औरत का इंतजार । कहानी संख्या 39.
◉ आत्मदर्शन
एक आदमी एक मकान के सामने एक स्त्री के इंतजार में खड़ा था। सांयकाल से सुबह चार बजे तक खड़ा रहा किन्तु कोई औरत घर से बाहर नहीं निकली।
इंतजार करने पर औरत नहीं आई तो वह सोचने लगा कि एक औरत के इंतजार में इतना वक्त बर्बाद किया अगर भगवान के इंतजार में इतना समय दिया होता तो भगवान मिल जाता। उस दिन से वह भगवान की याद में रहने लगा, फिर उसे एक महात्मा मिले जिन्होंने उसको भगवान से मिलने का रास्ता बताया। वह भगवान के भजन में लग गया।
इस कहानी को सुनाते हुए स्वामी जी महाराज ने कहा कि मालिक की याद जो सच्चे दिल से करता है उसे कोई न कोई रास्ता बताने वाला मिल ही जाता है। तुम मालिक की याद दिखाने के लिए करते हो। सच तो यह है कि तुम अपने मन में संसारी वासनाएं लेकर आते हो इसीलिए तुम भजन नहीं कर पाते हो। सारे दिन अपने मन में संसारी इच्छाओं के कंकड़ भरते रहते हो वही भजन के वक्त तुम्हारे मन में उछलते हैं और तुम कहते हो कि भजन नहीं बनता। भजन में मन नहीं लगता।
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जयगुरुदेव
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Jaigurudev