*कमल और गुलाब के फूल से क्या सीख मिलती है?* - Sant umakant ji maharaj, ujjain

जयगुरुदेव

*समय का संदेश* 
20.11.2024 12 PM


1. *कमल और गुलाब के फूल से क्या सीख मिलती है?*
1.33.26 – 1.34.46

कमल पानी में खिलता है, लेकिन पानी के ऊपर ही रहता है, पानी की गर्मी और ठंड का असर उसके ऊपर नहीं आता है। पानी की बूंद भी ऊपर से गिरती है तो पत्ते पर से नीचे गिर जाती है। 

गुलाब का फूल देखा होगा आपने, कांटों में रहता है लेकिन कांटों से अलग रहता है। उसका कोई कुछ नहीं कर पाता है। तो आप रहो गृहस्थ आश्रम में ही, लेकिन थोड़ी देर के लिए उससे अलग हो जाया करो। कहाँ चले जाओ? जंगल या खेत खलिहान में? नहीं। घर में ही रहो, घर में ही बैठो लेकिन सब कुछ भूल कर, किस पर छोड़ दो? उस पर छोड़ दो। जो सबका दाता है-

"दाता केवल सतगुरु, 
देत ना माने हार।" 

जो देने लगते हैं तो हार नहीं मानते हैं। 
   
प्रेमियों! सब कुछ गुरु पर छोड़ दो। गुरु सबके रक्षक हैं, गुरु बंदी छोड़ हैं। आप उन पर छोड़ दो और उस प्रभु को याद करो। जो नामदानी हो, आपको नामदान मिला है, उस नाम का जाप करो। सुमिरन, ध्यान, भजन करो। 

2. *गुरु का सतसंग अंतर में सुनाई पड़ जाएगा।*
1:39:16 - 1:40:16

जब ध्यान लगाओगे, तो गुरु की दया मिल जाएगी। जब आप भजन करोगे, गुरु की आवाज आपको उसी तरह सुनाई पड़ेगी, सतसंग उसी तरह सुनाई पड़ जाएगा। कैसे सुनाई पड़ेगा? इन कानों से नहीं सुनाई पड़ेगा।जो जीवात्मा यहाँ बैठी हुई है, उसमें जो कान है, उससे सुनाई पड़ेगा। 

जिसको लोगों ने वेदवाणी, आकाशवाणी कहा है, जिसको गुरुवाणी कहा है, साउंड कहा गया, गैबी आवाज कहा गया, वह आपको अंतर में सुनाई पड़ेगी, अंतर में गुरुवाणी सुनाई पड़ जाएगी, गुरु का सतसंग अंतर में सुनाई पड़ जाएगा। और अंतर में आपको गुरु के दर्शन होंगे, जैसे पहले देखते थे कि बैठे हुए हैं, सतसंग कर रहे हैं, ऐसे ही आपको सुनने को मिल जाएगा। जो चीजें आप भूल गए हो, वह चीजें आपको सतसंग से फिर याद आ जायेंगी लेकिन विश्वास करोगे तब। 

3. *गुरु बंदी छोड़ होते हैं।*
1:26:00 - 1:27:00

आप जो नामदानी हो, सतसंगी हो, पहले आप समझो! क्या समझो? (यही) कि गुरू बंदी छोड़ होते हैं। कैसे बंधन से मुक्त रहेंगे? आपकी यह जीवात्मा जो चार शरीर में बंधी हुई है, यह जो धन, पुत्र, परिवार, हाट, हवेली, इस बंधन में बंधे हुए हो, इससे कैसे छुटकारा होगा? जब सुमिरन, ध्यान और भजन करोगे और उस समय पर सब-कुछ भूल जाओगे। 

बेहोश होने के बाद कुछ याद रहता है? कुछ नहीं याद रहता है। ऐसे जब इधर से बेहोशी हो जाएगी और केवल प्रभु याद रहेंगे तब समझो कि आपका बंधन छूटेगा। और नहीं तो "लौट-लौट चौरासी आया"। जब यह शरीर छूटेगा तो चौरासी लाख योनियों में आना पड़ेगा। कीड़ा-मकोड़ा, साँप, बिच्छू की योनि में बंद होना पड़ेगा।




