे गिर जाती है। गुलाब का फूल देखा होगा आपने, कांटों में रहता है लेकिन कांटों से अलग रहता है। उसका कोई कुछ नहीं कर पाता है। तो आप रहो गृहस्थ आश्रम में ही, लेकिन थोड़ी देर के लिए उससे अलग हो जाया करो। कहाँ चले जाओ? जंगल या खेत खलिहान में? नहीं। घर में ही रहो, घर में ही बैठो लेकिन सब कुछ भूल कर, किस पर छोड़ दो? उस पर छोड़ दो। जो सबका दाता है-

"दाता केवल सतगुरु, 
देत ना माने हार।" 

जो देने लगते हैं तो हार नहीं मानते हैं। 
   
प्रेमियों! सब कुछ गुरु पर छोड़ दो। गुरु सबके रक्षक हैं, गुरु बंदी छोड़ हैं। आप उन पर छोड़ दो और उस प्रभु को याद करो। जो नामदानी हो, आपको नामदान मिला है, उस नाम का जाप करो। सुमिरन, ध्यान, भजन करो। 

2. *गुरु का सतसंग अंतर में सुनाई पड़ जाएगा।*
1:39:16 - 1:40:16

जब ध्यान लगाओगे, तो गुरु की दया मिल जाएगी। जब आप भजन करोगे, गुरु की आवाज आपको उसी तरह सुनाई पड़ेगी, सतसंग उसी तरह सुनाई पड़ जाएगा। कैसे सुनाई पड़ेगा? इन कानों से नहीं सुनाई पड़ेगा।जो जीवात्मा यहाँ बैठी हुई है, उसमें जो कान है, उससे सुनाई पड़ेगा। जिसको लोगों ने वेदवाणी, आकाशवाणी कहा है, जिसको गुरुवाणी कहा है, साउंड कहा गया, गैबी आवाज कहा गया, वह आपको अंतर में सुनाई पड़ेगी, अंतर में गुरुवाणी सुनाई पड़ जाएगी, गुरु का सतसंग अंतर में सुनाई पड़ जाएगा। और अंतर में आपको गुरु के दर्शन होंगे, जैसे पहले देखते थे कि बैठे हुए हैं, सतसंग कर रहे हैं, ऐसे ही आपको सुनने को मिल जाएगा। जो चीजें आप भूल गए हो, वह चीजें आपको सतसंग से फिर याद आ जायेंगी लेकिन विश्वास करोगे तब। 

3. *गुरु बंदी छोड़ होते हैं।*
1:26:00 - 1:27:00

आप जो नामदानी हो, सतसंगी हो, पहले आप समझो! क्या समझो? (यही) कि गुरू बंदी छोड़ होते हैं। कैसे बंधन से मुक्त रहेंगे? आपकी यह जीवात्मा जो चार शरीर में बंधी हुई है, यह जो धन, पुत्र, परिवार, हाट, हवेली, इस बंधन में बंधे हुए हो, इससे कैसे छुटकारा होगा? जब सुमिरन, ध्यान और भजन करोगे और उस समय पर सब-कुछ भूल जाओगे। बेहोश होने के बाद कुछ याद रहता है? कुछ नहीं याद रहता है। ऐसे जब इधर से बेहोशी हो जाएगी और केवल प्रभु याद रहेंगे तब समझो कि आपका बंधन छूटेगा। और नहीं तो "लौट-लौट चौरासी आया"। जब यह शरीर छूटेगा तो चौरासी लाख योनियों में आना पड़ेगा। कीड़ा-मकोड़ा, साँप, बिच्छू की योनि में बंद होना पड़ेगा।




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