बाबा उमाकान्त जी महाराज का संक्षिप्त परिचयः-
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में बाबा उमाकान्त जी महाराज का जन्म हुआ। धार्मिक परिवार में पालन पोषण हुआ। पढ़ाई पूरी करने के बाद बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के सम्पर्क में सन् 1973 में आये।
गुरु की इतनी दया हुई उन्होंने अपनी शरण व सेवा में ले लिया, नामदान दिया, ध्यान भजन करवाया, अपनी हर तरह की नजदीकी सेवा तो दिया ही साथ ही साथ पूरे देश में सत्संग करने के लिए चिट्ठियों में इस तरह से लिखकर के भेजा- उमाकान्त तिवारी को भेज रहा हूं, समझ लेना आधा मैं आ गया, किसाी चिट्ठी में इस तरह से लिखकर भेजा- समझ लो मैं ही आ रहा हूं। किसी में यह लिख कर भेजा कि इनकी बात सुनना, विश्वास करना, मैंने इनको सब समझा दिया है।
एक समय ऐसा आया जब बाबा जयगुरुदेव जी महाराज को उमाकान्त जी महाराज से संतुष्टि और विश्वाश हो गया कि ये भेदभाव से अलग रहकर निस्वार्थ भाव से लोगों को जोड़कर संगत को चला ले जायेंगे, हमारे मिशन को आगे बढ़ायेंगे तो उन्होंने 16 मई 2007 को वशीरतगंज जिला उन्नाव (उत्तरप्रदेश) के सतसंग में ये घोषणा कर दी - ‘ये उमाकान्त तिवारी हैं इनको पहचान लो ये पुरानों की सम्हाल करेंगे और नए लोगों को नामदान देंगे।’
18 मई 2012 को बाबा जयगुरुदेव जी महाराज शरीर त्यागकर जब निजधाम चले गए, धन, दौलत और स्थान के लोभी लोगों से बचकर मथुरा से सबकुछ छोड़कर खाली हाथ उज्जैन, मध्यप्रदेश आ गए। प्रेमियों के सहयोग से आश्रम व ट्रस्ट बनाया और गुरु आदेश पालनार्थ मिशन को आगे बढ़ाने के लिए पूरे देश में प्रचार प्रसार तथा गुरु के इस दुनिया से जाने के दुख को बांटने के लिए जगह जगह पर सत्संग किया, लोगों को समझाया, बताया कि गुरुमहाराज तो शरीर से चले गए लेकिन शब्द रूप में आपके साथ हैं। जब आप सुमिरन ध्यान भजन मन को रोककर लगातार करने लगोगे तो आपको उसी तरह से अन्तर में दर्शन होगा जैसे बाहर करते थे और जब आदेश का पालन लोगों ने करना शुरु किया तो भौतिक और आध्यात्मिक लाभ मिलने लग गया। बहुत से लोग महाराज जी के साथ जुड़ गए।
संस्कारी जीवों पर दया हुई और महाराज जी ने गुरुपूर्णिमा 22 जुलाई 2013 को जयपुर में खुले मंच से लाखों लोगों की उपस्थिति में नामदान देना प्रांरम्भ कर दिया। पूरे देश में आयोजित सत्संगों में अबतक लाखों लोगों को नामदान दे चुके हैं जो शाकाहारी सदाचारी नशामुक्त, चरित्रवान रहकर नियमित मन को रोककर सुमिरन ध्यान भजन करते हैं । उनको बराबर अनुभूती हो रही है, पता करने पर काफी संख्या में ऐसे लोग मिलेंगे।
साभार, sant darshika
 |
बाबा उमाकान्त जी महाराज |
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ
Jaigurudev