**********************

समय का संदेश
24.11.2024 12 PM


 1. *तेज बुद्धि कैसी होती है ?* 
1.08.00 - 1.08.53

जैसे आप कोई रबड़ ले लो और रबड़ के अंदर सुई डालो तो जब तक डाले रहोगे तब तक सुराख बना रहेगा और जब निकालोगे तो भर जाएगा। तो समझ लो एक हो गई रबड़ की बुद्धि। 

और एक हो गई चमड़े की बुद्धि। चमड़े के ऊपर सुराख बना दो तो जितना बना दोगे उतना बना रहेगा। और एक होती है तेल की बुद्धि। परात या भगोना पानी से भर दो और दो बूंद तेल की डाल दो तो पूरे पानी में फैल जाता है। ऐसे ही तेज बुद्धि होती है। ऐसे ही तेज बुद्धि जिनकी होती है वो किसी चीज को पकड़ लेते हैं।

2. *हर युग में हर युग का प्रादुर्भाव हुआ है।*
1.21.36 - 1.22.14

आगे सतयुग आयेगा। हर युग में हर युग का प्रादुर्भाव हुआ है। जब राक्षस मांस के टुकड़ों को काट कट कर के अग्नि कुंडो में डालने लगे थे -

द्विज मख भोजन होम सराधा। 
जाइ करहु इन कर तुम बाधा।। 

राक्षस जब अग्निकुंड में काट काट कर माँस डाल रहे थे तो तब -

राम राज बैठे त्रैलोका। 
हर्षित भए गए सब सोका॥ 

तब -
"त्रेता भयी कृतयुग की करनी।"
 
उस समय त्रेता में सतयुग जैसा माहौल हो गया।




**********************


समय का संदेश
24.11.2024


1. *चीन के सतसंगियों पर वक्त गुरु की दया...दया को बरसाने में कसर रखना भी एक बुजदिली है।*
1.35.00 - 1.36.00


नामदान लोगों को दिया गया और तड़प भी है लोगो में नामदान की। चीन के लोग आए थे और नामदान ले करके गए थे। भजन, ध्यान, सुमिरन वो करते हैं। अब वो तो ना हिंदी समझते हैं और ना अंग्रेजी समझते हैं, चीन की भाषा को ही वो लोग बोलते हैं और चीन की भाषा को ही वो समझते हैं। 

लेकिन *ध्यान भजन वो करते हैं तो असलियत को वो पाते हैं।* उनमें बहुत प्रेम है। अभी फोटो देखें या चर्चा करें तो उछल पड़ते हैं। तो दया तो हो रही है गुरु महाराज की। बहुत दया हो रही है। दया को बरसाने में कसर रखना ये भी एक बुजदिली है। यह आदेश का पालन नहीं है इसलिए तो संकल्प बना लिया कि छियत्तर साल की उम्र में चल रहा हूं।

2. *'गुरु’ शक्ति (पॉवर) को कहते हैं, हड्डी मांस के शरीर को नहीं।* 
1.12.55 - 1.13.55

शक्ति को गुरु कहते हैं। ताकत को गुरु कहते हैं। हड्डी और मांस के शरीर को गुरु नहीं कहते हैं। हड्डी और मांस को गुरु कहा गया होता तो एक ही गुरु रहे होते लेकिन इस मृत्युलोक का ये नियम है कि जो जन्मता है, उसको मरना पड़ता है। शरीर छोड़ना पड़ता है तो उसी (शरीर छोड़ने ) के साथ गुरु का स्थान न खत्म हो गया होता? इसलिए *समय-समय पर उसने जिन जिन को शक्ति दिया है और वही गुरु काम किए हैं।* इसलिए कहा गया-

गुरु बिन भवनिधि तरे न कोई, 
जो बिरंचि संकर सम होई।।

चाहे कोई ब्रह्मा या शिव के समान ही कोई क्यों न हो जाय लेकिन बिना गुरु के नहीं पार हो सकता है। तभी तो कहा है -

राम-कृष्ण ते कौन बड़े, 
तिनहूं भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, 
गुरु आगे आधीन।।

वो भी गुरु के चरणों में झुके। कौन?  भगवान राम, कृष्ण जिनको कहा गया।

3. *सतसंगी होते हुए भी लोग तकलीफ में क्यों हैं?*
1.23.28 - 1.24.28

बहुत तकलीफ झेल रहे हैं लोग। सतसंगी होते हुए भी तकलीफ में क्यों है? मनुष्य शरीर जो देव दुर्लभ शरीर है, जिसके लिए देवता तरसते हैं। ऐसा सुंदर सुडौल शरीर पाए हुए भी, और वो नाम कि-

