स्वामी जी की हिदायत ( शाकाहारी पत्रिका से 2.)

✶   स्वामी जी ने कहा-

✔ जो गुरु का बल अपने हृदय में धरे रहते हैं वह शेर का काम करते हैं। जब मैं जेल में था तो शहरों की तो कुछ नहीं कहता पर देहातों के लोगों ने ये कहा कि ऐसी इमरजेंसी की आग जल रही थी पर ये बाबा जी के प्रेमी शेर की तरह दहाड़ते रहे। अधिकारियों ने कहा कि इन्होंने इमरजेन्सी खत्म की।

✔ भगवान के नाम के लिए, अच्छा देखने के लिए, अच्छा बोलने और सुनने के लिए डरो मत और लज्जा मत करो। लज्जा करोगे तो आपका काम छूट जाएगा। अगर कोई आदमी अपनी बुराई नहीं छोड़ता, बुरे काम करने में लज्जा नहीं करता तो तुम अच्छे काम के लिए लज्जा क्यों करते हो।

✔ आप भाग्यशाली हो। अब चारों तरफ कोहराम मचा हुआ है झूठ का, फरेब का छल कपट का, धोखा धड़ी का, हिंसा आन्दोलन और तोड़फोड़ का, ऐसे समय में यहां आवाज लग रही है सत्य की, भक्ति की, प्रभु नाम की यह उसकी बहुत बड़ी कृपा है।

✔ जो मानव धर्म को लाना चाहते हैं उसमें कोई पाप नहीं है। जो स्वार्थ से काम किया जाता है उसमें परिवर्तन नहीं, पाप है स्वार्थ है। हम किसी को कुछ भी निःस्वार्थ भाव से देंगे उसमें हमको पाप कर्म नहीं लगेगा। जो सहयोग हम परिवर्तन के लिए देंगे, युग के बदलने के लिए देंगे, उसमें भी कोई पाप नहीं लगेगा।

✔ तुम्हे दीन बनना होगा, रोना होगा, अपने कर्मो का प्रायश्चित करना होगा, माफी मांगनी होगी तब वो दयाल मालिक तुम पर दया करेगा। 

✔ काम करना आसान है, काम कराना आसान नहीं है। काम कराने वाले की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। मैं जितना कहूं उससे कुछ थोड़ा कम करके तुम सुनाओ तो लोग समझेंगे। मैं जितना कहूंगा उसे तुम बढ़ाचढ़ाकर बोलोगे तो किसी की समझ में कुछ नहीं आयेगा। बेकार की बकवास बाजी मत करो। इससे दूसरे तो सुधरेंगे नहीं, न उनका कोई फायदा होगा बल्कि तुम्हारा नुकसान हो जाएगा।

✔ टाट पहनकर गलत काम मत करो। टाट पहनकर भी झूठ बोलना है, धोखा देना है तो टाट उतार दो। टाट पहनकर कोई गलत काम करता है तो उसका विश्वास कभी मत करो। मैंने सबको मौका दिया कि मेरे संदेशों को कानों कानों तक पहुंचा दो, श्रेय लेना चाहो तो ले लो नहीं तो ऐसे ऐसे कर्मठ लोग आ रहे हैं कि तुम पीछे खड़े रह जाओगे।

✔ मैं प्रान्तों प्रान्तों में घूमता रहता हूं और सब अनुभव करता रहता हूं। छोटों का बड़ों का, अमीरों का गरीबों का, देवियों का सबकी सुनता हूं। ऐसा लगता है कि सब लोग परेशान हैं और एक नई दिशा चाहते हैं। मैं आपसे कहता हूं कि अभी आपके पास मौका है आप सम्हल जाइये, नहीं बदले तो सबकुछ चला जाएगा।


