हरदोई में लाखों किसान
बाबाजी के दर्शन को उमड़े
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हरदोई 23 मार्च। जिले में बाबा जी के दर्शन की प्रतीक्षा लोग हफ्तों से कर रहे थे। 21 मार्च से सत्संग स्थल पर, पैदल, बैलगाड़ियों, हाथियों से दूर दूर से लोग पहुंचने लगे। सहिजना ग्राम की भीड़ जिले के इतिहास में पहली बार थी। आदमियों के बीच कोई उंगली भी नहीं धंसा सकता था। कौढ़ा के रामबहादुर सिहं जी ने बताया कि दूर दूर के गांवों का पूरा परिवार ही दर्शन के लिए उमड़ पड़ा था।
स्वामी जी ने बताया कि संकट आने पर हम देवी, देवता, गंगा, जमुना, राम, रहीम का सहारा लेते हैं, प्रेम का सहारा लेते हैं, यह बात अलग है कि उस सहारे में हमारी रक्षा हो या ना हो मगर इंसान सहारा लेता है और आशा भी रखता है। आज 25 वर्ष पहले सभी लोग प्रेम के साथ रहते थे, दया भाव रखते थे और एक दूसरे के हमदर्द थे। यह बात ठीक है कि आपको भोजन मिल गया हो, मगर यह बात सही है कि बुरा काम करने से कोई सुगति नही पाता है।
‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जसु करै सो तस फल चाखा’। मरने के बाद जब तुम मजिस्ट्रेट की कचहरी में खड़े किये जाओगे तो तुम्हारा इंसाफ होगा। जीवन में तुमने जो कुछ भी किया होगा उसका ज्यों क त्यों रिकाॅर्ड सामने रखा जायेगा और एक मिनट भी नहीं लगेगा और तुम्हारा फैसला हो जाएगा।
तुमने गाय काटा, सुअर मारा, अण्डा खाया, शराब पिया, आंदोलन हड़ताल किया या कराया, रिसवत ली, झूठ बोले फिर तुम बताओ तुम्हें सबका फल तो भोगना ही होगा। जमदूत पुलिस नर्कों में करोड़ों वर्षों तक एक रफ्तार से मारते रहेंगे और तुम्हारी आवाज लाखों मील तक जायेगी मगर कोई सुनने वाला न होगा। इसलिए विचार करो। तुम्हारे कष्टों को देखकर महात्माओं को दया आती है। इसीलिए वे तुम्हें कर्म की, धर्म की शिक्षा देते हैं, तुमने उनकी पुस्तकों को गंगा और जमुना में फेंक दिया और कर्म धर्म से छुट्टी मिल गई।
एक पिता के अगर चार चार बच्चे हैं और उनमे से अगर एक चोर हो तो अलाहना सुनते सुनते सुख शांति समाप्त हो जाती है और जहां ऐसे लाखों आदमी देश में हों तो फिर क्या पूछना ? इसलिए जन जन के चरित्र के उठाने में, धर्म-कर्म की शिक्षा देने के लिए महात्माओं की आवश्यकता होती है।
⧫ ऊपर जाने का दरवाजा ⧫
परमात्मा ने महात्माओं को भेजा और कहा कि तुम जाकर दुनिया में लोगों को बताओ कि नर्कों और चौरासी के तकलीफों के बाद यह मनुष्य शरीर दिया है। इस शरीर में ऊपर जाने का एक दरवाजा है और तुम मरने से पहले अपनी जीवात्मा को परमात्मा के पास पहुंचा दो। मगर यह काम तो तुमने किया नहीं और हाय हाय करने लगे, माया की छाया को देखकर उसमें फंस गये। अब तुम्हारा निकलना बड़ा मुश्किल है।
सन् 70 में चार करोड़ पर्चे भारत में बांटे गए जिनमें लिखा था कि वर्षा बहुत होगी, मुसलमान मुसलमान आपस में लड़ेंगे। मैंने लोगों से कहा कि इन पर्चो को गीता रामायण में रखना या दीवालों पर चिपका देना। मगर भौतिकवाद के लोगों ने कहा कि बाबा पागल है। मार्च 1971 में मैंने किसानों से कहा कि जल्द ही खेत से गल्ला उठा लेना। आपने देखा कि वर्षा से कितना बड़ा नुकसान हुआ।
मैंने कहा था कि पूरब का पाकिस्तान और पश्चिम का पाकिस्तान खत्म होगा। एक बड़ी भगदड़ मचेगी। पूरब का पाकिस्तान तो समाप्त हो गया और अब पश्चिम का भी समाप्त हो जायेगा। बांग्लादेश में फिर बवाल मचेगा और भारी नर संहार होगा। उसके बाद वह भी खत्म होकर भारतवर्ष में मिल जाएगा। आप लोग मेरी बातों को सुन लो और जब हो जाए तब मान लेना।
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Jaigurudev