युग महापुरुष बाबा जयगुरुदेव जी महाराज (15.)

✩ परिवर्तन की निशानी ✩

दिसम्बर 75 की बात है आगरे सेन्ट्रल की ऊंची दीवार पर बड़े अक्षरों में जयगुरुदेव लिखा हुआ था। उत्तरप्रदेश के राज्यपाल श्री चेन्ना रेडडी साहेब का आगरे में आगमन था। जयगुरुदेव नाम उनकी आगवानी के उपलक्ष्य में मिटाया जा रहा था । बड़ी लिपाई पुताई के बावजूद भी जयगुरुदेव नाम झलक दिखा रहा था। जेल की पिछली दीवार पर बाबा जी का संदेश लिखा था उस पर तारलोक की लीपा पोती कर दी गई थी। हम मूक बने विधी की इस विडम्बना को देख रहे थे, सत्ता के नशे को देख रहे थे। 

जेल की दीवारों के भीतर जयगुरुदेव नाम के प्रचारक बाबा जयगुरुदेव को बन्द करके रखा गया था और बाहर उन्हीं के संदेशों को मिटाने का प्रयास किया जा रहा था। वाह रे कयामत! कमाल कर दिया।

आगरे में डेरा जब तक रहा जेल की दीवारें जैसे मूक भाषा में कुछ कहती सी जान पड़ती थीं और हम जेल रोड की व जेल के आसपास मंडराया करते थे। यह हमारे दिनचर्या का अभिन्न अंग या कुछ नहीं से कुछ भला को चरितार्थ करते हुए हम जेल तक चले जाया करते थे। 

मन में ऐसा विश्वास होता था कि जेल के अन्दर से आने वाली हवा में भी रूहानियत की कशिश है। जेल की दीवारों में फाटक से दिखने वाले अन्दर के फाटकों के सीकचे यानी जहां तक दृष्टि जाती थी हमें तीर्थ की पवित्रता का अहसास होता था। इतिहास अपने आप को दोहरा रहा था। 
एक युग प्रवर्तक महापुरुष बाबा जयगुरुदेव जेल की दीवारों में यंत्रणायें भोग रहे थे और बाहर खड़े खड़े हम लोग इस अनलिखे इतिहास को समझने की कोशिश करते। जेल की दीवारों को भेद कर एक आवाज हम लोगों तक आकर दिल दिमाग को झक झोर रही थी- देश की समाज की मानव मानव की भलाई के लिये मैं जेल की दीवारों मे कैद हूं। 

तुम भी हर तकलीफ को मालिक की सौगात समझकर सह लेना किन्तु डरना नहीं, विचलित मत होना। इस सन्दर्भ में मुझे एक बात याद आ गई। जेल के फाटक पर रुककर उस मौन सन्देश को हम सुन रहे थे। आंखें जेल के अन्दर जहां तक देख सकती थीं वहां तक फैली हुई थीं कि 5, 6 संतरियों का जत्था बाहर आया। शायद वो राउण्ड लेने वालों का ग्रुप था। उसमें से एक ने आगे बढ़कर पूछा कहिए आप लोग उधर क्या बहुत निगाह गड़ा कर देख रहे हैं। हमारा ध्यान भंग हो गया और हम चुप चाप आगे बढ़ गये।

30 नवम्बर को एकाएक शाम को सूचना मेरे पास आई कि आपको सर्किल नम्बर 4 में चलना है। मैंने जेल के साथी सामानों को ले जा करके जमा किया और अपने सामान को लेकर के लगभग चार बजे अनामी प्रभु दाता दयालु कृपालु भवसागर पार करने वाले नाथ की तरफ चल पड़ा। लगभग चार फर्लांग चलने पर स्वामी जी के सर्किल में ज्यों ही फाटक पर पहुंचा तो देखा कि दया निधि स्वामी जी फाटक पर बैठे थे। 

परमपिता ने मुझे देखा और भाई सन्तराम जी से बोले कि देखो बच्चा आ गया। मैं पहुंचते ही स्वामी के चरणों में उसी प्रकार अपने आपको अर्पित कर दिया जैसे बछड़ा अपनी मां को पाकर के उससे चिपट जाता है। स्वामी जी की आज्ञा हुई और सन्तराम जी ने मेरे बिस्तर आदि की व्यवस्था की। मैं उस समय इतना जर्जर हो गया था कि शरीर कमजोर, आंखें पीली पड़ गई थीं, दातों में इतनी कमजोरी थी कि लगभग जवाब दे चुके थे। 

स्वामी जी ने सब मेरा हाल पूछा और मैं एक एक करके सारी बातें बताता गया। स्वामी जी के पूछने पर कि बाहर प्रचार कार्य कैसा है मैंने बताया कि आपकी कृपा से सभी कार्य सम्पन्न हो रहा है। सभी धर्म जाति के लोग अपने मुंह से यह प्रशंसा करते हैं कि इस आपातकालीन समय में बाबा जयगुरुदेव के शिष्य ही दिखाई पड़ रहे हैं। यह सुनकर बाबाजी ठहाका मारकर हस पड़े कि ऐसा तो लोग कहेंगे ही। 

एक दिन स्वामी जी ने कहा कि बच्चू 9 दिसम्बर से अपना कार्यक्रम सत्याग्रह का बहुत तेजी से शुरु होगा जो पिछले सभी युग परिवर्तन वाले इतिहास को पीछे ढकेल देगा। पहले यह कार्य उत्तरप्रदेश में शुरु होगा।

1 दिसम्बर 76 को प्रातः दो बजे घण्टी ज्यों ही लगी मेरी आंख खुल गई और मैं साधन पर बैठ गया। कुछ देर बाद स्वामी जी के बेड़ियों की आवाज सुनाई पड़ी तो हम और सन्तराम जी दोनों उठ पड़े। स्वामी जी की चारपाई बैरक के फाटक के पास ही रहती थी। स्वामी जी शौचादि से निवृत्त होने के लिए गए और हम लोग इस बीच चूल्हा जलाकर चाय बनाने लगे। 

चूल्हे के पास कम्बल पर साफ चादर बिछा दिया गया और थोड़ी देर बाद स्वामी जी आये और बैठकर हाथ पैर सेंकने लगे। पास में एक दूसरा कम्बल बिछा था जिस पर कुछ राजनीतिक लोग जो स्वामी जी की चारपाई के पास ही लेटते थे आ गये। स्वामी जी के साथ उन लोगों को भी चाय दी गई। यह कार्यक्रम लगभग प्रतिदिन का रहता था। जो लोग नहीं आ पाते थे स्वामी जी उनको चारपाई पर ही चाय भिजवा देते थे। 5 बजे जब फाटक खुल जाता था तब बाहर सब टहलने जाते थे।

नेताओं की मीटिंग प्रातः 7 से 8 बजे तक और सायं 3 से 4 बजे तक हुआ करती थी। स्वामी जी ने हम लोगों से कहा कि तुम उस मीटिंग में रोज जाया करो मुझे बेड़ियों के कारण बैठने में तकलीफ होती है। हम लोग राजनीतिज्ञों की मीटिंग में जब पहुंचे तो जयगुरुदेव कहकर सबको हाथ जोड़ लिया। उन लोगों ने हमारा स्वागत किया और श्री कौशल किशोर जी ने सबसे हमारा परिचय कराया। श्री गुलाब सिंह परिहार, रमाशंकर सिंह जी आदि से घनिष्टता बढ़ती गई। हम लोग बॉली वाल भी नित्य खेलते थे।

