जयगुरुदेवपरम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज की देश हित में प्रार्थना–
देश भक्त बनें
देश भक्ति छोटी मोटी भक्ति नहीं होती। याद करो देश भक्ति में भगतसिंह, चंद्रशेखर, अशफाक उल्ला खां, सुखदेव, राजेंद्र लाहिड़ी जैसे वीरों ने कुर्बानी दे दी। स्वार्थपरता में पड़कर इस धरती पर पैदा हुए, माटी में पलकर बड़े हुए, बुद्धि आयी, विवेक आया, रोटी मिली।
ऐसे देश की सम्पत्ति को अपना समझकर हड़ताल, तोड़फोड़, आन्दोलन, आगजनी हरगिज न करें क्योंकि इसके नुकसान से देश का विकास तो रुकता है और नुकसान का खामियाजा अपने को ही भोगना पड़ता है। सब लोग नियम कानूून का पालन करें । पालन कराने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों का सहयोग व सम्मान करें और हमेशा देश की आन-बान-शान बनाए रखो। भारत विश्व का सिरमौर बने इस पर विचार विमर्श व चिंतन करते रहो।
व्यापारी अपने भाग्य प्रारब्ध पर भरोसा रखें। व्यापार में हमेशा जायज मुनाफा लें और मुनाफे का परिवार की परवरिश अच्छे ढंग से साधन-सुविधा कुछ अंश गरीब -गुरबों के भोजन, वस्त्र व औषधि में भी खर्च कर दिया करें, इससे बरकत बढ़ जाएगी।
अधिकारी /कर्मचारी जनता को अपना बच्चा मानकर सेवा (सर्विस) करें। ऐसा भाव रखें जैसे पिता अपने बच्चे का पालन पोषण, शिक्षा दीक्षा व उनके उत्तम भविष्य के लिए करता है। रिश्वतखोरी से हमेशा बचें, दिल दुखाकर लाया हुआ धन फलदायी नही होता है।
गृहस्थ जीवन में ग्रह कलह, रोग मुकदमेबाजी, चारित्रिक पतन, दहेज व तलाक, खून-कतल जैसे मुकदमें में खर्च हो जाता है, ये गलत तरीके से लाया धन जहां भी लगता है नाश करता है। सेवाकाल के मिले कार्य को यथा सम्भव तुरन्त निपटा दिया करें।
शिक्षकगण जिस तरह से पिता अपने बच्चे के अन्दर उच्च भावना, उच्च विचार भरने, उच्च स्थान पाने का प्रयास करता है, ऐसे ही शिक्षकगणों का कुछ समय के लिए विद्याध्यन के लिए माता पिता के द्वारा सौंपे गए बच्चे-बच्चियों के लिए प्रयास होना चाहिए, न कि शारिरिक सुख, सुविधा के लिए इसलिए मर्यादा बनाये रखना जरूरी है।
विद्यार्थी बुरी सोहबत से बचें, किसी के कहने या देखा देखी में नशे का सेवन तथा देश द्रोही काम कभी नहीं करें, शाकाहारी और चरित्रवान रहें, माता पिता की सेवा करें, गुरुजन व बूढे़बुजुर्ग का सम्मान करें, मेहनत से पढ़ाई करें, ऊंचे विचार व ऊंची सोच रखें, तरक्की करने के लिए हमेशा अपने बड़ों के मेहनत तथा उनके चरित्र का अनुकरण करें।
हड़ताल, तोड़फोड़, धरना, घेराव से किसी भी समस्या का समाधान होने वाला नहीं है, इसे भूलकर न करें, इसके नुकसान का खामियाजा अपने को ही भोगना पड़ता है, इसलिए किसी के भी उकसावे में आकर ऐसा काम न करें। हिम्मत रखें कभी भी निराश न हों, कम खाना, कम बोलना, कम सोना, बर्दाश्त करना सदैव लाभकारी तो रहता ही है विकास का भी पथ प्रशस्त करता है।
किसान सर्वविदित है कि एक मजदूर से लेकर सेठ साहूकार चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक को रोटी खिलाने वाले दिन रात पसीना बहाकर के खेतों में काम करने वाले काश्तकारों के मेहनत के हिसाब से पैदा किए हुए अन्न की कीमत लागत के मुकाबले बहुत कम मिल पाती है, जरूरत पूरा न होने पर कर्ज के बोझ से दबना पड़ता है। सूद का दर सूद देना पड़ता है, कर्ज से जल्दी छुटकारा नहीं मिल पाता हे।