✶  बाबा जयगुरुदेव जी महाराज की गूंजती वाणियां

घर में ऐसे रहो कि सबकी सेवा करो, जैसे अतिथि की सेवा करते हो। ममता न हो तो कष्ट नही है, वैसे थोड़ी बहुत ममता तो अतिथि से भी होती है। इसी तरह से बच्चों में रहो, बच्चे चले जायं तो उतना कष्ट नहीं होगा। रोओगे पीटोगे उससे होता क्या है। जिसको जाना है वह चला जाएगा। कुछ किया तो जा नहीं सकता।

जो लोग ये सोचते हैं कि घर परिवार में बाल-बच्चों की जिम्मेदारी होगी, उसे कैसे निभायेंगे यह सोचकर वह साधु बन जाते हैं, साधू के कपड़े पहन लेते है वो तो और भी भजन नहीं कर सकते। ये उनका कच्चा वैराग्य और कच्ची भूख है। इससे अच्छे तो गृहस्थ हैं जो सबकी सेवा करते हुए भजन भी करते हैं। जो साधू हो जाते हैं उनकी दीन व दुनिया दोनों चली जाती है। 

यहां कोई ऐसा उपदेश साधू बनाने का नहीं किया जाता। यहां तो यह बताया जाता है कि अपने-अपने काम करो जो तुम्हें दिया गया है और समय निकालकर घण्टा आधा घण्टा ध्यान सुमिरन में लगाओ।
न तो तुम चौबीस घण्टे काम कर सकते हो न सो सकते हो और न ही चौबीस घण्टे भजन कर सकते हो। इसलिए काम भी करो और भजन भी करो। भजन करोगे तो महापुरुष की, गुरु की दया मिलेगी। बगैर गुरु की दया के कुछ हो भी नहीं सकता। उसकी दया लेने के लिए तुम्हे भजन करना ही चाहिए।


✶   बाबा जी की अपील

मुसलमान भाइयों!
यह तकरीर है। वक्त बड़ा खराब है आने वाला। तुम मेरी तरफ देखो। मैं भी एक इंसान हूं तुम भी इंसान हो। मुझे भी हक दिया खुदा ने तुम्हे भी हक दिया है। तुमने अपने हक की अदूली की है। खुदा की आवाज आ रही है कि मुसलमानों को बता दो कि वक्त खराब आने वाला है। इससे ज्यादा अभी तुम कुछ मत कहो। जब जैसा वक्त आता जाएगा तुम बताते जाना। अभी जो हुक्म हुआ वह आपको बता दिया। आगे जो होगा वह बताया जाएगा।

फकीर खुदा का पैगाम सुनाते हैं। तुम लाख बार खुदा से माफी मांगो और कहो कि हम अपना ईमान, रोजी-रोटी के लिए नहीं बेचेंगे। किसी फकीर के पास जाओ, उससे रास्ता लेकर के अपनी रूह को खुदा के पास पहुंचाओ और उसका दीदार करो। जो लोग अपने ईमान को बेंच चुके हैं, अपने यकीन को खो चुके हैं उनके भी जिस्म से रूह को निकाल दिया जाएगा। 

इसीलिए बड़े गौर से आप पैगाम को सुनें और इस पर गौर से सोचें मिलकर रहें। मैं अपील करता हूं कि हिन्दु मुसलमान एक दूसरे के दुःख सुख में काम आयें। किसी को कोई छेड़ा-छाड़ी करने की जरुरत नहीं है। सब लोग शाकाहारी बनो। किताबों में लिखा है कि जिस्म के किसी भी अंग पर शराब का एक कतरा भी गिर जाय तो उसको जला दो। शराब बुद्धि को खराब कर देता है। मां, बहन बेटी की पहचान खत्म कर देता है। इसलिए आप लोग शराब छोड़ दें।

मैं जानता हूं कि देश की व्यवस्था बिगड़ गई, ज्ञान चला गया, न्याय चला गया, चरित्र चला गया, ईमानदारी चली गई, नैतिकता चली गई, इंसानियत और मानवता खत्म हो गई। मैंने अंग्रेजों का वक्त देखा है। उनकी न्याय व्यवस्था देखा, उनकी वितरण प्रणाली देखा। देश को आजाद कराने के लिए लोगों ने सत्याग्रह किए, आन्दोलन किए, तोड़फोड़ किया, आगजनी की। वह ठीक था उस समय की मांग थी। मैं उससे ैंजपेलि संतुष्ट हूं, 

