जयगुरुदेव
15.01.2022
प्रेस नोट
महबूबाबाद (तेलंगाना)
*गोस्वामी जी ने जिस नाम की महिमा गायी, वो जन्म-मरण से छुटकारा दिलाने वाला नाम बताऊंगा -सन्त उमाकान्त जी महाराज*
*जब सन्तमत के बारे में लोगों को मालूम पड़ेगा तो बहुत भीड़ होगी*
*अबकी बार नहीं चेते तो बड़ा मुश्किल हो जाएगा, अभी तकलीफें कुछ नहीं है, आगे आएंगी*
*कलयुग में उम्र कम है, जीवात्मा को नर्क-चौरासी से छुड़ाने के लिए सन्तों का प्रादुर्भाव हुआ*
धर्म ग्रन्थ जिस नाम के गुणगान से भरे पड़े हैं, वो नाम अभी जिनके आधीन है, जो इस समय पर उस अलौकिक नाम को देने के लिए एकमात्र अधिकृत हैं, जो परम पिता के आदेश से इस समय जीवों के कल्याण का, मुक्ति-मोक्ष दिलाने का कार्य कर रहे हैं, जो इस कलयुग में कम समय में ही जीवात्मा को जगाने की युक्ति नामदान सबको बता रहे हैं, ऐसे इस समय के युगपुरुष, त्रिकालदर्शी, दयालु, दुःखहर्ता, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 13 जनवरी 2023 दोपहर महबूबाबाद (तेलंगाना) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि
सन्त-महात्मा कोई जमीन फाड़कर या आसमान तोड़कर नहीं निकलते हैं, वो भी मां के पेट में ही पैदा होते, बनते, पलते, पैदा होते हैं, उस समय के पूरे सतगुरु के पास पहुंच जाते हैं, उनसे रास्ता ले करके अपनी आत्मा को जगाते हैं तो परमात्मा की ताकत (उनमें) आ जाती है। फिर वह मालिक हुकुम दे देता है कि जाओ अब जीवों के लिए तुम उपदेश करो, रास्ता बताओ, भला करो, संभाल करो तो शुरू कर देते हैं। जब उनका समय पूरा होने का होता है तो अपना काम दूसरे को दे करके जाते हैं, लोगों को बता करके जाते कि आगे यह इस काम को करेंगे तो वो उस काम को करने लगते हैं। ऐसे ही यह सन्तों की परंपरा चली आ रही है।
*कलयुग को मलिन युग क्यों बताया गया है*
सबसे पहले का समय सतयुग था जिसमें- सतयुग योगी सब विज्ञानी, कर हरि ध्यान तरै भव प्राणी। सतयुग में आंख बंद करते ही भगवान के पास, देवी-देवताओं के लोकों में लोग पहुंच जाते थे। त्रेता आया। त्रेता में लोग यज्ञ जप तप करने लग गए। द्वापर में मूर्ति पूजा आदि। फिर कलयुग आया, सबसे मलिन युग। कैसे? यह भी बता दें। आदमी की उम्र सतयुग में एक लाख वर्ष, त्रेता में दस हजार वर्ष, द्वापर में एक हजार वर्ष और कलयुग में सौ वर्ष की बताई गई, वो भी इस समय पर पूरा हो पाना मुश्किल है। मन सतयुग में हाथी की तरह से बड़ा ताकतवर, त्रेता में घोड़ा, द्वापर में बकरी और इस समय (कलयुग में) चींटी की तरह से कमजोर हो गया। अन्न प्राणे कलयुगे यानी अन्न में प्राण आ गए।
*कलयुग में जीवात्मा को चौरासी के चक्कर से बचाने के लिए सन्तों का धरती पर हुआ अवतार*
पहले लोगों का शरीर मजबूत, उम्र ज्यादा होती थी। तब हजार-हजार वर्ष तक लोग तपस्या करते थे, उल्टे टंगे रहते, केवल हड्डी रह जाती थी, मांस खून सूख जाता था। जल्दी कोई चीज मिलने वाली नहीं थी। कलयुग में उम्र कम है लेकिन जीवात्मा को चौरासी के चक्कर से छुड़ाना है तो सन्तों का प्रादुर्भाव हुआ। कबीर साहब, नानक साहब और भी सन्त आये, राधास्वामी, हमारे गुरु महाराज के गुरु महाराज आए। गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव जी) शरीर छोड़कर चले गए तो वह जिम्मेदारी मुझ (बाबा उमाकान्त जी महाराज) नाचीज को दे करके गए कि तुम इनको भगवान के मिलने का, इसी मनुष्य शरीर में देवी-देवताओं के दर्शन करने का रास्ता बताओ और जो हो सके मदद करो तो गुरु आदेश का पालन कर रहा हूँ।
*जब सन्तमत के बारे में लोगों को मालूम पड़ेगा तो बहुत भीड़ होगी*
गुरु आदेश के पालन को ही गुरु भक्ति कहते हैं। गुरु भक्ति ही बड़ी चीज होती है। चालीसों साल गुरु महाराज ने मुझे अपने पास रखा। हर चीज बताया, सिखाया, किया, कराया। अब यही निशाना बनाया कि केवल भक्ति सेवा ही करनी है तो सबको बताता हूं। आपके यहां ज्यादा भीड़ नहीं है क्योंकि जानकारी नहीं हो पाई। पूजा-पाठ में तो लोग लगे हुए हैं लेकिन सन्तमत को समझ नहीं पाए, किया नहीं तो फायदा नहीं हो रहा है। जब मालूम हो जाएगा तो देखना कितनी भीड़ होगी। लेकिन अन्य प्रदेशों में बहुत लाखों लाख की भीड़ होती है। विदेशों में भी जाना पड़ता है। कई देशों में गया, भगवान के प्राप्ति का रास्ता (नाम दान) बताकर के आया। आपको भी बताया जाएगा। आपको भी नाम बताया जाएगा जिसके लिए गोस्वामी जी महाराज ने कहा- कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा। जिस नाम को करने से ही इंसान भवसागर पार हो जाता, जन्म-मरण की पीड़ा खत्म हो जाती है।
*आदमी से लेकर छोटे कीड़ो को भी जन्म लेने, मरने में भारी तकलीफ होती है*
जब बच्चा रोता हुआ पैदा होता है, मरते समय भी कुछ न कुछ तकलीफ सबको होती है क्योंकि प्राण एक दम से खिंचते हैं तो दर्द होता ही होता है। पशु-पक्षी कीड़े-मकोड़े के बच्चों को भी ध्यान से देखो तो पैदा होते और अंत समय में हाथ कान सिर पूंछ हिलाते, तड़पते हैं। जब तक यह जीवात्मा प्रभु तक नहीं पहुंचेगी तब तक जन्म-मरण से छुटकारा मिलने वाला नहीं है। आपको वो रास्ता बताऊंगा जिससे फिर इस दु:ख के संसार में दुःख झेलने, जन्म लेने और मरने के लिए आना नहीं पड़ेगा।
29 मिनट से
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Baba umakant ji maharaj |
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