युग महापुरुष बाबा जयगुरुदेव जी महाराज (16.)

✡ स्वामी जी भूली बिसरी यादें ✡

26.12.1976 को स्वामी जी ने कहा कि सी.बी.आई. के लोग अभी तक प्रधानमंत्री के जेब में चूंहों की भांति फुदुक फुदुक किया करते थे उनको भी निकाल कर फेंक दिया, अब इनको पता चलेगा। विनोवा जी का भी अस्तित्व समाप्त हो गया। मैंने इतने जोर शोर से प्रचार किया कराया जिससे सरकार को लगा कि जयगुरुदेव के लोग न आ जायं। अब वह पूरा सरकारी साधू हो गया है। 
- क्रमशः

27.12.1976 को स्वामी जी ने बताया कि आज पड़ा पड़ा देख रहा था कि बाहर बड़ा तूफान मचा हुआ है। और सभी जेलों में जाने के लिए होड़ मचाते जा रहे हैं। 29.12.1976 को मेरे परिवार के लोग मिलने आये। स्वामी जी महाराज ने उन लोगों को लडडु प्रसाद के रूप में दिया।

पहली जनवरी 1977 को एक प्रेमी ने स्वामी जी को नई डायरी भेंट दी। 5 जनवरी को स्वामी जी ने बताया कि प्रारम्भ में मैंने 21 दिन तक सिर नहीं धोया,  9 दिन तक बालों में तेल कंघी करने को नहीं मिला। मुझे ऐसी कोठरी में बन्द किया गया जिसमे की लेटने से हाथ भर की जगह बचती थी।  जितने दिन उस कोठरी में रहा धूप देखने को नहीं मिली। 

एक दिन मैंने अधीक्षक से तेल कंघी की प्रार्थना की तो जवाब मिला कि प्रावधान में नहीं है।  6 जनवरी को स्वामी जी ने कहा मैं सोचता था कि देश अपना है, आन्दोलन से देश साफ हो जाता है, इसलिए अभी तक मैंने कुछ भी नहीं कहा था। मैं चाहता तो अब तक बहुत कुछ हो जाता। 

ये लोग समझते थे कि बाबा जी ऐसे ही होंगे इनको दबा दिया जायेगा। ये बेड़ियां महंगी पड़ेंगी। ट्रकों में भर भर कर दूर जंगलों में ले जाकर छोड़ आते हैं क्योंकि उन्हें जेलों में रखना दुस्तर हो गया है। रखेंगे तो नोट खर्च करना पड़ेगा।

मैंने एक दिन पूछा कि धार्मिक लोग कब सत्ता में आयेंगे तो स्वामी जी ने कहा कि जब जनता त्राहि त्राहि करने लगेगी तो स्वयं धार्मिक लोगों की पुकार करने लगेगी। राम और कृष्ण के साथ परमार्थी हो गये तो काम हो गया। इसमें गरीब ही काम आते है क्योंकि उनमें हिम्मत होती है। अमीर आदमी पैसा दे सकते हैं लेकिन उनमें हिम्मत नहीं होती। यह काम गांव के गरीब व्यक्तियों द्वारा होगा। 

अच्छे काम के लिए परेशानी उठानी ही पड़ती है। जब दुख पड़ेगा तभी सुख भी मिलेगा। इसलिए लोगों को इस परमार्थ कार्य में कूद पड़ना चाहिए। अगर दो चार महीने लोगों को जेलों में बन्द किये रखेंगे तो उनके बच्चे मर थोड़े ही जायेंगे। सभी अपना अपना भाग्य लेकर आते हैं। चिड़ियों को देखिए भगवान बराबर व्यवस्था करता है। इन बेचारे केदियों को बीस बीस साल की सजा है तो इनके बच्चे भूखे थोड़े ही मर जायेंगे। जाड़ों में जिसके पास रजाई है और जिनके पास नहीं है रात दोनों की पार होगी।

80 जनवरी को स्वामी जी ने कहा कि मैंने पहले कहा था कि चुनाव होगा तो कांग्रेस समाप्त हो जायेगी चाहे चुनाव 75 में हो या 76 में । लेकिन लोग वचनों को ठीक से सुनते नही तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है। मैंने यह भी कहा था कि 70 से 81 तक तुम्हारी कचूमर निकल जायेगी उसको क्यों नहीं ध्यान में रखते हैं।

कुछ लोगों ने सन्देश दिया है कि धैर्य टूट रहा है। स्वामी जी ने कहा कि राम और कृष्ण के भक्तों ने कितना धैर्य से काम किया था। अगर धार्मिक लोग धीरज खो बैठे तो सांसारियों का क्या हाल होगा। सभी लोग धैर्य के साथ सत्याग्रह जारी रखें। अन्त में विजय अपनी ही होगी।