पर आजादी के बाद आपको हुकूमत मिल गई, फौज-फाटे मिल गए, सत्ता मिल गई फिर ये हड़ताल किस लिए ? ये तोड़फोड़ ये आगजनी ये हिन्सा किसलिए ? आपने कभी सोचा कि सम्पत्ति का नुकसान होगा तो उसे कौन भरेगा ? मैं बराबर सुनता चला आ रहा हूं कि अबकि टेक्स लग गया और ये कहते हैं कि आगे अब नहीं लगेगा पर आज तक न टेक्स रुका और न गरीबी दूर हुई। महंगाई बढ़ने की कोई सीमा नहीं, कोई रोक नहीं है, कोई ब्रेक नहीं है। यह तो बढ़ती ही जा रही है।

आप मेरी बातों पर विचार करो गौर करो। अगर मैंने गलत कहा है तो मत मानो, अगर ठीक लगता है तो सोचो। मैं तुमसे धन दौलत मांगने नहीं आया, सामान और हुकूमत मांगने नहीं आया। आप हमारा साथ दो। आपकी तकलीफों में बीमारी में झगड़े झन्झटों में भरसक मदद करना चाहता हूं। 

हमारे देश का ऐसा विज्ञान है कि हमारे यहां के महापुरुष, सन्त और फकीर किसी की हिम्मत नहीं तोड़ते हैं। खुदाई कानून बदलता नही है, भगवान का विधान बदलता नही है। तुम अपनी मन-मर्जी करोगे तो रोओगे, चिल्लाओगे। अन्त में महात्मा और फकीर ही आपके काम आयेंगे। जितनी चाहो उनसे मदद ले लो, जितना चाहो अपना मन, बुद्धि चित्त और इन्द्री धुलवा लो। भगवान के दरबार में किसी की मेहनत और मजदूरी रक्खी नहीं जाती। वो सबका फल दे देता है। हमसे ज्यादा साफ कहने वाला कोई आदमी नहीं है। हम किसी को धोखे में नहीं रखते। 

✶  बाबा जी की डायरी से

एक साहब हमारे पास आये। प्रश्न करते हैं कि मैं चाहता हूं कि आत्मशान्ति मिले। मुझे बहुत खोज रहती है।
उत्तर में मैंने कहा कि आप सत्संग में आया करें और ध्यान से सत्संग सुनें। वो साहब रोज सत्संग में आने लगे और सत्संग ध्यान देकर सुनने लगे। बाद सत्संग के कहते हैं कि जो आपने सुनाया है वह तो मैं समझता हूं कि मुझे संसारी वस्तु की इच्छा नही है। मैंने कहा कि आपको संसारी वस्तुओं की इच्छा नही है तब तो आपको आत्मसुख जल्दी प्राप्त हो सकता है।

बोले कि मैं इसी आत्मसुख की तलाश में हूं। आशा है आप दे देंगे। कुछ दिन सत्संग सुना और लगातार आते रहे। एक दिन कहते हैं कि महाराज जी खर्च पूरा नहीं पड़ता है, बड़ी अड़चन रहती है। आप कुछ दया कर दें ताकि हमार खर्च पूरा पड़ने लगे फिर खूब भजन करुंगा।
आपको मालूूम होना चाहिए कि जब उनकी इच्छा पूरी नही हुई फिर आज तक हमारे पास कभी नहीं आये। अब समझ लो कि तुम्हे परमात्मा की कितनी चाह है ? तुम तो महात्माओं के पास संसार की वस्तु चाहते हो।

-- शाकाहारी पत्रिका 28 से 6 सितम्बर 2010


जयगुरुदेव
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