जयगुरुदेव - भारत शक्तिशाली राष्ट्र होगा

जयगुरुदेव आध्यात्मिक सन्देश

देवरिया।  स्वामी जी ने यहां प्रवचन में बताया कि यह इतिहास का अनूठा उदाहरण है कि लड़ाई के मैदान में लगभग एक लाख पाकिस्तान के फौजी सिपाहियों ने आत्मसमर्पण किया। हमारी सेना की ताकत नहीं थी कि वह इतने सेनिकों का आत्मसमर्पण करा लेती। लड़ाई के मैदान में दैविक शक्तियों ने भारतीय सेना का पूरा साथ दिया। परिणााम स्वरूप दुश्मनों के सारे मंसूबे नाकाम हो गये।

स्वामी जी ने आगे बताया कि भविष्य में भी आपको बहुत कुछ देखना है। अभी तो सन् 72 का कारण बन रहा है। कार्य आगे होगा। दुश्मनों के अधिकांश बम पृथ्वी पर चुपचाप उतार लिए जायेंगे। सारे अणुबम एक साथ अगर छोड़ेंगे जायेंगे तो 95 प्रतिशत जमीन पर उतार दिये जायेंगे। 

बीमारियों के कीटाणु फैलाने वाले बम जब छोड़े जायेंगे तो कुदरत उल्टी हवा चला देगी, जिससे दुश्मनों का सफाया होने लगेगा। नेपाल, तिब्वत, वर्मा आदि छोटे छोटे देश  टूटकर भारत वर्ष में मिल जायेंगे और भारत वर्ष विश्व का सबसे बड़ा शक्तिशाली राष्ट्र होगा। स्वामी जी ने अपार जनसमूह में कहा कि अभी आप मेरी बातों को सुन लें और जब हो जायेगा तभी मान लीजिएगा।

एक आदमी मर रहा था। मैं भी वहां बैठा था। मैंने कहा कि इसका शरीर छूट रहा है। फिर क्या था घर के लोग उसके कान में जाकर पूछने लगे कि जो लिया दिया है, सो बता दो। कहां कहां सब रखा है? 
 
मैंने कहा कि यह बेचारा तो अपनी तकलीफ में मरा जा रहा है और उसकी तकलीफ को नहीं पूछ रहे हो।
जब तुम यहां से जाओगे तो तुम्हार सोना, चांदी, मकान कुछ भी साथ नहीं जायेगा। तुमने अपनी जीवात्मा के लिए कोई धन जमा किया ?

एक आदमी महात्मा के पास जाता था और अपनी स्त्री की बड़ी तारीफ करता था। एक दिन दो दिन रोज-रोज यह सुनकर महात्मा जीने उससे कहा कि बच्चा आज तुम घर जाना तो आंगन में सीधे गिर जाना और सांस रोककर हाथ पैर फैला लेना। फिर सबकी बातें सुनना। तुम्हें सब मालूम होगा कि कौन किसका है।

आदमी गया और उसने वैसा ही किया। जैसे ही वह आंगन में गिरा स्त्री दौड़कर आई कि क्या हो गया। आस-पड़ोस के लोगों को खबर दी तो वे भी दौड़कर आये और देखकर बोले कि यह तो मर गया। फिर क्या था फौरन बांस कपड़ा मंगाया गया। जब उसको घर के बाहर निकालने लगे तो हाथ दरवाजे में से नही निकल रहा था क्योंकि फैला हुआ था। आदमियों ने कहा कि दरवाजा तोड़ दो और थोड़ी दीवार भी गिरा दो। स्त्री सब सुन रही थी। वो आई और हाथ जोड़कर बोली कि मेरी एक बात आप लोग मान लें।

लोगों ने कहा कि क्या बात है। स्त्री ने कहा कि आप दरवाजा तोड़ देंगे और दीवार गिरा देंगे तो मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि फिर से बनवा सकूं। आप ऐसा करें कि मैं गड़ांसा लाती हूं और हाथों को काट दीजिए फिर आप आसानी से ले जा सकेंगे।

वह आदमी सबकी बातों को सुन रहा था। उसने सोचा कि स्त्री तो गड़ांसा लेने गई है और अभी मेरे हाथ काट दिए जायेंगे और वह जोर देकर उठा और सब रस्सी टूट गई तो भागकर सीधे महात्मा जी के पास पहुंचा और बोला कि महाराज आप बहुत ठीक कह रहे थे कि इस दुनिया में कोई किसी का नहीं है।
उसने सारा हाल सुनाया। फिर महात्मा जी से उपदेश लेकर परमात्मा की साधना में लग गया।

कदापि शांति नहीं मिलेगी

ग्वालियर। जयगुरुदेव बाबा ने यहां बताया कि जब हर कौम के लोग आपस में मिलना, जुलना, बैठना, खाना पीना एक जगह करने लगते हैं और किसी के प्रति भी कोई भेदभाव नहीं रखते हैं उस समय संसार की अवस्था पतन की हो जाती है। ऐसी हालत में भगवान का चिंतन करना बहुत मुश्किल है।

वर्तमान समय के चरित्र का चित्रण करते हुए बाबा ने बताया कि अब आदमी को अच्छा मकान चाहिए, अच्छी सड़कें चाहिए, कीचड़ में चलने को न मिले, कपड़ा अच्छा हो, खाना अच्छा हो और भांति भांति के व्यंजन मिलें और साथ ही महीन महीन कपड़ा पहनने को मिले। ऐसी भावना जब मनुष्य में आ जाती है तो यह समझना चाहिए कि दुनिया का रुख गिरने वाला है।

मनुष्य अपना ही पेट भरना जानें, दूसरे का सत्कार न कर सके, परिवार परिवार में लड़ाई हो, घर घर में फूट हो जावे, स्त्री पति का कहना न माने बल्कि पति पर अपना रूआब जमाती हो और पति के आगे ऊंची जगह पर बैठती हो चाहे पति जमीन पर ही क्यों न बैठा हो तो ऐसे समय में धर्म का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

अब स्त्रियां पुरुषों की बातों को मानने को कौन कहे लड़ने लगी और यही हाल पुरुषों का हो गया कि स्त्रियों से हजारों झूठ बोलने लगे और उन्होंने अपना विश्वास खो दिया। पहले स्त्रियां धर्म की रक्षा करती थीं, और अब वे अण्डा, शराब, मांस, सिगरेट आदि का सेवन करने लगी हैं ऐसी हालत में चरित्र कहां ठीक रह सकता है। देश में वर्णशंकर संतान हो जाने पर सृष्टि में बडे़ पैमाने पर संहार हो जाता है।

स्वामी जी ने आगे कहा कि कुछ ही दिन में भण्डा फूटने वाला है और अधिक संख्या में मनुष्यों की क्षति होगी। यदि मनुष्य मात्र धर्म को नहीं अपनाते हैं, तो कदापि शांति नहीं मिलेगी।

जयगुरुदेव 

Baba Jaigurudev



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