रामु न सकहिं नाम गुन गाई। 
कहूँ कहाँ लगि नाम बड़ाई।। 

ऐसा नाम पाते हुए भी सतसंगी दुखी रहें तो ये बड़े दुख की बात है। वो भले ही दुखी न हों लेकिन हमको दुख हो रहा है क्योंकि गुरु महाराज ने कहा कि इनकी सम्हाल करनी है। चलो भाई कोई बात नहीं, सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता है। अभी तक जो अपने किया सो किया, अब गुरु के आदेश का पालन करना शुरू कर दो। गुरु महाराज ने कहा था कि सुमिरन, ध्यान और भजन रोज करना; इससे तुम्हारे कर्म कटेंगे।


**********************


समय का संदेश
24.11.2024


1. *युग परिवर्तन का समय आ रहा है। ऐसे समय में मालिक ने बताया सतसंगियों को कर्म काटने का उपाय*
1.28.42 – 1.33.30

लोगों का खानपान, चरित्र खराब हो गया, लोगों को जिनको कहा जाता था कि ये दुष्ट हैं, राक्षस हैं, तरह-तरह से नाम उनका लिया लोगों ने, आप यह समझो कि वो (राक्षसों वाले) गुण उनमें आ गये, वो अवगुण जिसको कहते हैं वो आने लग गए। युग परिवर्तन का समय आ रहा है। कैसे बचेंगे? 

युग परिवर्तन किसको कहते हैं? चार युग हैं, सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग। इन चारों युगों की उम्र है। जैसे आपकी उम्र है, हमारी उम्र है, उम्र खत्म हो जाएगी तो छोड़ना पड़ेगा इस शरीर को, ऐसे ही अब इन (युगों ) की उम्र खत्म हो जायेगी तो जगह छोड़ना पड़ेगा उनको। तो सबसे पहले सतयुग था, उसके बाद त्रेता आया, त्रेता के बाद द्वापर आया, द्वापर के बाद कलयुग आया। 

लेकिन अब कलयुग में भी, आप यह समझो कुछ समय के लिए सतयुग को आना है। तो आपको यह भी याद दिला दें कि जब-जब परिवर्तन हुआ, युग बदला, बहुत मरे। त्रेता में बहुत मरे। जब त्रेता जाने को हुआ, द्वापर जाने को हुआ तब बहुत मरे, अब कलयुग जाएगा तो छोड़ेगा? नहीं छोड़ेगा। वह तो रगड़ाई करेगा। 

और यह भी देख लो आप जो पढ़े-लिखे लोग बैठे हो कि जब पाप ज्यादा बढ़ा, तभी आप यह समझो युग बदला है। आप यह समझ लो कि जब आंखों से पानी खत्म हो गया, मां, बहन, बहु, बेटी की पहचान खत्म हो गई, रावण जैसा प्रतापी, रावण जैसा विद्वान और बलवान उस समय कोई नहीं था, लेकिन जब वो मांस खा लेता था, शराब पी लेता था तो उसकी बुद्धि खराब हो जाती थी, तो दूसरे की मां बहन को गलत नजर देखता था, उसी वजह से उसको राक्षस कहा गया। जो पूजा पाठ वो खुद करता था, देवताओं को खुश करके और जिसने देवताओं को वश में कर रखा था, वही फिर -
 "द्विज मुख भोजन होम सराधा। 
 जाय करो इन कर तुम बाधा।।" 

 राक्षसों को भेज करके और महात्माओं के, ऋषियों के यज्ञ कुंडों में मांस डलवाने लगा था। तो अब आप यह समझो प्रेमियों, कि (उसकी) बुद्धि खराब हो जाने से विनाश हुआ। 

तो मैं आपको बता रहा था कि कलयुग में जब कलयुग जाएगा, कलयुग में जब सतयुग कुछ समय के लिए आने को होगा तो ये बचेंगे? नहीं बचेंगे। इसलिए इनको समझाने की जरूरत है, बताने की जरूरत है। बहुत बढ़िया युग आ जाए, सतयुग आ जाए और कोई दिक्कत ना हो खाने पहनने की, जैसे पहले था सतयुग में। 