10 जनवरी 1977 को स्वामी जी ने कहा कि 77 से खराब 78 और 78 से खराब 79 ।  सन् 79 में तो खुदा ही बचाये। लोगों  के चिथड़े उड़ जायेंगे। सब सामानों के भाव चढ़ गये।  इमरजेन्सी बुढ़िया हो गई और अब इसका जनाजा निकल जायेगा।

मारूति कारखाने का चोर अभी तक कहा जाता था कि संजय गांधी राजनीति में नहीं आवेगा और अब युवा हृदय सम्राट बन गया। मारूति कारखाने की पूंजी खा गया। सात हजार की कार बेचेगा। अम्बिका सोनी को हटाया जा रहा है क्योंकि वह बुढ़िया हो गई है।  उसकी आयु 35 वर्ष से ऊपर हो गई है। संजय गांधी आया नसबन्दी लाया।  लोगों की जानें ली जा रही हैं। भ्रूण हत्या किया जा रहा है। क्या इससे गरीबी दूर हो जायेगी ? कभी नहीं। 

ये लोग चाहे पांच करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष मार डालें फिर भी देश की गरीबी दूर नहीं होगी। बहुमत तियमत बालमत, बिन नरेश को राज। सुख सम्पदा की कौन कहे, प्राण बचे बड़ भाग।। 
स्वामी जी ने कहा कि अभी तो इमरजेन्सी लगी है, और यदि संजय आ गया तो मौतजेन्सी लग जायेगी। आप लोग सांस नहीं ले सकेंगे।
 
13 जनवरी को स्वामी जी ने कहा कि मैं इस सरकार को पलट दूं, अगर आर.एस.एस. और जनसंघ एक साथ हो जाये। लेकिन अण्डा और मुर्गी, शराब, मांस छोड़ना पड़ेगा। 14 जनवरी 77 को स्वामी जी ने कहा कि प्रधानमंत्री के राज्य में मुझे लोहे का कड़ा और डन्डा डाल दिया गया है। जितने भी जुल्मी राजा आये सभी चले गये। औरंगजेब कितना जुल्मी था वह भी चला गया। 

जो राजा अपनी प्रजा का ख्याल नहीं रखता वह अधिक दिन तक नहीं टिक पाता है। 15 जनवरी को स्वामी जी ने कहा कि 1971 तक बहुमत रहा, उसके बाद त्रियामत रहा और अब आया बालमत। अगर यही रहा तो लोगो की छुन्नी मुन्नी बिल्कुल कलम कर दी जायेगी।

16 जनवरी को बाबा जी ने कहा कि मैं अपने आश्रम पर 12 फिट लम्बी और 6 फीट चौड़ी कोठरी बनवाउंगा क्योंकि आगरा जेल में मुझको ऐसी ही कोठरी में बन्द कर रखा था।

19.1.77 लोक सभा भंग हो गई और कांग्रेस सत्र 18.1.77 को समाप्त हो गया। स्वामी जी ने कहा कि प्रेमियों! तुम्हारा काम हो गया। तुम जेलों में जाना बन्द करके प्रचार में लग जाओ। तुमने बहुत काम किया। इसको देखते हुये प्रधानमंत्री ने यह निर्णय लिया है। 

यह देखो गुरु का खेल- 76 से 31 मार्च 77 को पूरा होता है लेकिन काम पहले ही कर दिया। सबको चरित्रवान सदाचारी बनना चाहिए नहीं तो फिर त्राहि त्राहि अल्लाह अल्लाह मच जायेगा।
 
21 जनवरी को स्वामी जी ने कहा कि बीच सिर में तेल डालो। बड़ी जलन होती है। रात्रि में बैठता हूं तो सिर फटने लगता है। मैं किसी से कहता नहीं हूं। आगरे में लोग कहते थे कि अजीब ये पूजा करते हैं। गौतम जी को नामदान दिया। साथ में बैठाया। अनुभव भी उनको हुआ। लोग कहने लगे कि इनको चेला बना लिया। भगवान को गुरु ही बताता है। लोग कहते हैं कि अन्ध विश्वास है। अन्ध विश्वास करना पड़ता है। हजारों बुरे से एक भला अच्छा होता है।

जनता पार्टी के संगठन पर स्वामीजी ने जेल के सभी लोगों के बीच वक्तव्य देते हुये कहा कि जयगुरुदेव नाम परमात्मा का है मेरा नहीं मैं जयगुरुदेव नाम का प्रचार करता हूं। जनता पार्टी का स्वप्न मैं बहुत पहले से देख रहा था जो सामने आई है। 33 प्रतिशत बच्चों को टिकट मिलना चाहिए। देखिए सरकार ने यह तोहफा दे रखा है, मैं इसका स्वागत करता हूं। मेरा आशीर्वाद जनता पार्टी के साथ है। मेरे प्रेमी आपका पूरा सहयोग करेंगे। आपको एक नया पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है।

