बाबा जयगुरुदेव जी का प्रेमियों को उपदेश -

जयगुरुदेव अमृतवाणी 

 ➥ मैने जयगुरुदेव नाम का बड़ा जहाज लगाया है, उस पर बैठे रहोगे तो पार हो जाओगे और उछल कून्द करोगे तो रह जाओगे।
- बाबा जयगुरुदेव,२३ अक्टूबर सीधी

➥ अपना जीवन ऐसा बना लो जैसे कछुआ। जब जरूरत पड़ी संसार के काम कर लिये फैले फिर भीतर चले गये।

➥ अपने प्रभु की याद में लग जाओ। आपस में प्रेम से रहो। 
यदि तुमने ऐसा जीवन बना लिया तो क्या साधन क्या भजन। तुम्हारा काम बना हुआ है। 

➥ तुम्हारे पहले के पापों की जिम्मेदारी तो हम ने ले ली है। मगर नया पाप मत चढ़ाओ। पुरानी तो मैं साफ करूंगा। अब और क्या चाहिए ।

➥ प्रभु जब दया करता है तो सुरत को किसी सन्त सतगुरु से जोड़ देता है, जहां सही मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

➥ तुम दुनिया में रहो परन्तु तुम्हारे मन में दुनिया नहीं रहनी चाहिए।
  ऐसा होने पर ही भजन ध्यान कर सकोगे।
  तुम्हारे हर श्वांस पर भोग निश्चित है और वह तुम्हे मिलेगा।
  बाबा जयगुरुदेव, ७ फर.२००१

➥ समय नाजुक आ रहा है, भजन करोगे तो मेरी पूरी जिम्मेदारी और यदि नही करोगे तो तुम जानो और तुम्हारा काम जाने।

➥ बीमारियों से छुटकारा पाना चाहते हो, और डाक्टरों से दूर रहना चाहते हो तो,
कम से कम दो माह तक ब्रह्मचर्य का पालन करो|

➥ औतारी शक्तियां राम के लोक की, कृष्ण के लोक की, स्वर्ग-बैकुण्ठ लोक की यहां तैयार खड़ी हैं। उनका काम है अधर्मियों का विनाश करके धर्म की स्थापना करना। ये शक्तियां पृथ्वी पर अवतरित सत्तपुरुष के आदेश की प्रतीक्षा कर रही हैं, क्योंकि बिना उनकी मौज के वे कुछ नहीं कर सकतीं। जिस दिन आदेश होगा औतारी शक्तियां परिवर्तन कर देंगी फिर कलयुग बिदा होगा और सतयुग आ जायेगा.

➥ मैं आप को यह बता दूं कि इन माताओं के गर्भ से कुछ ऐसे बच्चों का अवतार हो गया है जो आप को सीधा करेंगे। उनका संकेत आपको हर प्रान्तों में मिलेगा। उन बच्चों में कुदरती दैवी शक्ति अभी मौजूद है और वक्त आने पर प्रकट हो जायेगी। उन शक्तियों का पूरा समाज एक पूरी नाटक शाला उतरी हुई है जो यहां काम करेगी। समय की प्रतीक्षा उनको भी है और समय की प्रतीक्षा मुझको भी है। इसलिए होश में आ जाइए। इधर आकर पहले से अपने को सम्भाल लो ताकि उन शक्तियों से टकराव न हो जाए।

➥ जो औतारी शक्तियां आ चुकी हैं वे पूर्ण शाकाहारी हैं और चरित्रवान हैं। बहुत से बच्चे अपनी शिक्षा समाप्त कर चुके हैं और बहुत से अपनी शिक्षा समाप्त करके विद्यालयों से निकलने वाले हैं। कुछ दिनों में वो महान आत्मा इन बच्चों को संगठित कर लेगी फिर वे बच्चे क्या काम करेंगे यह वक्त बताएगा

➥ मनुष्य शरीर किराये का मकान है, श्वासों की पूंजी खत्म होते ही खाली करना पड़ेगा।
पशु पक्षी व जल के जीवों की हत्या मत करो, कर्म की सजा मिलेगी।
बचाव हो सकता है, किसी महात्मा की खोज करो जो भगवान से मिलाता हो।

➥ तीन बातें सदैव याद रखें
किसी की निंदा न करना न सुनना, निंदा करने से उसके पाप से तुम दब जाओगे।
कम खाओ, इससे आलस नही आएगा, शरीर तंदुरुस्त, चुस्त तथा फुर्तीला रहेगा, साधन भजन ठीक बनेगा।
गम खाओ अर्थात बर्दाश्त करो, कोई कुछ भी कहे उसे सहन कर लो।

➥ स्त्रियों की तरह अंडा भी मासिक खून से तैयार होता है, उसका सेवन करोगे तो ऐसी बीमारियां होंगी कि डॉक्टर भी इलाज नही कर पायेगा। अंडे का सेवन बन्द करो, यह पाप कर्म है, हिंसा है।

➥ जिसकी जीवात्मा निकल गई या निकाल दी गई वो सब मुर्दा, उसको छूने पर भी दोष लगता है।
पशु पक्षियों को आपने खाया तो उनके खून में जो कीटाणु होते हैं वो सब आपके पेट में चले गए, जिससे अनेक बीमारियां आ रही हैं।

Jaigurudev


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