सच और झूठ .. गुरुनानकदेव जी और मरदाना (कहानी संख्या 38.)

  *मृत्यु सच है और जीवन झूठ, आप ही तय कीजिये 
आप किसका साथ दोगे ?

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गुरुनानकदेव जी ने मरदाने को एक टका दिया और कहा कि एक पैसे का झूठ ला और एक पैसे का सच ला|


परमार्थ की इतनी ऊँची बात को कोई को ही समझ सकता है|मरदाना जब एक टका लेकर झूठ और सच खरीदने किसी दुकान पर जाता तो लोग उसका मजाक उड़ाते, कि क्या झूठ और सच भी दुकानों पर मिलता है|


अंत में मरदाना एक प्रेमी के पास पहुंचा, उसको मरना याद था, क्योंकि जिसको मरना याद रहता है, उसको सिमरन भी याद रहता है|


उस व्यक्ति के पास जाकर मरदाने ने कहा कि एक पैसे का सच दे दो और एक पैसे का झूठ दे दो|
उस आदमी ने अपनी जेब से एक कागज निकाला, उसके दो हिस्से किये और एक पर लिखा कि ‘मरना सच है’ और दूसरे पर लिखा ‘जीना झूठ है’, और वो कागज मरदाने को दे दिए|मरदाना वो कागज लेकर गुरु नानक जी के पास वापिस पहुंचा और नमस्कार कर के कहा कि गुरु जी ये दो कागज की पर्चियां मिली हैं|


बाबा जी ने पर्चियों को पड़ा कि मरना सच है, तो कहा कि ये ही दुनिया का सब से बड़ा सच है| दुनिया में जो कोई भी आया है उसे यहाँ से जाना है, वो अपने आने से पहले अपना मरना लिखवा कर आया है|


अगर कोई यह कहता है कि मेरे संगी- साथी दुनिया छोड़ कर जा रहे है, और मुझे भी पता नहीं कब परमात्मा का बुलावा आ जाना है, तो यह सच है| जिसको अपना मरना याद रहता है वो दुनिया में कोई बुरा काम नहीं करता और हर वक्त परमात्मा को याद करता रहता है, उसका सिमरन करता रहता है|


दूसरी पर्ची पर बाबाजी ने ‘जीना झूठ है’ पढ़ कर कहा कि अगर कोई आदमी यह कहता है कि उसे हमेशा इस दुनिया में रहना है तो ये सब से बड़ा झूठ है| इस दुनिया में कोई भी चीज स्थाई नहीं है| जनम होने से पहले ही सब का मरना तय हो जाता है, इस लिए ये कहना सब से बड़ा झूठ है कि किसी को हमेशा जीते रहना है|


इसलिए हमें अपनी मौत को कभी भूलना नहीं चाहिए और उसे याद करके ही सब कर्म करने चाहिए| प्रभु का सिमरन करना चाहिए और अच्छे काम करने चाहिए|
प्रभु का सिमरन करना चाहिए और अच्छे काम करने चाहिए|


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जयगुरुदेव

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