जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश
12. नया नजारा आयेगा
बाबा जयगुरुदेव ने लिखकर दिया अक्टूबर के बाद नया नजारा आयेगा सारी दुनिया जग जाएगी चौदहवीं सदी के आखिर में इन्सानों में कोहराम होगा
उसी वक्त खुदा का पैगाम लेकर एक फकीर जमीन पर उतरेगा
सारी इन्सान जाति को खुदा का पैगाम सुनाएगा।
‘जब जब होइ धर्म की हानि
बाढ़हिं असुर महा अभिमानी
तब तब धरहिं प्रभु मनुज शरीरा।’
13. अपना साथी बनाओ
बाबाजी ने कहा- मानव जीवन अनमोल है।
प्रभु ने एक सुहावना अवसर दिया है और आपको मानव जीवन की अमोलक निधी दे दी। सभी अधिकार मानव को दे दिए।
अच्छे बुरे कर्मो का पूर्ण अधिकार मनुष्य को है।
प्रभु के पास जीवात्मा को पहुंचाने की नौका दी है भवसागर रूपी नदी से मरने से पहले जीवात्मा को उतार दो। मनुष्य शरीर किराये का मकान है इसे समय पर खाली करना है। आपके साथ कुछ नहीं जाएगा।
महान आत्मा को साथी बनाओ जो लोक परलोक में आपका साथ दे।
14. तुझे अक्ल आ जाएगी
मैं गधा जरूर हूं, पर पूरा शाकाहारी हूं।
अपने मालिक को जीवन भर कमा के खिलाता हूं मालिक घास भी नहीं देता खुदा की कसम एक बून्द भी शराब नहीं पीता। अल्लाह ताला ने मुझे गधा जरूर बनाया
कबीर गुरु भक्ति बिन, राजा गधा होय।
मैं अपने गुनाह कबूल करता हूं। मैं इंसान से अपने को अच्छा इसलिए समझता हूं। पेट के लिए इन्सान क्या धोखा व झूठ बोलता
मेरी दौलत धरती है, उसी पर घास चरता हूं और मस्त हैं। ऐ इन्सान! अब तुझे मेरी तरह गधा बनना होगा। खुदा कसम तब तुझे अक्ल आएगी।
15. सत्संगी प्रेमीजनों
आश्रम की जमीन जहां पर प्रतिवर्ष गुरु जी का भण्डारा होता है, कितने लाखों आदमी उस जमीन पर धर्म सदाचार की शिक्षा लेते हैं, साधन भजन करते हैं, जमीन पर पूजन होता है। करोड़ों नर नारियों की आंखें धर्म स्थान की तरफ लगी हैं। जनता सरकार ने आदेश वापस करने का अधिकारियों को दिया है परन्तु सरकारी अधिकारी जमीन को देने में आनाकानी करते हैं। विदित हो अप्रेल सन 76 में इमरजेन्सी समय में कांग्रेस सरकार ने जबरन कब्जा कर लिया था।
बाबा जी मीसा में थे 21 महीना, 29 जून सन 75 से 23 मार्च सन 77 तक।
16. घोर क्रूरता का कार्य
भण्डारे का सामान कांग्रेस ने मथुरा आश्रम से लगभग 10 लाख रुपये का उठा ले गए, पूजा करने के स्थान को विध्वंस कर दिया, अनाज हजारों मन उठा ले गए, 18 जानवर बिकवा दिए। घोर क्रूरता का कार्य किया आप सभी सत्संगी पूजा स्थान को लेने को तैयार रहें।
करोड़ों भक्तों की प्रजातंत्र में भाव से लेकर सम्पत्ति से लेकर, शरीर की दुर्दशा की।
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जयगुरुदेव
Hastlipi sandesh
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param pujya baba jaigurudev ji maharaj |
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Jaigurudev