कुछ लोग पैतृक कर्ज में पैदा हुए, कर्जमें पाले-पोसे गए और कर्ज के बोझ में दबे-दबे दुनिया से चले जा रहे हैं, यहां तक की रोटी, रोजी, न्याय, सुरक्षा भरपूर न मिल पाने की बजह से जीवन से ऊबकर आत्महत्या जैसा अज्ञानी कदम उठा ले रहे।
महाराज जी ने कहा इसके लिए हमको हार्दिक कष्ट है और मैं बराबर आपके सुख सुविधा और शांति के लिए इस समय पर देश की व्यवस्था की बागडोर जिनके हाथ में है उनसे तो कहता ही रहता हूं साथ ही साथ खुदा भगवान से भी प्रार्थना करता रहता हूं इसलिए भूमिजोतक काश्तकारों आप कभी भी आत्महत्या मत करना।
यह मेरी बात मान लो और अपने खर्च पर अंकुश रखना, जुआ शराब तथा व्यभिचार जैसे बुरे व्यसन से बचना, मालिक पर भरोसा रखना और परिस्थितियों का मुकाबला शांतिपूर्ण ढंग से कर लेना, कुछ समय पर व्यवस्था सही हो जाने पर सब ठीक हो जाएगा।
मजदूरों दन-रात, धूप-छांव, भीषण गमी, ठंडी, बरसात न देखते हुए आश्रित परिवार व स्वयं के पापी पेट के लिए आप घर-घर, खेत-खेत, जा करके मजदूरी मेहनत करते हो, आप इस चीज का ध्यान रखना कि आपके घर में मेहनत का ही पैसा आवे जिससे बरकत मिले, बच्चे तरक्की करें, घर में धन लक्ष्मी की कमी न होने पावे।
जिसके यहां भी काम करो अपने काम के द्वारा उसके दिल को जीत लो, उसकी उम्मीद से भी ज्यादा अपने तन से सेवा करके हक और हलाल का पैसा लाओ, मांस, मछली, अण्डा और नशे की चीजों से दूर रहना और शराब तो भूलकर भी मत पीना, बात मान लेने पर तुम्हारे साथ उस मालिक की दया जुड़ जाएगी।
माननीय न्यायाधीश न्याय देने का अधिकार प्राप्त स्थान भगवान का स्थान माना जाता है। पूर्व जन्म का जब अच्छा कर्म होता है तब व्यक्ति न्यायाधीश बनता है, इस स्थान की गरिमा को बनाये रखने के लिए माननीय न्यायाधीशो से ये कहना है कि आप दबाव या लालच में मत आइयेगा। हमको यह मालूम है कि आपकी मेहनत और योग्यता के अनुसार धन, सम्मान नहीं मिल पा रहा है, अभाव में बच्चों की तरक्की नहीं हो पा रही है।
बहुत से लोगों को रिटायर्ड होने पर न्याय की कुर्सी छोड़ने के बाद वकील की काली कोट पहनकर के उसी पर विराजमान जूनियर जज के सामने खड़ा होना पड़ता है। संविधान संशोधन का प्रस्ताव जो मैंने रखा है, उसके अन्तर्गत उम्मीद है निकट भविष्य में आपके साधन, सुविधा, सम्मान में बढ़ोतरी हो जायेगी। अतः आपसे अनुरोध है कि धैर्य के साथ स्थान की गरिमा को बनाये रखियेगा।
धर्म गुरु, पंडित, मुल्ला, पुजारी, मठाधीश, महंतों से
यह कहना है कि इस समय कलयुग में जड़ माया (धन-दौलत) चेतन माया (स्त्रियों) का बड़ा जोर है। गृहस्थ का अन्न खाने, उनका दान दिया हुआ धन उपयोग करने, दाताओं की भलायी के लिए सेवा- भजन न करने व कराने से दोनों मायाओं का जोर तेज हो जाता है, कारागार व नर्क का दरवाजा खुल जाता है इसलिये आप बुराइयों से बचने के लिए मौत और समरथ गुरु के वचन हमेशा याद रखो।
जो स्थान आपको मिला है, उसकी गरिमा को बनाये रखो। गृहस्थ का खाया हुआ नमक अदा करो उनके बीच जा करके उनका खान-पान, चाल-चलन, विचार-व्यवहार सही रखने का ईश्वरवादी, खुदापरस्त बनने का पाठ पढायें और इस मानव शरीर से इबादत करके अंतर में जो देवी-देवताओं का दर्शन, खुदा का दीदार होता है उसको करिये और लोगों को कराइये और अगर आपको तरीका नहीं मालूम है तो किसी जानकार के पास उनको जाने की प्रेरणा दीजिये। याद रहे धृतराष्ट्र को 106 जन्म के पीछे के बुरे कर्म के कारण अंधा होना पड़ा था। चूक जाने पर आप को भी कहीं कर्मो की सजा न मिल जाये।
 |
परम् पूज्य महाराज जी |
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev