बाबा उमाकान्त जी महाराज के अनमोल वचन

जयगुरुदेव 
⦓ बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया- 

इस मृत्युलोक में एक से एक राजा, महाराजा, सेठ, साहूकार, पंडित, मुल्ला, पुजारी, अवतारी शक्ति, ऋषि, मुनि, पीर, पैगम्बर आए। धन दौलत, जमीन जायदाद, मान प्रतिष्ठा, मेहनत ईमानदारी, कल बल छल, लूटपाट, लड़ाई झगड़ा करके इकटठा किया लेकिन सब छोड़ करके एकदिन चला जाना पड़ा।

 जिसके जैसे कर्म थे उसी हिसाब से अभी भी नर्क चौरासी में तकलीफ झेल रहे हैं लेकिन जो संतों के सत्संग में गए, उनकी बातों को सुना, समझा, अमल किया, वे जब तक यहां दुनिया में रहे सुख और शांति का अनुभव किया और जब समय पूरा हुआ शरीर छोड़ा तो अपने परम् पिता के पास परम् धाम पहुंच गए।

इंसान को हमेशा अपनी मौत याद रखनी चाहिए। भजन, इबादत के लिए जो इंसानी जामा यानी मनुष्य शरीर मिला, इसको गुनाहों से बचाना चाहिए और कामिल मुर्शिद यानी सच्चे गुरु की तलाश करके रास्ता लेकर थोड़ी देर सच्ची पूजा इबादत करना, स्त्री बच्चों व परिवार वालों को भी जरूर कराना चाहिए, इससे बच्चे बिगड़ेंगे नहीं, लोग निरोगी रहेंगे, घर में शांति रहेगी। 

समय निकालकर सन्तों के पास जाना, उनके सतसंग वचनों को सुनना, उनसे अच्छाई-बुराई, धर्म-अधर्म, खुदा-भगवान, देवी-देवता व सबके सिरजनहार कुल मालिक सतपुरुष की जानकारी कर लेनी चाहिए।

अगर ऐसा नहीं किया तो समझ लो श्वांसों की पूंजी गिनकर के खर्चा करने के लिए मिली हैं, श्वांस पूरा हो जाने पर चाहे राजा, महाराजा, सेठ, साहूकार, अधिकारी, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री,  राष्ट्रपति का शरीर ही क्यों न हो लोग इसको मिट्टी कहने लगेंगे, सड़न, गलन, बदबू से बचाने के लिए लोग जल्दी से मृतक शरीर को शमशान घाट पर ले जाकर जला देंगे या जमींदोज कर देंगे। 

शरीर के सुख-सुविधा, सम्मान के लिए इकट्ठा की हुई सारी चीजें यहीं छूट जायेेंगी। मनुष्य शरीर जैसा ही पिशाच के शरीर में जीवात्मा को बन्द करके मलकुन मौत यानी यमराज के दूत इंसाफ के तख्त के सामने खड़ा कर देंगे। 

पैदा होने के बाद और मरने से पहले की पुण्य और पाप, अच्छाई-बुराई हर पल, हर क्षण हर इंसान का वह जो मालिक देख रहा है उसी के अनुसार कर्मों की सजा मिल जायेगी। नर्कोें में मारे-काटे, तपाये-सड़ाये जायेंगे फिर नर्क की तकलीफ में कोई भी रिश्तेदार, हित मित्र परिवार, जाति, समाज का ताकतवर व्यक्ति बचा नहीं सकता। 

करोड़ों जन्मों तक नर्कों में रहने के बाद कीड़ा, मकोड़ा, सांप, गोजर, घोड़ा, गधा की योनि में सजा भोगने के लिए बन्द कर दिए जायेंगे। 84 लाख योनियों में गाय और बैल की योनी के बाद मालिक की विशेष दया मिल जाने पर यह मनुष्य शरीर मिलेगा। 

अब आप सोचो कि अपने निजघर (मिट्टी और पत्थर जिसका अपना घर समझते हो ये नहीं) सत्तलोक नहीं पहुंच सकते। ये मनुष्य शरीर जिसके लिए देवता 24 घण्टे मांग करते रहते हैं कि थोड़े समय के लिए ही हमको मनुष्य शरीर मिल जाता तो अपना काम बना लेते। यह बेकार चला जाता। 

ज्ञात हो देवताओं के 17 तत्वों के लिंग शरीर में ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि जिससे ब्रह्म, पारब्रह्म, काल महाकाल में होते हुए सत्तलोक कोई पहुंच सके, लेकिन मनुष्य शरीर में है। 

सन्त सतगुरु से रास्ता मिल जाने पर और उस पर चलने पर  देवी देवता का दर्शन इस मनुष्य शरीर में तो होता ही है उनसे परे लोकों के धनियों और सबका मालिक सत्तपुरुष का भी दर्शन हो जाता है। 

आत्म शक्ति जागती है, आत्मसाक्षात्कार जब होता है तो उसी प्रकार की शक्ति आ जाती है जैसे जिस शक्ति के द्वारा सती सावित्री ने पति के प्राणों को वापिस कर लिया, सती अनुसुइया ने ब्रह्मा, विष्णु महेश को छोटा बच्चा बना दिया, ध्रुव प्रहलाद व लंका दहन में विभीषण के घर की रक्षा हो गई, आत्मशक्ति से ही हनुमान जी ने समुद्र में छलांग लगाकर लंका दहन कर रावण को सबक तो सिखा ही दिया साथ ही साथ शक्ति बाण लगने पर लक्ष्मण के जान की रक्षा के लिए उड़कर गए और पूरा पहाड़ उठाकर ले आए। स्मरण रहे ये सबके सब शाकाहारी नशामुक्त थे।

महाराज जी का कहना है कि मेरा अपना कोई बच्चा नहीं है लेकिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आपको ही अपना बच्चा मानता हूं, आपके लिए मन से चिंतन करता हूं तथा शरीर से मेहनत करता हूं। आपके श्रद्धा प्रेम की सेवा आप और आपके बच्चों के लिए खर्च करता रहता हूं। 

आप सभी धर्म जाति मजहब के मानने वाले देश विदेश के लोग मेरी बातों पर गौर करके मानने योग्य बातों को अगर मान लें तो देश विदेश में अमन चैन हो ही जाएगा साथ ही साथ प्रकृति खुश होकर के समय पर जाड़ा गर्मी बरसात करने लगेगी, धरती धन्य धान्य से पूर्ण होगी। रोटी रोजी की समस्या खत्म होगी, लोग ईश्वरवादी, अध्यात्मवादी होंगे, इसी धरती पर सतयुग का नजारा दिखाई पड़ जाएगा।

कुदरत के बरखिलाफ यानी प्रकृति के प्रतिकूल काम करने की वजह से नाराज होकर प्रकृति सजा देने को तैयार खड़ी है, बचने और बचाने के लिए स्वयं चरित्रवान, शाकाहारी नशामुक्त रहें और लोगों को बनावें। जो पैदा होने से पहले मां के स्तन में दूध भर देता है उस पर यकीन विश्वास करें। पापी पेट के लिए हिंसा, हत्या, लूटपाट, बेईमानी, रिश्वतखोरी, चोरी न स्वयं करें और न किसी को करने की प्रेरणा दें बल्कि इसमें लिप्त लोगों को मानवता सदाचार त्याग व मानव सेवा देश भक्ति का भी पाठ पढ़ावें। समय निकालकर थोड़ी देर सच्चे सन्त का सत्संग जरूर सुन लिया करें।

-sabhar, sant darshika
baba umakantji maharaj 


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