स्वामी जी ने अपनी तकलीफों की अर्जी दी थी लेकिन इसका कोई भी जवाब अधिकारियों की तरफ से नहीं मिला था। इस पर हम सभी जेल के साथी दिसम्बर माह के पहले सप्ताह में भूख हड़ताल शुरु कर दिये। 24 घण्टे के अन्दर ही जेल अधीक्षक महोदय आये और भूख हड़ताल न करने की प्रार्थना किया और यह कहा कि आप लोग दर्खास्त लिख कर दे दें मैं उसको प्रमाणित करके उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दूंगा। लेकिन मैं बेड़ी नहीं काट सकता क्योंकि यह आदेश मुख्यमंत्री नारायन दत्त तिवारी का है।


✡ चकिया संस्मरण 

14 जून 1975 को चकिया का ऐतिहासिक विशाल सत्संग कार्यक्रम उत्साह भरे वातावरण में सम्पन्न हुआ। सरजू और कुवानों नदियों के बीच में बसा चकिया ग्राम उस दिन तीर्थ बन गया था। लगभग 500 घरों की आबादी इस गांव की है और सभी घरों के अधिकांश सदस्य स्वामी जी से दीक्षा ले चुके हैं। कई पूरे घर के घर नामदानी हैं। 

ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, मुसलमान, हरिजन सभी वर्ण के लोग हैं। एक किसान ने बताया कि दो साल पहले जब से बाबा जी का प्रचार हुआ तब से जो लाग खाते भी थे उनमें से अधिकांश लोगों ने मांस मछली खाना छोड़ दिया। यात्रियों के ठहरने आदि का प्रबन्ध तेज प्रताप सिंह ने किया था। जौनपुर के सत्संगियों ने सत्संग की व्यवस्था करने में काफी योगदान किया।

सभी घरों में बाहर से आये हुये प्रेमी ठहरे थे जैसे अपने सगे मेहमान हों, दरी, चादर, कम्बल, धोती जो कुछ भी ग्राम वासियों के घरों में थे उन्होंने सब कुछ अतिथि सत्कार में लगा दिया। जिसके पास जो कुछ रूखा सूक्षा खाने को था वही श्रद्धाभाव से दे रहा था। 

कई हैन्ड पम्प लगे थे, कुवों पर ग्रामवासी स्वयं पानी भर भर कर यात्रियों को नहला रहे थे। चकिया के बीहड़ औ दुर्गम लम्बे मार्ग पर चलकर आये हुये यात्री धूल धूसरित हो यगे थे और ठंडे पानी में स्नान करके बड़े प्रसन्न थे। बहुत लम्बे चौड़े खेत में जो सत्संग स्थल था कई शामियाने लगे थे। स्वामी जी का मंच गुम्मजदार मन्दिर था जो विशेष रूप से तैयार किया गया था। मंच क्या था कोई मन्दिर नुमा इमारत खड़ी थी। 

ऐसा लगता था मंच के बीच में चार केले के खम्भे पर स्वामी जी का मनमोहक श्वेत आसन था। सत्संग प्रारम्भ करने के पहले स्वामी जी मंच पर नीचे साधु मंडली के साथ बैठे थे और फिर बाद में ऊंचे आसन पर बैठकर लाखों जनता को अपना ऐतिहासिकसन्देश सुनाया।
 
बस्ती से कलवारी तक तो हम लोग टैक्सी से आये और कलवारी से 13 मील की यात्रा चकिया तक की। इस कच्चे मार्ग में प्रेमियों को अनेक अनुभव हुये। यह बात सत्य है कि यह यात्रा लोगों को जीवन भर नहीं भूलेगी बस्ती से चकिया तक पूरे मार्ग मे पेड़ पर, दीवारों पर चकिया चलो का आवाहन किया गया था। हर पेड़ पर जयगुरुदेव लिखा था। स्वामी जी महाराज 12 जून की शाम को 4 बजे चकिया पहुंच गये थे। प्रेमियों के आने का तांता 13 तारीख से शुरु हो गया था और 15 तारीख की सुबह तक जारी रहा बाद में लोगों ने बताया कि देवरिया और गोरखपुर से बस्ती आने वाली बसों की सेवायें रद्द कर दी गई थी और झुन्ड के झुण्ड प्रेमी मार्गों में पडे़ ही रहे।

जयगुरुदेव
शेष क्रमशः अगली पोस्ट  no. 17  में...

पिछली पोस्ट न. 15 की लिंक... 

sabhar, yug mahapurush baba jaigurudev ji maharaj bhag 5

Baba Jaigurudev ji Maharaj

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