सब लोग इन शब्दों पर ध्यान रक्खें - दाढ़ी बाल रखने से साधु नहीं हो जाते।
मैं सनातन धर्मी हूं। चन्दन लगाने का नाम सनातन धर्म नहीं है। जब मन निर्मल हो जायेगा, सब विकार खत्म हो जायेंगे तभी प्रभु को प्राप्त कर सकते हैं। चन्दन पोतने से यह काम नहीं होगा। इस बोध को हम सभी भूल गये। हमारे मन बुद्धि चित्त अहंकार मैले हो गये हमें अपने को देखना है कि हम निर्मल हुए या नहीं। हमें दूसरे की बुराई नहीं देखना है। यह साधु की वेषभूषा है अगर साधु वेषभूषा वाले लोग निकलकर देश में प्रचार किये होते तो 24 वर्षों में देश में रामराज्य हो गया होता। अगर आप निकल पड़े तो देश की तमाम परेशानी दूर हो जाय और जन जन में सुख शान्ति आ जाये।
दाढ़ी बाल रखने से साधु नहीं हो जाते। जिसकी जीवात्मा मनुष्य शरीर में रहते रहते प्रभु को प्राप्त कर ले वही साधु है। आज चरित्रों का नामों निशान नहीं, चारों ओर हाहाकार मच गया और सब लोग रोने लगे। प्रभु ने सोचा कि इनके दुःख को मिटाया जाये। महात्माओं के प्रार्थना करने पर ऐसी शक्तियां आती हैं। ये मां के गर्भ में आती हैं और उनका दूध पीकर बड़ी होती हैं। ये प्रारम्भकाल से ही योग कार्य में लग जाती हैं। योग साधन समाप्त करके तब महान कार्य करती हैं। सब लोग इन शब्दों पर ध्यान रक्खें।
आकाश के ऊपर बड़े-बड़े ब्रह्माण्ड हैं जिसका वर्णन रामायण में मिलता है। ऊपर जाने का रास्ता इसी मनुष्य शरीर के भीतर से है। मनुष्य शरीर में यह रास्ता मिल जाये तो ऊपर बड़े ब्रह्माण्डों में पहुंचकर पूर्ण प्रेम शान्ति एवं शक्ति की प्राप्ति हो जाये वर्ना कोई ज्ञान नहीं हो सकता। वहां पाप पुण्य, रात-दिन, आडम्बर, व्यभिचार, मन्दिर, मस्जिद आदि नहीं हैं।
वहां से महात्माओं को भूमण्डल पर भेज दिया जाता है। महान आत्मा का जन्म भारत वर्ष में हो चुका है जिसकी उम्र 30 वर्ष से ऊपर है। वह हनुमान की तरह होते हैं। इसके अतिरक्ति छोटी छोटी महान शक्तियों का भी अवतार ऊपर के लोकों से हो चुका है जो या तो शिक्षा ग्रहण कर रही हैं या ग्रहण कर चुकी हैं। वह महान आत्मा सबको संगठित कर लेगी परिवर्तन अवश्यम्भावी है। महानात्माओं का पुनर्जन्म होने पर अवश्य होता है। मैं सोचता हूं कि रामायण की ये पक्तियां सदा सत्य रही हैें और रहेंगी-
जब जब होहिं धर्म की हानि, बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी।
तब तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, सदा हरहिं महि सज्जन पीरा।।
जब लोग पापाचारी वर्णशंकर और सत्य तथा समता से दूर हो जाते हैं तो पापाचार मिटाने के लिये महान आत्मायें आती हैं। मुझे रात में स्वप्न होते हैं कोई भूत या देवता बनकर मुझसे वायरलेस से कुछ कहता है कि मानव को बताओ कि ऐसा समय आ रहा है। समय से सभी महान शक्तियों ने चेतावनी दी थी। समय से राम, कृष्ण, कबीर मोहम्मद ने चेतावनी दी। समय से चेतावनी देने के लिये मुझे विवश कर दिया गया कि दुनियां को सुना दो।
मैं इंसानों की जावात्माओं से प्रेम करता हूं कि ये प्रभु की आत्मायें हैं। हमें विचार करना है कि समता आई या नहीं। आप में समता नहीं आई तो आप दूसरों की जागृति नहीं कर सकते। आज हम राम क्या थे, कृष्ण क्या थे यही नहीं जान सकते। पर राम कृष्ण का बोध कराने वाला माध्यम गुरु मिल जाये तब काम बने।
परमात्मा से जो मिल चुका है वही गुरु हो सकता है दूसरा कोई नहीं। हम गुरुओं की आज्ञाओं को नहीं मानते, भगवान रामायण गीता का नाम लेते हैं। उनके वचनों को अमल नहीं करते। आप बड़े ध्यान से सुनें। दूसरों की आलोचना न करें वर्ना चमगादढ़ और मेंढक होना पड़ेगा।
अगर आप रामायण मानते हैं तो आपको निन्दा नहीं करना चाहिए। हिन्दु मुसलमान का अन्तर नही ना ही जातियों का। आपका उपदेश सबको होना चाहिए।
गत वर्ष लोगों में यहा के लोगों ने भ्रान्ति पैदा कर दी। मेरा रास्ता सनातन धर्म का है और पुरातन है। यह सतयुग में था, त्रेता में था, द्वापुर में था, कलयुग में भी सत्य है। परन्तु तुम मांस, शराब, गांजा, भांग से बुद्धि को गन्दा कर लिये हो, अगर न समझो तो इसका इलाज नहीं है।
सब शरीर में अधिकारी हैं कि अपनी जीवात्मा को ऊपर के लोको में पहुंचावें और दुःख से दूर हों। आप परमात्मा का गुणगान करें। अयोध्यावासी, सरजूतट वासी, अपने अपने कमण्डल और माला को लेकर यह प्रतिज्ञा करें कि सत्य प्रेम, न्याय, सदाचार को अपनायेंगे और इनका प्रचार करेंगे।
विषमता को त्याग दें तथा हमारा पूरा पूरा सहयोग करें तो हम सारे देश का पांच वर्ष में सुधार कर देंगे। जो व्यक्ति लगन के साथ इसी चरित्र उत्थान और सदाचार लाने के काम में लगा है वह कुछ कर दिखायेगा।
आप मांस, मछली, शराब, ताड़ी, भांग, अफीम, चरस का प्रयोग छोड़ दें। आप निन्दा करना छोड़ें। जो 24 घण्टे काम में लगा है उसका काम अवश्य होगा।
दिनांक 11-9-71 से मैंने देश में धर्म प्रचार का व्यापक कार्य शुरु किया। इतने समय में एक करोड़ लोगों को अध्यात्म और सदाचार का संदेश सुनाया। यह मामूली मेहनत नहीं है। आपको हर जगह चर्चा सुनने को मिलेगी। सभी लोग सनातन, प्रेम, धर्म और सेवाओं में सहयोग दें। इसी को मंच पर गतवर्ष अयोध्या के तमाम महात्माओं ने कहा कि हम आपके साथ हैं।
आप अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रखें आप देश में रामराज लाना चाहते हैं हम भी यही कार्य कर रहे हैं। अब आप मेरी भविष्यवाणियां सुनें सन् 70, 71, 72 इन तीन वर्षों में विश्व के विनाश का कारण बनेगा। इसके बाद आप कार्य देखेंगे। पहला नर संहार पूर्व में होगा, दूसरा नर संहार पश्चिम में होगा, तीसरा नर संहार उत्तर में होगा और चौथा दक्षिण में होगा। इसके बाद सारे विश्व में नर संहार होगा।
मैं कट्टर हिन्दु हूं। मेरी कट्टरता कम लोगों में है। मैं बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गांजा, भांग, चरस, अफीम आदि का उपयोग नहीं करता। मांस मछली नहीं खाता। किसी भी व्यक्ति संस्था की निन्दा या आलोचना नहीं करता। मैं कट्टर हिन्दु हूं। परन्तु मैं मुसलमानों का दुश्मन भी नहीं हूं।
मुसलमानों! पूरब और पश्चिम का पाकिस्तान खत्म हो जायेगा। आप पाकिस्तान का ख्वाब न देखें। भारत के मिट्टी हवा पानी में पले हिन्दू, मुसलमान, काशी मथुरा अयोध्या सब हमारे हैं।
हिन्दू मुसलमान ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य हरिजन हमारी नजरों में सब इंसान हैं।
अग्नि में हाथ डालने पर हिन्दु मुसलमान दोनों जलेंगे। भगवान की तरफ से सबके लिय बराबर विधान होगा। बुरे कर्म करने से आत्मायें करोड़ों वर्षों तक नरकों में डाल दी जाती हैं। करोड़ों वर्षों तक चीखती चिल्लाती हैं। इससे बचने के लिए परमात्मा ने मनुष्य शरीर बनाया। उसने सारी मनुष्य जाति के कल्याण आनन्द प्रेम के लिए एक नियम बनाया।
जयगुरुदेव |
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स्वामी जी की भूली बिसरी बातें |
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