कम खाओगे नियम संयम से रहोगे तो बीमारी नहीं आएगी

जयगुरुदेव

18.01.2023
प्रेस नोट
भरुच (गुजरात) 

*सतगुरु के वचन अकाट्य होते हैं*

*दुनिया का सबसे कठिन काम नाम दान देना है*

*झगड़ा झंझट से छुटकारा के लिए दो बात बर्दाश्त कर लो, कम खाओगे, नियम संयम से रहोगे तो बीमारी नहीं आएगी*


भजन में बरकत बढ़ाने के उपाय बताने वाले, जिनके वचन अकाट्य होते हैं, जो निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी होने के नाते इस धरती पर इस समय नाम दान देने के एकमात्र अधिकारी हैं, केवल जिनका दिया हुआ नामदान ही फलदायी होता है, ऐसे इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 3 फरवरी 2021 सायं तबरा, भरूच (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि सतपुरुष की मौज नीचे रचना करने की हुई थी। तब तेज आवाज हुई थी और इसमें जीवात्माएं घबराई थी। उन्होंने कहा था तुमको घबराने की जरूरत नहीं है। मेरी मौज हो गई है रचना करने की। तुम नीचे जाओ। मैं तुमको बुला लूंगा। प्राण जाए पर वचन न जाई। कहा सन्त वचन पलटे नहीं, पलट जाए ब्रह्मांड। सतपुरुष को तो देख नहीं पाते हैं। सतपुरुष की जो छाया ताकत होती है उसे लोगों ने सन्तों में देखा और कहा- सत पुरुष की आरसी सन्तन की ही देह, लखना चाहो अलख को इन्हीं में लख ले। फिर उन्होंने कहा इस बात को। सतगुरु के वचन अकाट्य होते हैं। वह वचन तो होते हैं उनके (सतपुरुष के), जिसकी पावर उनके (सन्तों के) अंदर रहती है। वह झूठे नहीं होंगे। वह जो उन्होंने कहा कि हम तुमको निकालेंगे तब उस वादे को वह पूरा करते हैं और इसी धरती पर मां के पेट में बन करके पलकर के सन्त के रूप में आते हैं।

*दुनिया का सबसे कठिन काम नाम दान देना है*

गुरु महाराज लोगों को नाम दान बताते थे। जाने से पहले मेरे लिए कहकर गये थे कि यह पुरानों की संभाल करेंगे और नयों को नाम दान देंगे। तो नाम दान आपको दूंगा। हालांकि नामदान देना बड़ा कठिन काम है। हमारी समझ में तो दुनिया का सबसे कठिन काम नामदान देना है। गुरु का आदेश चाहे रैन में या चाहे बैन में या चाहे सैन में हो, पालन करना गुरु भक्ति होती है। गुरु महाराज ने कहा था। उनके जाने के बाद भी इच्छा नहीं हो रही थी लेकिन (नामदान देने के लिए) दुबारा आदेश हो गया, इनको अगर नाम दान दे दोगे तो भजन करने लगेंगे। (यदि काम पूरा नहीं भी हुआ तो) इनको मनुष्य शरीर मिल जाएगा। 

*झगड़ा झंझट से छुटकारा के लिए दो बात बर्दाश्त कर लो*

कम खाओ और गम खाओ। गम खाओ यानी बर्दाश्त कर लो। दो बात बर्दाश्त कर लोगे तो झगड़ा झंझट से छुटकारा। और बर्दाश्त नहीं हुआ तो तू डाल डाल, मैं पात पात, तो क्रोध आ जाता है। और क्रोध क्या नहीं करा डालता? हिंसा हत्या तक करा डालता है। फांसी तक क्रोध लटका देता है। जेल में पूरी जिंदगी सड़ा देता है। क्रोध से बचने के लिए दो बात बर्दाश्त कर लो।

*कम खाओगे नियम संयम से रहोगे तो बीमारी नहीं आएगी*

यह जो पतली 72000 नसें शरीर को चलाती हैं जब वह कट जाती है तो जुड़ती नहीं है तो सिस्टम ही बिगड़ जाता है। ऑपरेशन से बचना चाहिए। अगर जान खतरे में हो तब तो कराओ ऑपरेशन। लेकिन जब कम खाओगे तब बीमारी आएगी ही नहीं। संयम नियम से रहोगे तो बीमारी आयेगी ही नहीं।

*ऑपरेशन से बचो*
 
महाराज जी ने 30 फरवरी 2021 दोपहर गोपालग्राम, अमरेली (गुजरात) में बताया कि इंगला पिंगला सुषुम्ना प्रमुख तीन नाडियां है। इसके बारे में सब जानते हैं। लेकिन इससे जुड़ी हुई जो नाडियां नसें (ऑपरेशन में) कटने पर वापस जुड़ती नहीं है। इसीलिए कहा जाता है ऑपरेशन से बचो। संयम-नियम रहो तो आराम से खाओगे तो हजम हो जाएगा। संयम-नियम रखोगे तो आराम से बच्चा पेट में पल करके बाहर निकल जाएगा। जो नहीं पालन करते उन्हीं को ऑपरेशन कराने की जरूरत पड़ती है । 

अब यह संयम-नियम कौन सिखाता है? बहुत कुछ तो घर, समाज सिखाता है। लेकिन ये पढ़ी-लिखी बहुएं कहेंगी कि हम अनपढ़ सास से कुछ पूछेंगे ही नहीं, उनसे हम बोलेंगे ही नहीं, उनकी हम सेवा ही नहीं करेंगे तो वह क्यों बताएगी? कोई लड़की पढ़ लिख करके, डॉक्टरी करके आ गयी तो दूसरे के पेट काट करके ऑपरेशन करके बच्चे को निकाल देगी, बच्चा पैदा करा देगी। लेकिन उसके जब बच्चा पैदा होने का समय आएगा तब अपना पेट काट कर के बच्चा नहीं निकल पाएगी। लेकिन अनपढ़ सास अपने अनुभव से हाथ फेर करके बच्चा बाहर निकाल देगी। बहुत कुछ जानकारी समाज देता है तो बहुत कुछ जानकारी सतसंग से पहले मिलती थी। अब सतसंग का हो गया अभाव। अब तो आए दिन ऑपरेशन। एक बार ऑपरेशन करा कर जब बच्चा पैदा करा लिया तो दूसरी, तीसरी बार फिर कराना पड़ेगा। एक बार पेट कटवा लो, ऑपरेशन करवा लो तो कोई गारंटी है कि दोबारा न कराना पड़े। एक आदमी तो थक गया ऑपरेशन कराते-कराते। बोला डॉक्टर साहब अबकी बार जब ऑपरेशन करना तब सिलाई टांका मत लगाना, चैन या बटन लगा देना ताकि फिर जब हम आयें तो बटन खोल करके ऑपरेशन कर देना।






बाबा उमाकांत जी महाराज 


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