जयगुरुदेव
समय का संदेश
31.10.2024 M
1. *अगर भगत परमार्थी आदमी को गरीबी मिल जाए तो समझ लो दया हो गई।*
40:14 - 42:43
देखो प्रेमियों! गरीबी अगर हो जाए, भगत आदमी को मिल जाए, परमार्थी आदमी को तो समझ लो कि दया हो गई। क्यों? क्योंकि गरीबी में भगवान याद आते हैं। धन रहता है तो क्या याद आते हैं? (तब तो) लक्ष्मी - गणेश याद आते हैं और जब धन की कमी हो जाती है तो भगवान याद आते हैं। लक्ष्मी - गणेश की पूजा उस समय लोग नहीं करते हैं। लक्ष्मी - गणेश की पूजा लोग तब करते हैं जब धन मिलने को होता है और जब धन नहीं मिलता है तो लक्ष्मी गणेश की पूजा कर लिया, सबकी पूजा कर लिया, धन नहीं मिला तब उस भगवान को याद करते हैं। देखते नहीं, जानते नहीं लेकिन कहते हैं कि अब भगवान ही इज्जत रखेंगे।
प्रभु ही इज्जत रखेंगे। अब आप *ये समझो प्रेमियों कि गरीबी भी, रोग भी मिलना कोई खराब चीज नहीं है। हालांकि मिलता है ये कर्मों के अनुसार ही, प्रारब्ध के अनुसार ही मिलता है* लेकिन आप जो इनमें से अपने को गरीब महसूस कर रहे हो, आप को जो गरीब कह रहे हैं, आपको जो दुखी बीमार कह रहे हैं, आप चिंता मत करो, फिकर मत करो आप, अगर प्रभु को याद करते रहोगे, सच्चे मन से याद करते रहोगे, जो ये बताया छोटापन, आप में रहेगा तो -
दीन देख करे निबेरा,
जो है सच्चे मन से हेरा।
जिसके अंदर दीनता आ जाती है, अंतरात्मा निर्मल हो जाती है। सच्चे मन से जो उस प्रभु को पुकारता है, उसकी तकलीफ को वो दूर कर दिया करते हैं। तो ये हमारे गुरु महाराज की तस्वीर, तस्वीर देख लो। दुनिया छोड़ करके तो चले गए लेकिन ये अब भी संभाल रहते करते हैं। हमारी भी संभाल करते हैं। हम भी उनको याद करते रहते हैं और आपकी भी वो संभाल करेंगे। जैसे हम उनको याद करते रहते हैं। हमको तो ये विश्वास है कि अगर आप भी गुरु को याद करते रहोगे तो आपकी भी मदद होगी।
2. *एक बार अपनी तीसरी आंख, तीसरा कान खोल ले जाएं तो सब काम बन जाए।*
51:24 - 52:12
52:22 - 53:24
एक आदेश का अगर पालन कर ले जाएं तो इसी से सब कम बन जाए-
एकै साधे सब सधे,
सब साधे सब जाय।
एक बार अगर अपनी दोनों आंखों के बीच की तीसरी आंख को खोल ले जायें, जो तीसरा कान है उसको खोल ले जाएं, उसकी सफाई कर ले जाएं, उसके ऊपर जो कर्म लदे हुए हैं अच्छे और बुरे, सबको नष्ट कर ले जाएं, तब आदेश का पालन हो जाए। आप यह समझो कि-
यह रहस्य गुरुदेव कर,
वेग ना जाने कोय।
जो जाने सतगुरु कृपा,
जन्म मरण नहीं होय।।
अब समझो सुनने का कम और करने का ज्यादा। करके दिखाने का ज्यादा। अब आप यह समझो कि तीसरी आंख और तीसरा कान खुलेगा कैसे? जैसे आपने कान को अपने बंद कर लिया, जैसे अन्दर की आंख को आपने बंद कर लिया है , उसी तरह से खुलेगा। देखो! नट और बोल्ट होता है। चूड़ी होती है। उसमें नट को लगाते हैं और कसते हैं तो जैसे कसा जाता है, ऐसे ही जब उसको खोला जाएगा, जिस चीज से उसको कसा जाता है, उसी चीज से उसको खोला जाता है। रिंच हो, प्लाश हो क्या-क्या नाम पड़ा हुआ है। जिससे कसा जाता है, उसी से खोला जाता है। तो जिससे आंख बंद किया, जिससे कान बंद किया उसी से वो खुलेगा।
3. *भजन करो और कराओ।*
1:06:02 - 1:06:31
अब आप मोटी बात समझो प्रेमियों। भजन करो और कराओ। प्रचार करो, जो सतसंगी नहीं आ पाए उनको बताओ कि प्रचार करो। भटके हुए को रास्ता बताना पुण्य का काम होता है। इस पुण्य के काम को करोगे तो इसका फल आपके शरीर को भी मिलेगा और भजन में लगाओगे तो उसका फल आपकी आत्मा के विकास में भी लगेगा।
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