एक बार लोग खेत को बो करके चले जाते थे और 27 बार काटते थे। ना सिंचाई करनी पड़ती थी, ना बुवाई करनी पड़ती थी, वैसा युग आ जाए। जिस चीज की इच्छा आदमी करे, "जो इच्छा कीन्हीं मन माहीं", वो चीज मिलने लग जाए, सब कुछ हो जाए यानी सारी सुख सुविधा हो जाए, यूं कह दो *इस धरती पर सतयुग उतर आवे, यानी स्वर्ग उतर आवे, बैंकुठ उतर आवे, लेकिन आदमी नहीं रहेंगे तब कौन सुख भोगेगा? इसलिए इनको बचाने की जरूरत है जो भटक रहे हैं।* उनको समझाओ, उनको बताओ, जो आप नए पुराने हो सब लोगों से कह रहा हूं, उनको शाकाहारी बनाओ, नशा मुक्त बनाओ, *और जो नामदानी हैं, उनको सुमिरन, ध्यान, भजन समझा करके उनको अंदर का स्वाद दिलाओ, अंदर में उनको प्रभु के दर्शन का यानी उनके अंदर तड़प पैदा करो; यह काम करो।* 

और जो नामदान नहीं लिए हैं, नामदान के बारे में उनको बताओ कि भाई "नाम लेत भव सिंधु सुखाहीं।" यह जो भवसागर में तुम डूब रहे हो, उतरा रहे हो, जन्म मरण का पीड़ा झेल रहे हो, हॅंसी और दुख का पीड़ा झेल रहे हो, जो शरीर से मानसिक और आर्थिक तकलीफ से जूझ रहे हो, आप यह समझो कि यह सबको दूर करो, आप यह समझो इसको दूर करने के लिए नाम बता दो कि यह भगवान का नाम है। इस नाम के लेने से सब काम बनता है, *तो उनको नामदान के बारे में बताओ, नामदान दिला कर भजन कराओ, यह काम करो, इससे आपके कर्म कटेंगे।*




**********************

समय का संदेश
15.11.2024 M
कटनी, म. प्र.


*गुरु नानक जी का शाकाहार अपनाने पर जोर और संदेश।*
1.08.30 – 1.09.19

जिनका खान-पान खराब था, जो मांस खाते थे, मछली खाते थे, अंडा खाते थे, गलत चीजों का इस्तेमाल करते थे, जो कि मनुष्य का भोजन नहीं है, पशु-पक्षियों का मांस खा करके अपने अंत:करण को गंदा करते थे, जिनकी बुद्धि राक्षसी हो जाती थी; उनको उन्होंने (नानक जी ने) नाम जपवाया था। लिखा हुआ प्रमाण मिलता है -  

"सब राक्षस को नाम जपवायो, आमिष भोजन तिन्हें तजवायो।"

जब इस जीवात्मा को अंतर में भोजन मिलने लगता है, जब बढ़िया चीज मिलती है, तो गंदी चीज की तरफ मन नहीं जाता है। मन कितना भी कहे चलो खा लो, लेकिन नहीं खाता।

1.10.30 - 1.12.03

मन-चित्त-बुद्धि का सही होना जरूरी है, अंतरात्मा को सही रखना जरूरी है। अंतरात्मा को अगर साफ नहीं रखोगे, तो यह जो उस प्रभु के बैठने का सिंहासन है; प्रभु कैसे बैठेंगे अपने सिंहासन पर? देखो! यह जगह साफ कर दी गई, यहां जब बिछा दिया गया, तो आप आकर बैठ गए और यहां कूड़ा-करकट, गंदगी पड़ी होती तो आप बैठते? ऐसे ही - 

"दिल का हुजरा साफ कर, 
जाना के आने के लिए।
ख्याल गैरों का हटा,
 उसको बिठाने के लिए।।" 

दिल की, अंतरात्मा की सफाई जरूरी है। तो नानक जी ने समझाया कि यदि कपड़े के ऊपर रक्त (खून) लग जाता है, तो कपड़े को धोते हैं या बदल देते हैं क्योंकि खून लग गया। यह अच्छी चीज नहीं है। 

"जो रक्त लगे कपड़े, 
जामा हुए पलीत।
जो रक्त पीवे मानुषा, 
तिन केउ निर्मल चित्त।" 

मीट जिसको कहते हो, उसमें क्या होता है? खून होता है। खून से यह मांस बनता है। अब सोचो कि जो मनुष्य रक्त पीते हैं, उनकी क्या गति होगी? उनके अंदर निर्मलता कैसे आएगी? उनका सिंहासन भगवान के बैठने का कैसे साफ होगा?


**********************





एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