श्री बाबूलाल वर्मा जी जो इस समय उत्तरप्रदेश के उपमंत्री थे उनके घर से पत्र आया जिसमें लिखा था आज दिनांक 9.12.76 को बाराबंकी जिले में जयगुरुदेव के अनुयाईयों ने सत्याग्रह किया जिसमें 35 महिलायें जेल आईं। उनमें से एक की गोद में 7 दिन का बच्चा और दूसरी की गोद में 15 दिन का बच्चा था। 50 किशोर अवस्था वाले बच्चे और बांकि पुरुष बाराबंकी की कुल संख्या 179 उस दिन की थी। इसी दिन एक साथ पूरे उत्तरप्रदेश में सत्याग्रह शुरु हुआ और कई हजार स्त्री पुरुष बच्चे सत्याग्रह करके जेलों में चले गये। अनेक स्थानों में औरतों को बच्चों को बुरी तरह पीटा गया।

दिनांक 20.12.76 को स्वामी जी ने पैर में पड़ी हुई बेड़ियों की तरफ इशारा करते हुए हंसकर कहा हलो नारायन दत्त!  एक दिन स्वामी जी आग ताप रहे थे। बेड़ियों को आग में रखते हुए कहा कि इसका नाम भी इसी तरह लेता रहा तो यह भी बहुगुणा की तरह से चला जाएगा क्योंकि हमारी गिरफ्तारी का आदेश बहुगुणा ने ही दिया था। 24.12.76 को स्वामी जी ने इशारा करते हुए कहा कि मेरे जेल जीवन के इतिहास के साथ तुम दोनों का भी इतिहास लिखा जाएगा क्योंकि तुम दोनों हमारे साथ रहे। 

14.12.76 को जिला मजिस्ट्रेट मथुरा के नाम स्वामी जी ने निम्न प्रार्थना पत्र दिया-

मैं आपके द्वारा मीसा में निरुद्ध हूं। आश्रम की जमीन आपके कब्जे में है। मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप टेलीफोन, बिजली का बिल भुगतान करेंगे क्योंकि मेरे पास यहां रुपया कहां है। आपने मिलाई की भी अनुमति नहीं दी है। पूर्ण रूप से आप ने अगस्त 1975ई. से कब्जा कर रखा है। खेती की जमीन आपके कब्जे में है। आपके बिल, टेलीफोन व बिजली का वापस कर रहा हूं। जबकि खेती का मुकदमा उच्च न्याययलय में है फिर जमीन व आश्रम खाली नही है। 

17.12.76 को कहा कि आज कल मुझे रात्रि में नींद नहीं आती है। लोगों ने पूछा कि महाराज जी क्या ठंडी लगती है ? स्वामी जी ने गंभीरता से कहा प्रेमियों की याद और फिर मौन हो गए।

बाहर जेल भरो आन्दोलन की खबर सुनकर स्वामी जी बड़े खुश हैं बार बार एक ही बात कहते हैं और हंसते हैं बाहर क्या समाचार है ? एक अधिकारी कहता है कि गजब हो गया है। कितने जयगुरुदेव के शिष्य हो गए हैं कि हर व्यक्ति की जबान पर जयगुुरुदेव की चर्चा हो रही है। 

स्वामी जी ने कहा कि अभी क्या देखा? अभी तो 7 दिन का बच्चा लेकर औरतें जेल जा रही हैं। अभी तो कितनी देवियों को जेलों में ही बच्चे पैदा करने होंगे। 23 सितम्बर को स्वामी जी ने कहा कि 9.10 में हमारे प्रेमी बहुत बड़ी संख्या में चले जायेंगे और 25 जनवरी 1977ई. तक अगर विपक्षी दल कोई राजनीतिक निर्णय नहीं लेते हैं तो इनका भी अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। जिन प्रेमियों को जेल नहीं भेजा जा रहा है वे बिल्कुल तैयारी से आते हैं तो उनको दस गुनी ताकत आ जाती है।

जयगुरुदेव
शेष क्रमशः अगली पोस्ट  no. 16  में...

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sabhar, yug mahapurush baba jaigurudev ji maharaj bhag 5

संत वचन संत महिमा

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